Bible 2 India Mobile
[VER] : [HINDI]     [PL]  [PB] 
 <<  Job 24 >> 

1“सर्वशक्तिमान ने समय क्‍यों नहीं ठहराया, और जो लोग उसका ज्ञान रखते हैं वे उसके दिन क्‍यों देखने नहीं पाते?

2कुछ लोग भूमि की सीमा को बढ़ाते, और भेड़-बकरियाँ छीनकर चराते हैं।

3वे अनाथों का गदहा हाँक ले जाते, और विधवा का बैल बन्‍धक कर रखते हैं।

4वे दरिद्र लोगों को मार्ग से हटा देते, और देश के दीनों को इकट्ठे छिपना पड़ता है।

5देखो, वे जंगली गदहों की नाईं अपने काम को और कुछ भोजन यत्‍न से** ढूँढ़ने को निकल जाते हैं; उनके बच्चों का भोजन उनको जंगल से मिलता है।

6उनको खेत में चारा काटना, और दुष्‍टों की बची बचाई दाख बटोरना पड़ता है।

7रात को उन्‍हें बिना वस्‍त्र नंगे पड़े रहना और जाड़े के समय बिना ओढ़े पड़े रहना पड़ता है।

8वे पहाड़ों पर की वर्षा से भीगे रहते, और शरण न पाकर चट्टान से लिपट जाते हैं।

9कुछ लोग अनाथ बालक को माँ की छाती पर से छीन लेते हैं, और दीन लोगों से बन्‍धक लेते हैं।

10जिस से वे बिना वस्‍त्र नंगे फिरते हैं; और भूख के मारे, पूलियाँ ढोते हैं।

11वे उनकी भीतों के भीतर तेल पेरते और उनके कुण्डों में दाख रौंदते हुए भी प्‍यासे रहते हैं।

12वे बड़े नगर में कराहते हैं, और घायल किए हुओं का जी दोहाई देता है; परन्‍तु परमेश्वर मूर्खता का हिसाब नहीं लेता।

13“फिर कुछ लोग उजियाले से बैर रखते, वे उसके मार्गो को नहीं पहचानते, और न उसके मार्गो में बने रहते हैं।

14खूनी, पह फटते ही उठकर दीन दरिद्र मनुष्‍य को घात करता, और रात को चोर बन जाता है।

15व्‍यभिचारी यह सोचकर कि कोई मुझ को देखने न पाए, दिन डूबने की राह देखता रहता है, और वह अपना मुँह छिपाए भी रखता है।

16वे अन्‍धियारे के समय घरों में सेंध मारते और दिन को छिपे रहते हैं; वे उजियाले को जानते भी नहीं।

17इसलिये उन सभों को भोर का प्रकाश घोर अन्‍धकार सा जान पड़ता है, क्‍योंकि घोर अन्‍धकार का भय वे जानते हैं।”

18“वे जल के ऊपर हल्की सी वस्‍तु के सरीखे हैं, उनके भाग को पृथ्‍वी के रहनेवाले कोसते हैं, और वे अपनी दाख की बारियों में लौटने नहीं पाते।

19जैसे सूखे और धूप से हिम का जल सूख जाता है वैसे ही पापी लोग अधोलोक में सूख जाते हैं।

20माता भी उसको भूल जाती, और कीड़े उसे चूसते हें, भविष्‍य में उसका स्‍मरण न रहेगा; इस रीति टेढ़ा काम करनेवाला वृक्ष की नाई कट जाता है।

21वह बांझ स्‍त्री को जो कभी नहीं जनी लूटता, और विधवा से भलाई करना नहीं चाहता है।

22बलात्‍कारियों को भी परमेश्वर अपनी शक्ति से खींच लेता है, जो जीवित रहने की आशा नहीं रखता, वह भी फिर उठ बैठता है।

23उन्‍हें ऐसे बेखटके कर देता है, कि वे सम्‍भले रहते हैं; और उसकी कृपादृष्‍टि उनकी चाल पर लगी रहती है।

24वे बढ़ते हैं, तब थोड़ी देर में जाते रहते हैं, वे दबाए जाते और सभों की नाई रख लिये जाते हैं, और अनाज की बाल की नाई काटे जाते हैं।

25क्‍या यह सब सच नहीं ! कौन मुझे झुठलाएगा? कौन मेरी बातें निकम्‍मी ठहराएगा?”


  Share Facebook  |  Share Twitter

 <<  Job 24 >> 


Bible2india.com
© 2010-2024
Help
Dual Panel

Laporan Masalah/Saran