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1हे जाति-जाति के लोगों, सुनने के लिये निकट आओ, और हे राज्य-राज्य के लोगों, ध्‍यान से सुनो! पृथ्‍वी भी, और जो कुछ उसमें है, जगत और जो कुछ उसमें उत्‍पन्न होता है, सब सुनो।

2यहोवा सब जातियों पर क्रोध कर रहा है, और उनकी सारी सेना पर उसकी जलजलाहट भड़की हुई है, उसने उनको सत्‍यानाश होने, और संहार होने को छोड़ दिया है।

3उनके मारे हुए फेंक दिये जाएँगे, और उनकी लोथों की दुर्गन्‍ध उठेगी; उनके लहू से पहाड़ गल जाएँगे।

4आकाश के सारे गण जाते रहेंगे और आकाश कागज के समान लपेटा जाएगा। और जैसे दाखलता या अंजीर के वृक्ष के पत्ते मुर्झाकर गिर जाते हैं, वैसे ही उसके सारे गण धुँधले होकर जाते रहेंगे।

5क्‍योंकि मेरी तलवार आकाश में पीकर तृप्‍त हुई है; देखो, वह न्‍याय करने को एदोम पर, और जिन पर मेरा शाप है उन पर पड़ेगी।

6यहोवा की तलवार लहू से भर गई है, वह चर्बी से और भेड़ों के बच्‍चों और बकरों के लहू से, और मेढ़ों के गुर्दों की चर्बी से तृप्‍त हुई है। क्‍योंकि बोस्रा नगर में यहोवा का एक यज्ञ और एदोम देश में बड़ा संहार हुआ है।

7उनके संग जंगली साँढ और बछड़े और बैल वध होंगे, और उनकी भूमि लहू से भीग जाएगी और वहाँ की मिट्टी चर्बी से अघा जाएगी।

8क्‍योंकि बदला लेने को यहोवा का एक दिन और सिय्‍योन का मुकद्दमा चुकाने का एक वर्ष नियुक्‍त है।

9और एदोम की नदियाँ राल से और उसकी मिट्टी गन्‍धक से बदल जाएगी; उसकी भूमि जलती हुई राल बन जाएगी।

10वह रात-दिन न बुझेगी; उसका धूआँ सदैव उठता रहेगा। युग-युग वह उजाड़ पड़ा रहेगा; कोई उसमें से होकर कभी न चलेगा।

11उसमें धनेशपक्षी और साही पाए जाएँगे और वह उल्‍लू और कौवे का बसेरा होगा। वह उस पर गड़बड़ की डोरी और सुनसानी का साहूल तानेगा।

12वहाँ न तो रईस होंगे और न ऐसा कोई होगा जो राज्‍य करने को ठहराया जाए; उसके सब हाकिमों का अन्‍त होगा।

13उसके महलों में कटीले पेड़, गढ़ों में बिच्‍छू पौधे और झाड़ उगेंगे। वह गीदड़ों का वासस्‍थान और शुतुर्मुगों का आँगन हो जाएगा।

14वहाँ निर्जल देश के जन्‍तु सियारों के संग मिलकर बसेंगे और रोंआर जन्‍तु एक दूसरे को बुलाएँगे; वहाँ लीलीत नामक जन्‍तु वासस्‍थान पाकर चैन से रहेगा।

15वहाँ उड़नेवाली सांपिन का बिल होगा; वे अण्‍डे देकर उन्‍हें सेएँगी और अपनी छाया में बटोर लेंगी; वहाँ गिद्ध अपनी साथिन के साथ इकट्ठे रहेंगे।

16यहोवा की पुस्‍तक से ढूँढ़कर पढ़ो: इनमें से एक भी बात बिना पूरा हुए न रहेगी; कोई बिना जोड़ा न रहेगा। क्‍योंकि मैंने अपने मुँह से यह आज्ञा दी है और उसी की आत्‍मा ने उन्‍हें इकट्ठा किया है।

17उसी ने उनके लिये चिट्ठी डाली, उसी ने अपने हाथ से डोरी डालकर उस देश को उनके लिये बाँट दिया है; वह सर्वदा उनका ही बना रहेगा और वे पीढ़ी से पीढ़ी तक उसमें बसे रहेंगे।


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