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1तब का बेटा अबीमलिक में अपने मामुओं के पास गया, उनसे और अपने सब ननिहाल के लोगों से कहा कि

2के सब आदमियों से पूछ देखो के तुम्हारे लिए क्या बेहतर है, के यरुब्बाल के सब बेटे जो सतर आदमी हैं वो तुम पर सल्तनत ये कि एक ही की तुम पर हुकूमत ये भी याद रखो, मैं तुम्हारी ही हड्डी और तुम्हारा ही गोश्त हूँ।

3उसके मामुओं ने उसके बारे में सिक्म के सब लोगों के कानों में ये बातें डालीं; उनके दिल अबी मलिक की पैरवी पर माइल हुए, क्यूंकि वो कहने लगे के ये हमारा भाई

4उन्होंने बाल बरीत के घर में से चाँदी के सतर सिक्के उसको वसीले से अबी मलिक ने शुह्दे और बदमाश लोगों को अपने हाँ लगा लिया, उसकी पैरवी करने लगे।

5वो उफ़रा में अपने बाप के घर गया और उसने अपने भाइयों यरुब्बाल के बेटों को जो सत्तर आदमी थे, ही पत्थर पर क़त्ल किया; का छोटा बेटा यूताम बचा रहा, क्यूंकि वो छिप गया था।

6सिक्म के सब आदमी और सब अहल-ए-मिल्लो जाकर उस सुतून के बलूत के पास जो सिक्म में था अबीमलिक को बादशाह बनाया।

7यूताम को इसकी खबर हुई तो वो जाकर कोह-ए-गरिज़ीम की चोटी पर खड़ा हुआ और अपनी आवाज़ बलन्द की, पुकार पुकार कर उनसे कहने लगा, सिक्म के लोगो, सुनो। ताके ख़ुदा तुम्हारी

8ज़माने में दरख़्त चले, किसी को मसह करके अपना बादशाह उन्होंने जैतून के दरख़्त से हम पर सल्तनत कर।

9जैतून के दरख़्त ने उनसे कहा, मैं अपनी चिकनाहट की, मेरे वसीला से लोग ख़ुदा और इन्सान की ताज़ीम करते हैं, कर दरख़्तों पर हुक्मरानी करने जाऊँ?

10दरख़तों ने अंजीर के दरख़्त से कहा, आ और हम पर सल्तनत कर।'

11अंजीर के दरख़्त ने उनसे कहा, मैं अपनी मिठास और अच्छे अच्छे फलों को छोड़ कर दरख़तों पर हुक्मरानी करने जाऊँ?

12दरख़तों ने अंगूर की बेल से आ और हम पर सल्तनत कर।

13की बेल ने उनसे कहा, मैं अपनी मय को जो ख़ुदा और इन्सान दोनों को खुश करती है, कर दरख़्तों पर हुक्मरानी करने जाऊँ?

14उन सब दरख़्तों ने ऊँटकटारे से कहा, ही हम पर सल्तनत कर।'

15ऊँटकटारे ने दरख़्तों से कहा, तुम सचमुच मुझे अपना बादशाह मसह करके बनाओ, साये में पनाह लो ; अगर नहीं, ऊँटकटारे से आग निकलकर लुबनान के देवदारों को खा जाए।'

16सो बात ये है के तुम ने जो अबी मलिक को बादशाह बनाया है, अगर तुम ने रास्ती-ओ-सदाक़त बरती है, यरुब्बाल और उसके घराने से अच्छा सुलूक और उसके साथ उसके ऐहसान के हक के मुताबिक़ बरताव किया है।

17(क्यूँकि मेरा बाप तुम्हारी ख़ातिर उसने अपनी जान जोखों में डाली, तुम को मिदियान के हाथ से

18तुम ने आज मेरे बाप के घराने से बगावत की, उसके सत्तर बेटे एक ही पत्थर पर कत्ल किए, उसकी लौंडी के बेटे अबी मलिक को सिक्म के लोगों का बादशाह बनाया इसलिए के वो तुम्हारा भाई है।)

