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1इफ़ाईम के बाशिन्दों ने उससे कहा, हम से ये सलूक क्यूँ किया, जब तू मिदियानियों से लड़ने को चला तो हम को न बुलवाया? उन्होंने उसके साथ बड़ा झगड़ा

2उनसे कहा, तुम्हारी तरह भला किया ही क्या इफ़ाईम के छोड़े हुए अंगूर भी अबी'अज़र की फ़स्ल से बे हतर नहीं हैं?

3ने मिदियान के सरदार 'ओरेब और ज़ईब को तुम्हारे हाथ में कर दिया; तुम्हारी तरह मैं कर ही क्या सका हूँ? उसने ये कहा, उनका गुस्सा उसकी तरफ़ से धीमा हो गया।

4और उसके साथ के तीन सौ आदमी जो बावजूद थके माँदे होने के फिर भी पीछा करते ही रहे थे, पर आकर पार उतरे।

5उसने सुक्कात के बाशिनदो से लोगों को जो मेरे पैरौ हैं, के गिर्दे दो क्यूँकि ये थक गए हैं; मैं मिदियान के दोनों बादशाहों ज़िबह और ज़िलमना' पीछा कर रहा हूँ।

6के सरदारों ने कहा, ज़िबह और ज़िलमना' हाथ अब तेरे कब्ज़े में आ गए हम तेरे लश्कर को रोटियाँ

7ने कहा, ख़ुदावन्द ज़िबह और ज़िलमना' मेरे हाथ में कर देगा, मैं तुम्हारे गोश्त को बबूल और सदा गुलाब के काँटों से

8वहाँ से वो फ़नूएल को वहाँ के लोगों से भी ऐसी ही बात कही; फ़नूएल के लोगों ने भी उसे वैसा ही जवाब दिया जैसा सुक्कातियों ने दिया था।

9उसने फ़नूएल के बाशिंदों से भी कहा, मैं सलामत लौटुंगा, इस बुर्ज को ढा दूँगा।

10ज़िबह और ज़िलमना' करीबन पंद्रह हज़ार आदमियों के लश्कर समेत करकूर में थे, फ़क़त इतने ही अहलए-मशरिक के लश्कर में से बच रहे थे; के एक लाख बीस हज़ार शमशीर ज़न मर्द क़त्ल हो गए थे।

11सो जिदा ऊन उन लोगों के रास्ते से जो नुबह और युगबिहा के मशरिक की तरफ़ डेरों में रहते थे उस लश्कर को मारा क्यूँकि वो लश्कर बेफ़िक्र पड़ा था।

12ज़िबह और ज़िलमना' उसने उनका पीछा करके उन दोनों मिदियानी बादशाहों, और ज़िलमना' पकड़ लिया और सारे लश्कर को भगा दिया।

13यूआस का बेटा जिदाऊन हर्स की चढ़ाई के पास से जंग से लौटा।*

14उसने सुक्कातियों में से एक जवान को पकड़ कर उससे दरियाफ़त उसने उसे सुक्कात के सरदारों और बुजुर्गों का हाल बता दिया जो शुमार में सत्तर थे।

15वो सुक्कातियों के पास आकर कहने लगा, और ज़िलमना' देख लो, बाबत तुम ने तन्ज़न मुझ से कहा ज़िबह और ज़िलमना' हाथ तेरे कब्ज़े में आ गए हैं, हम तेरे आदमियों को जो थक गए हैं रोटियाँ दें?'

16उसने शहर के बुजुर्गों को पकड़ा और बबूल और सदा गुलाब के कॉटें लेकर उनसे सुक्कातियों की तादीब की।

17उसने फ़नूएल का बुर्ज ढा कर उस शहर के लोगों को क़त्ल किया।

18उसने ज़िबह और ज़िलमना' लोग जिनको तुम ने तबूर में क़त्ल किया कैसे थे? जवाब दिया, तू है वैसे ही वो थे; से हर एक शहज़ादों की मानिन्द

19उसने कहा, मेरे भाई, माँ के बेटे थे, ख़ुदावन्द की हयात की क्रसम, तुम उनको जीता छोड़ते तो मैं भी तुम को न मारता।

20उसने अपने बड़े बेटे यतर को हुक्म किया, कत्ल कर। उस लड़के ने अपनी तलवार न खींची, उसे डर लगा, के वो अभी लड़का ही था।

21ज़िबह और ज़िलमना' आप उठ कर हम पर वार कर, जैसा आदमी होता है वैसी ही उसकी ताक़त होती है। सो जिदाऊन ने उठ कर ज़िबह और क़त्ल किया, उनके ऊँटों के गले के चन्दन हार ले लिए।

22ने जिदा'ऊन से कहा, हम पर हुकूमत कर, और तेरा बेटा और तेरा पोता भी; तूने हम को मिदियानियों के हाथ से छुड़ाया।

23जिदाऊन ने उनसे कहा, मैं तुम पर हुकूमत करूं और न मेरा बेटा, ख़ुदावन्द ही तुम पर हुकूमत

24जिदाऊन ने उनसे कहा, तुम से ये 'अर्ज़ करता हूँ, तुम में से हर शख़्स अपनी लूट की बालियाँ मुझे दे दे। लोग इस्माईली थे, इनके पास सोने की बालियाँ

25जवाब दिया, इनको बड़ी ख़ुशी से देंगे। उन्होंने एक चादर बिछाई और हर एक ने लूट की बालियाँ उस पर डाल दीं।

26सो वो सोने की बालियाँ जो उसने माँगी थीं, में एक हज़ार सात सौ मिस्काल थीं; 'अलावह उन चन्दन हारों और झुमकों और मिदियानी बादशाहों की अर्गवानी पोशाक के जो वो पहने थे, उन ज़न्जीरों के जो उनके ऊँटों के गले में पड़ी थीं।

27जिदा ऊन ने उनसे एक अफ़ोद बनवाया और उसे अपने शहर उफ़रा में वहाँ सब इस्राइली उसकी पैरवी में ज़िनाकारी करने लगे, वो जिदा'ऊन और उसके घराने के लिए फंदा

28मिदियानी बनी-इस्राईल के आगे मग़लूब हुए और उन्होंने फिर कभी सिर न उठाया। और जिदा'ऊन के दिनों में चालीस बरस तक उस मुल्क में अम्न रहा।

29यूआस का बेटा यरुब्बाल जाकर अपने घर में रहने लगा।

30के सत्तर बेटे थे जो उस ही के सुल्ब से पैदा हुए थे, क्यूँकिउसकी बहुत सी बीवियाँ थीं।

31उसकी एक हरम के भी जो सिक्म में थी उस से एक बेटा हुआ, उसने उसका नाम अबीमलिक रख्खा।

32यूआस के बेटे जिदाऊन ने खूब रसीदा होकर वफ़ात पाई, के उफ़रा में अपने बाप यूआस की क़ब्र में दफ़्न हुआ।

33के मरते ही बनीइस्राईल बरगश्ता होकर बा'लीम की पैरवी में ज़िनाकारी करने लगे, बाल बरीत को अपना माबूद बना

34बनीइस्राईल ने ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा को, हर तरफ़ उनके दुश्मनों के हाथ से रिहाई दी थी याद न रखा;

35न वो यरुब्बाल यानी जिदाऊन के ख़ान्दान के साथ, सब नेकियों के इवज़ में जो उसने बनीइस्राईल से की थीं महर से पेश आए।


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