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1“वे कहते हैं, ‘यदि कोई अपनी पत्‍नी को त्‍याग दे, और वह उसके पास से जाकर दूसरे पुरुष की हो जाए, तो वह पहला क्‍या उसके पास फिर जाएगा?’ क्‍या वह देश अति अशुद्ध न हो जाएगा? यहोवा की यह वाणी है कि तूने बहुत से प्रेमियों के साथ व्‍यभिचार किया है, क्‍या तू अब मेरी ओर फिरेगी?

2मुण्‍डे टीलों की ओर आँखें उठाकर देख ! ऐसा कौन सा स्‍थान है जहाँ तूने कुकर्म न किया हो? मार्गो में तू ऐसी बैठी जैसे एक अरबी जंगल में। तूने देश को अपने व्‍यभिचार से अशुद्ध कर दिया है।

3इसी कारण झड़ियाँ और बरसात की पिछली वर्षा नहीं होती; तौभी तेरा माथा वेश्‍या का सा है, तू लज्‍जित होना ही नहीं जानती।

4क्‍या तू अब मुझे पुकारकर कहेगी, ‘हे मेरे पिता, तू ही मेरी जवानी का साथी है?

5क्‍या वह मन में सदा क्रोध रखे रहेगा? क्‍या वह उसको सदा बनाए रहेगा?’ तूने ऐसा कहा तो है, परन्‍तु तूने बुरे काम प्रबलता के साथ किए हैं।”

6फिर योशिय्‍याह राजा के दिनों में यहोवा ने मुझसे यह भी कहा, “क्‍या तूने देखा कि भटकनेवाली इस्राएल ने क्‍या किया है? उसने सब ऊँचे पहाड़ों पर और सब हरे पेड़ों के तले जा जाकर व्‍यभिचार किया है।

7तब मैंने सोचा, जब ये सब काम वह कर चुके तब मेरी ओर फिरेगी; परन्‍तु वह न फिरी, और उसकी विश्‍वासघाती बहन यहूदा ने यह देखा।

8फिर मैंने देखा, जब मैंने भटकनेवाली इस्राएल को उसके व्‍यभिचार करने के कारण त्‍यागकर उसे त्‍यागपत्र दे दिया; तौभी उसकी विश्‍वासघाती बहन यहूदा न डरी, वरन् जाकर वह भी व्‍यभिचारिणी बन गई।

9उसके निर्लज्‍ज-व्‍यभिचारिणी होने के कारण देश भी अशुद्ध हो गया, उसने पत्‍थर और काठ के साथ भी व्‍यभिचार किया।

10इतने पर भी उसकी विश्‍वासघाती बहन यहूदा पूर्ण मन से मेरी ओर नहीं फिरी, परन्‍तु कपट से, यहोवा की यही वाणी है।”

11यहोवा ने मुझसे कहा, “भटकनेवाली इस्राएल, विश्‍वासघातिन यहूदा से कम दोषी निकली है।

12तू जाकर उत्‍तर दिशा में ये बातें प्रचार कर, ‘यहोवा की यह वाणी है, हे भटकनेवाली इस्राएल लौट आ, मैं तुझ पर क्रोध की दृष्‍टि न करूँगा; क्‍योंकि यहोवा की यह वाणी है, मैं करुणामय हूँ; मैं सर्वदा क्रोध न रखे रहूँगा।

13केवल अपना यह अधर्म मान ले कि तू अपने परमेश्‍वर यहोवा से फिर गई और सब हरे पेड़ों के तले इधर-उधर दूसरों के पास गई, और मेरी बातों को नहीं माना, यहोवा की यह वाणी है।

14“हे भटकनेवाले लड़को लौट आओ, क्‍योंकि मैं तुम्‍हारा स्‍वामी हूँ; यहोवा की यह वाणी है। तुम्‍हारे प्रत्‍येक नगर पीछे एक, और प्रत्‍येक कुल पीछे दो को लेकर मैं सिय्‍योन में पहुँचा दूँगा।

15“मैं तुम्‍हें अपने मन के अनुकूल चरवाहे दूँगा, जो ज्ञान और बुद्धि से तुम्‍हें चराएँगे।

16उन दिनों में जब तुम इस देश में बढ़ो, और फूलो-फलो, तब लोग फिर ऐसा न कहेंगे, ‘यहोवा की वाचा का सन्‍दूक’; यहोवा की यह भी वाणी है। उसका विचार भी उनके मन में न आएगा, न लोग उसके न रहने से चिन्‍ता करेंगे; और न उसकी मरम्‍मत होगी।

17उस समय यरूशलेम यहोवा का सिंहासन कहलाएगा, और सब जातियाँ उसी यरूशलेम में मेरे नाम के निमित्‍त इकट्ठी हुआ करेंगी, और, वे फिर अपने बुरे मन के हठ पर न चलेंगी।

18उन दिनों में यहूदा का घराना इस्राएल के घराने के साथ चलेगा और वे दोनों मिलकर उत्‍तर के देश से इस देश में आएँगे जिसे मैंने उनके पूर्वजों को निज भाग करके दिया था।

19“मैंने सोचा था, मैं कैसे तुझे लड़कों में गिनकर वह मनभावना देश दूँ जो सब जातियों के देशों का शिरोमणि है। मैंने सोचा कि तू मुझे पिता कहेगी, और मुझसे फिर न भटकेगी।(1 पत. 1:17)

20इसमें तो सन्‍देह नहीं कि जैसे विश्‍वासघाती स्‍त्री अपने प्रिय से मन फेर लेती है, वैसे ही हे इस्राएल के घराने, तू मुझसे फिर गया है, यहोवा की यही वाणी है’।”

21मुण्‍डे टीलों पर से इस्राएलियों के रोने और गिड़गिड़ाने का शब्‍द सुनाई दे रहा है, क्‍योंकि वे टेढ़ी चाल चलते रहे हैं और अपने परमेश्‍वर यहोवा को भूल गए हैं।

22“हे भटकनेवाले लड़को, लौट आओ, मैं तुम्‍हारा भटकना सुधार दूँगा। देख, हम तेरे पास आए हैं; क्‍योंकि तू ही हमारा परमेश्‍वर यहोवा है।

23निश्चय पहाड़ों और पहाड़ियों पर का कोलाहल व्‍यर्थ ही है। इस्राएल का उद्धार निश्‍चय हमारे परमेश्‍वर यहोवा ही के द्वारा है।

24परन्‍तु हमारी जवानी ही से उस बदनामी की वस्‍तु ने हमारे पुरखाओं की कमाई अर्थात् उनकी भेड़-बकरी और गाय-बैल और उनके बेटे-बेटियों को निगल लिया है।

25हम लज्‍जित होकर लेट जाएँ, और हमारा संकोच हमारी ओढ़नी बन जाए; क्‍योंकि हमारे पुरखा और हम भी युवा अवस्‍था से लेकर आज के दिन तक अपने परमेश्‍वर यहोवा के विरुद्ध पाप करते आए हैं; और हमने अपने परमेश्‍वर यहोवा की बातों को नहीं माना है।”


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