19अगर तुम ने यरुब्बाल और उसके घराने के साथ आज के दिन रास्ती और सदाक़त बरती है, तुम अबी मलिक से खुश रहो और वो तुम से ख़ुश रहे।

20अगर नहीं, अबि मलिक से आग निकलकर सिक्म के लोगों को और अहल-ए-मिल्लो खा जाए; सिक्म के लोगों और अहल-ए-मिल्लो के बीच से आग निकलकर अबी मलिक को खा जाए।

21यूताम दौड़ता हुआ भागा और बैर को चलता बना, अपने भाई अबी मलिक के ख़ौफ़ से वहीं रहने लगा।

22अबी मलिक इस्राईलियों पर तीन बरस हाकिम रहा।

23ख़ुदा ने अबी मलिक और सिक्म के लोगों के दर्मियान एक बुरी रूह भेजी, अबी मलिक से दग़ा बाज़ी करने

24ता कि जो जुल्म उन्होंने यरुब्बाल के सत्तर बेटों पर किया था वो उन ही पर आए', उनका खून उनके भाई अबी मलिक के सिर पर जिस ने उनकी क़त्ल सिक्म के लोगों के सिर पर हो जिन्होंने उसके भाइयों के कत्ल में उसकी मदद की थी।

25सिक्म के लोगों ने पहाड़ों की चोटियों पर उसकी घात में वो उनको जो उस रास्ते पास से गुज़रते लूट लेते थे; अबी मलिक को इसकी खबर हुई।

26जाल बिन 'अबद अपने भाइयों समेत सिक्म में ने उस पर ऐतिमाद किया।

27वो खेतों में गए और अपने अपने ताकिस्तानों का फल तोड़ा और अंगूरों का रस निकाला और खूब खुशी मनाई, अपने देवता के मन्दिर में जाकर और अबी मलिक पर लानतें बरसाई।

28जाल बिन 'अबद कहने लगा, अबी मलिक कौन है, सिक्म कौन है के हम उसकी इता'अत वो यरुब्बाल का बेटा नहीं, क्या ज़बूल उसका मन्सबदार ही सिक्म के बाप हमुर के लोगों की इता'अत उसकी इताअत क्यूं करें?

29काश कि ये लोग मेरे हाथ के नीचे मैं अबी मलिक की किनारे कर उसने अबी मलिक से कहा, अपने लश्कर को बढ़ा और निकल

30उस शहर के हाकिम ज़बूल ने जाल बिन अबद की ये बातें सुनीं तो उसका कहर भड़का।

31उसने चालाकी से अबीमलिक के पास कासिद रवाना किए और कहला बिन अबद और उसके भाई सिक्म में आए हैं, शहर को तुझ से बग़ावत करने की तहरीक कर रहे हैं।

32तू अपने साथ के लोगों को लेकर रात को उठ, मैदान में घात लगा कर बैठ जा।

33सुबह को सूरज निकलते ही सवेरे उठ कर शहर पर हमला कर, जब वो और उसके साथ के लोग तेरा को निकलें तो जो कुछ तुझ से बन आए तू उन से कर।

34अबी मलिक और उसके साथ के लोग रात ही को उठ चार गोल हो सिक्म के मुक़ाबिल घात में बैठ गए।

35जाल बिन 'अबद बाहर निकल कर उस शहर के फाटक के पास जा खड़ा हुआ; अबी मलिक और उसके साथ के आदमी कमीन गाह से उठे।

36जब जाल ने फ़ौज को देखा तो वो ज़बूल से कहने लगा, की चोटियों से लोग उतर रहे ने उससे कहा, पहाड़ों का साया ऐसा दिखाई देता है जैसे आदमी।

37फिर कहने लगा, के बीचों बीच से लोग उतरे आते एक गोल म'ओननीम के बलूत के रास्ते आ रहा है।

38ज़बूल ने उससे कहा, तेरा वो मुँह कहाँ है जो तू कहा करता था, अबी मलिक कौन है की हम उसकी इताअत करें? ये वुही लोग नहीं हैं जिनकी तूने हिक़ारत की है? अब ज़रा निकल कर उनसे लड़ तो

