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1ऐ फर्जन्दों! खुदावन्द में अपने माँ-बाप के फरमाँबरदार रहो, क्यूंकि ये ज़रुरी है।

2"अपने बाप और माँ की 'इज्ज़त कर (ये पहला हुक्म है जिसके साथ वा'दा भी है) "

3ताकि तेरा भला हो, और तेरी ज़मीन पर उम्र लम्बी हो|"

4ऐ औलाद वालो! तुम अपने फर्जन्दों को गुस्सा न दिलाओ, बल्कि खुदावन्द की तरफ से तरबियत और नसीहत दे देकर उनकी परवरिश करो।

5ऐ नौकरों! जो जिस्मानी तौर से तुम्हारे मालिक हैं, अपनी साफ़ दिली से डरते और काँपते हुए उनके ऐसे फरमाँबरदार रहो जैसे मसीह के;

6और आदमियों को खुश करनेवालों की तरह दिखावे के लिए खिदमत न करो, बल्कि मसीह के बन्दों की तरह दिल से ख़ुदा की मर्ज़ी पूरी करो।

7और ख़िदमत को आदमियों की नहीं बल्कि खुदावन्द की जान कर, जी से करो।

8क्यूंकि, तुम जानते हो कि जो कोई जैसा अच्छा काम करेगा, चाहे गुलाम हो या चाहे आज़ाद, खुदावन्द से वैसा ही पाएगा ।

9और ऐ मलिको! तुम भी धमकियाँ छोड़ कर उनके साथ ऐसा सुलूक करो; क्यूंकि तुम जानते हो उनका और तुम्हारा दोनों का मालिक आसमान पर है, और वो किसी का तरफदार नहीं।

10गरज़ खुदावन्द में और उसकी कुदरत के ज़ोर में मज़बूत बनो।

11ख़ुदा के सब हथियार बाँध लो ताकि तुम इब्लीस के इरादों के मुकाबिले में कायम रह सको।

12क्यूंकि हमें खून और गोश्त से कुश्ती नहीं करना है, बल्कि हुकूमतवालों और इख्तियार वालों और इस दुनिया की तारीकी के हाकिमों और शरारत की उन रूहानी फौजों से जो आसमानी मकामों में है।

13इस वास्ते तू ख़ुदा के सब हथियार बाँध लो ताकि बुरे दिन में मुकाबिला कर सको, और सब कामों को अंजाम देकर कायम रह सको।

14पस सच्चाई से अपनी कमर कसकर, और रास्तबाज़ी का बख्तर लगाकर,

15और पाँव में सुलह की खुशखबरी की तैयारी के जूते पहन कर, ।

16और उन सब के साथ ईमान की सिपर लगा कर कायम रहो, जिससे तुम उस शरीर के सब जलते हुए तीरों को बुझा सको;।

17और नजात का टोप, और रूह की तलवार, जो ख़ुदा का कलाम है ले लो;

18और हर वक़्त और हर तरह से रूह में दू'आ और मिन्नत करते रहो, और इसी गरज़ से जागते रहो कि सब मुकद्सों के वास्ते बिला नागा दू'आ किया करो,

19और मेरे लिए भी ताकि बोलने के वक़्त मुझे कलाम करने की तौफीक हो, जिससे मैं खुशखबरी के राज़ को दिलेरी से ज़ाहिर करूँ, ।

20जिसके लिए जंजीर से जकड़ा हुआ एल्ची हूँ, और उसको ऐसी दिलेरी से बयान करूँ जैसा बयान करना मुझ पर फ़र्ज़ है।

21तखिकुस जो प्यारा भाई खुदावन्द में दियानतदार ख़ादिम है, तुम्हें सब बातें बता देगा ताकि तुम भी मेरे हाल से वाक़िफ़ हो जाओ कि मैं किस तरह रहता हूँ।

22उसको मैं ने तुम्हारे पास इसी वास्ते भेजा है कि तुम हामारी हालत से वाक़िफ़ हो जाओ और वो तुम्हारे दिलों को तसल्ली दे।

23ख़ुदा बाप और खुदावन्द ईसा' मसीह की तरफ से भाइयों को इत्मीनान हासिल हो, और उनमें ईमान के साथ मुहब्बत हो।

24जो हमारे खुदावन्द ईसा' मसीह से लाज़वाल मुहब्बत रखते हैं, उन सब पर फज़ल होता रहे।


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