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1मोआब के विषय इस्राएल का परमेश्‍वर, सेनाओं का यहोवा यों कहता है: “नबू पर हाय, क्‍योंकि वह नाश हो गया ! किर्यातैम की आशा टूट गई, वह ले लिया गया है; ऊँचा गढ़ निराश और विस्‍मित हो गया है।

2मोआब की प्रशंसा जाती रही। हेशबोन में उसकी हानि की कल्‍पना की गई है: ‘आओ, हम उसको ऐसा नाश करें कि वह राज्‍य न रह जाए।’ हे मदमेन, तू भी सुनसान हो जाएगा; तलवार तेरे पीछे पड़ेगी।

3“होरोनैम से चिल्‍लाहट का शब्‍द सुनो ! नाश और बड़े दुःख का शब्‍द सुनाई देता है !

4मोआब का सत्‍यानाश हो रहा है; उसके नन्‍हे बच्‍चों की चिल्‍लाहट सुन पड़ी।

5क्‍योंकि लूहीत की चढ़ाई में लोग लगातार रोते हुए चढ़ेंगे; और होरोनैम की उतार में नाश की चिल्‍लाहट का संकट हुआ है।

6भागो ! अपना-अपना प्राण बचाओ ! उस अधमूए पेड़ के समान हो जाओ जो जंगल में होता है !

7क्‍योंकि तू जो अपने कामों और सम्‍पत्‍ति पर भरोसा रखता है, इस कारण तू भी पकड़ा जाएगा; और कमोश देवता भी अपने याजकों और हाकिमों समेत बँधुआई में जाएगा।

8यहोवा के वचन के अनुसार नाश करनेवाले तुम्‍हारे हर एक नगर पर चढ़ाई करेंगे, और कोई नगर न बचेगा; घाटीवाले और पहाड़ पर की चौरस भूमिवाले दोनों नाश किए जाएँगे।

9“मोआब के पंख लगा दो ताकि वह उड़कर दूर हो जाए; क्‍योंकि उसके नगर ऐसे उजाड़ हो जाएँगे कि उनमें कोई भी न बसने पाएगा।

10“शापित है वह जो यहोवा का काम आलस्‍य से करता है; और वह भी जो अपनी तलवार लहू बहाने से रोक रखता है।

11“मोआब बचपन ही से सुखी है, उसके नीचे तलछट है, वह एक बरतन से दूसरे बरतन में उण्‍डेला नहीं गया और न बँधुआई में गया; इसलिये उसका स्‍वाद उसमें स्‍थिर है, और उसकी गन्‍ध ज्‍यों की त्‍यों बनी रहती है।

12इस कारण यहोवा की यह वाणी है, ऐसे दिन आएँगे, कि मैं लोगों को उसके उण्‍डेलने के लिये भेजूँगा, और वे उसको उण्‍डेलेंगे, और जिन घड़ों में वह रखा हुआ है, उनको छूछे करके फोड़ डालेंगे।

13तब जैसे इस्राएल के घराने को बेतेल से लज्‍जित होना पड़ा, जिस पर वे भरोसा रखते थे, वैसे ही मोआबी लोग कमोश से लज्‍जित होंगे।

14“तुम कैसे कह सकते हो कि हम वीर और पराक्रमी योद्धा हैं?

15मोआब तो नाश हुआ, उसके नगर भस्‍म हो गए और उसके चुने हुए जवान घात होने को उतर गए, राजाधिराज, जिसका नाम सेनाओं का यहोवा है, उसकी यही वाणी है।

16मोआब की विपत्‍ति निकट आ गई, और उसके संकट में पड़ने का दिन बहुत ही वेग से आता है।

17उसके आस-पास के सब रहनेवालो, और उसकी कीर्ति के सब जाननेवालो, उसके लिये विलाप करो; कहो हाय! यह मजबूत सोंटा और सुन्‍दर छड़ी कैसे टूट गई है?”

18“हे दीबोन की रहनेवाली तू अपना वैभव छोड़कर प्‍यासी बैठी रह ! क्‍योंकि मोआब के नाश करनेवाले ने तुझ पर चढ़ाई करके तेरे दृढ़ गढ़ों को नाश किया है।

19हे अरोएर की रहनेवाली तू मार्ग में खड़ी होकर ताकती रह! जो भागता है उससे, और जो बच निकलती है उससे पूछ कि क्‍या हुआ है?

20मोआब की आशा टूटेगी, वह विस्‍मित हो गया; तुम हाय-हाय करो और चिल्‍लाओ; अर्नोन में भी यह बताओ कि मोआब नाश हुआ है।

21चौरस भूमि के देश में होलोन,

22यहसा, मेपात, दीबोन, नबो, बेतदिबलातैम,

23और किर्य्यातैम, बेतगामूल, बेतमोन,

24और करिय्‍योत, बोस्र, और क्‍या दूर क्‍या निकट, मोआब देश के सारे नगरों में दण्‍ड की आज्ञा पूरी हुई है।

25यहोवा की यह वाणी है, मोआब का सींग कट गया, और भुजा टूट गई है।

26उसको मतवाला करो, क्‍योंकि उसने यहोवा के विरुद्ध बड़ाई मारी है; इसलिये मोआब अपनी छाँट में लोटेगा, और ठट्ठों में उड़ाया जाएगा।

27क्‍या तूने भी इस्राएल को ठट्ठों में नहीं उड़ाया? क्‍या वह चोरों के बीच पकड़ा गया था कि जब तू उसकी चर्चा करता तब तू सिर हिलाता था?