39जाल सिक्म के लोगों के सामने बाहर निकला और अबी मलिक से

40अबी मलिक ने उसको रगेदा और वो उसके सामने से भागा, शहर के फाटक तक बहुतेरे ज़ख़्मी हो हो कर गिरे।

41अबी मलिक ने अरोमा में कयाम ज़बूल ने जाल और उसके भाइयों को निकाल दिया, ताकि वो सिक्म में रहने न पाएँ।

42दूसरे दिन सुबह को ऐसा हुआ के लोग निकल कर मैदान को जाने अबी मलिक को ख़बर हुई।

43अबी मलिक ने फ़ौज लेकर उसके तीन गोल किए और में घात लगाई; जब देखा कि लोग शहर से निकले आते हैं, वो उनका सामना करने को उठा और उनको मार लिया।

44अबी मलिक उस गोल समेत जो उसके साथ था आगे लपका, शहर के फाटक के पास आकर खड़ा हो गया; वो दो गोल उन सभों पर जो मैदान में थे झपटे और उनको काट डाला।

45अबी मलिक उस दिन शाम तक शहर से लड़ता रहा, शहर को सर कर के उन लोगों को जो वहाँ थे क़त्ल किया, शहर को मिस्मार कर के उसमें नमक छिड़कवा दिया।

46जब सिक्म के बुर्ज के सब लोगों ने ये सुना, वो अलबरीत के मन्दिर के किले' जा घुसे।

47अबी मलिक को ये ख़बर हुई के सिक्म के बुर्ज के सब लोग इकट्ठे

48अबी मलिक अपनी फ़ौज समेत जलमोन के पहाड़ पर चढ़ा; अबी मलिक ने कुल्हाड़ा अपने हाथ में ले दरख़तों में से एक डाली काटी और उसे उठा कर अपने कन्धे पर रख लिया, अपने साथ के लोगों से कहा, कुछ तुम ने मुझे करते देखा है, भी जल्द वैसा ही करो।

49उन सब लोगों में से हर एक ने उसी तरह एक डाली काट ली, वो अबी मलिक के पीछे हो लिए और उनको किले' डालकर किले' आग लगा दी; सिक्म के बुर्ज के सब आदमी भी जो मर्द और 'औरत मिलाकर करीबन एक हज़ार थे मर

50अबी मलिक तैबिज़ को जा तैबिज़ के मुक़ाबिल खेमाज़न हुआ और उसे ले लिया।

51वहाँ शहर के अन्दर एक बड़ा मुहकम बुर्ज था, सब मर्द और 'औरतें शहर के सब बाशिन्दे भाग कर उस में जा घुसे और दरवाज़ा बन्द कर लिया, बुर्ज की छत पर चढ़ गए।

52अबी मलिक बुर्ज के पास आकर उसके मुक़ाबिल लड़ता रहा, बुर्ज के दरवाज़े के नज़दीक गया ताकि उसे जला दे।

53किसी 'औरत ने चक्की का ऊपर का पाट अबी मलिक के सिर पर फेंका, उसकी खोपड़ी को तोड़ डाला।

54अबी मलिक ने फ़ौरन एक जवान को जो उसका सिलाहबरदार था बुला कर उससे कहा, तलवार खींच कर मुझे क़त्ल कर मेरे हक़ में लोग ये न कहने पाएँ के एक 'औरत ने उसे मार डाला। सो उस जवान ने उसे छेद दिया और वो मर गया।

55इस्त्राईलियों ने देखा के अबी मलिक मर गया, हर शख़्स अपनी जगह चला गया।

56ख़ुदा ने अबी मलिक की उस शरारत का बदला जो उसने अपने सत्तर भाइयों को मार कर अपने बाप से की थी उसको दिया।

57सिक्म के लोगों की सारी शरारत ख़ुदा ने उन ही के सिर पर डाली, यरुब्बाल के बेटे यूताम की लानत उनको लगी।


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