28“हे मोआब के रहनेवालो अपने-अपने नगर को छोड़कर चट्टान की दरार में बसो ! उस पण्डुकी के समान हो जो गुफा के मुँह की एक ओर घोंसला बनाती हो।

29हमने मोआब के गर्व के विषय में सुना है कि वह अत्‍यन्‍त अभिमानी है; उसका गर्व, अभिमान और अहंकार, और उसका मन फूलना प्रसिद्ध है।

30यहोवा की यह वाणी है, मैं उसके रोष को भी जानता हूँ कि वह व्‍यर्थ ही है, उसके बड़े बोल से कुछ बन न पड़ा।

31इस कारण मैं मोआबियों के लिये हाय-हाय करूँगा; हाँ मैं सारे मोआबियों के लिये चिल्‍लाऊँगा; कीर्हेरेस के लोगों के लिये विलाप किया जाएगा।

32हे सिबमा की दाखलता, मैं तुम्‍हारे लिये याजेर से भी अधिक विलाप करूँगा ! तेरी डालियाँ तो ताल के पार बढ़ गई, वरन् याजेर के ताल तक भी पहुँची थीं; पर नाश करनेवाला तेरे धूपकाल के फलों पर, और तोड़ी हुई दाखों पर भी टूट पड़ा है।

33फलवाली बारियों से और मोआब के देश से आनन्‍द और मगन होना उठ गया है; मैंने ऐसा किया कि दाखरस के कुण्‍डों में कुछ दाखमधु न रहा; लोग फिर ललकारते हुए दाख न रौंदेंगे; जो ललकार होनेवाली है, वह अब नहीं होगी।

34“हेशबोन की चिल्‍लाहट सुनकर लोग एलाले और यहस तक, और सोआर से होरोनैम और एग्‍लतशलीशिया तक भी चिल्‍लाते हुए भागे चले गए हैं। क्‍योंकि निम्रीम का जल भी सूख गया है।

35और यहोवा की यह वाणी है, कि मैं ऊँचे स्‍थान पर चढ़ावा चढ़ाना, और देवताओं के लिये धूप जलाना, दोनों को मोआब में बन्‍द कर दूँगा।

36इस कारण मेरा मन मोआब और किर्हेरेस के लोगों के लिये बाँसुली सा रो रोकर अलापता है, क्‍योंकि जो कुछ उन्होंने कमाकर बचाया है, वह नाश हो गया है।

37क्‍योंकि सबके सिर मुँड़े गए और सब की दाढियाँ नोची गई; सबके हाथ चीरे हुए, और सब की कमरों में टाट बन्‍धा हुआ है।

38मोआब के सब घरों की छतों पर और सब चौंकों में रोना पीटना हो रहा है; क्‍योंकि मैंने मोआब को तुच्‍छ बरतन के समान तोड़ डाला है यहोवा की यह वाणी है।

39मोआब कैसे विस्‍मित हो गया ! हाय, हाय, करो ! क्‍योंकि उसने कैसे लज्‍जित होकर पीठ फेरी है ! इस प्रकार मोआब के चारों ओर के सब रहनेवाले उसका ठट्ठा करेंगे और विस्‍मित हो जाएँगे।”

40क्‍योंकि यहोवा यों कहता है, “देखो, वह उकाब सा उड़ेगा और मोआब के ऊपर अपने पंख फैलाएगा।

41करिय्‍योत ले लिया गया, और गढ़वाले नगर दूसरों के वश में पड़ गए। उस दिन मोआबी वीरों के मन जच्‍चा स्‍त्री के से हो जाएँगे;

42और मोआब ऐसा तितर-बितर हो जाएगा कि उसका दल टूट जाएगा, क्‍योंकि उसने यहोवा के विरुद्ध बड़ाई मारी है।

43यहोवा की यह वाणी है कि हे मोआब के रहनेवाले, तेरे लिये भय और गड़हा और फन्‍दे ठहराए गए हैं।

44जो कोई भय से भागे वह गड़हे में गिरेगा, और जो कोई गड़हे में से निकले, वह फन्‍दे में फँसेगा। क्‍योंकि मैं मोआब के दण्‍ड का दिन उस पर ले आऊँगा, यहोवा की यही वाणी है।

45“जो भागे हुए हैं वह हेशबोन में शरण लेकर खड़े हो गए हैं; परन्‍तु हेशबोन से आग और सीहोन के बीच से लौ निकली, जिससे मोआब देश के कोने और बलवैयों के चोण्‍डे भस्‍म हो गए हैं।

46हे मोआब तुझ पर हाय! कमोश की प्रजा नाश हो गई; क्‍योंकि तेरे स्‍त्री-पुरुष दोनों बँधुआई में गए हैं।

47तौभी यहोवा की यह वाणी है कि अन्‍त के दिनों में मैं मोआब को बँधुआई से लौटा ले आऊँगा।” मोआब के दण्‍ड का वचन यहीं तक हुआ।


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