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1तब इस्राएल के सब गोत्र दाऊद के पास हेब्रोन में आकर कहने लगे, “सुन, हम लोग और तू एक ही हाड़ माँस हैं।

2फिर भूतकाल में जब शाऊल हमारा राजा था, तब भी इस्राएल का अगुवा तू ही था; और यहोवा ने तुझ से कहा, ‘मेरी प्रजा इस्राएल का चरवाहा, और इस्राएल का प्रधान तू ही होगा’।”(मत्ती. 2:6)

3अत: सब इस्राएली पुरनिये हेब्रोन में राजा के पास आए; और दाऊद राजा ने उनके साथ हेब्रोन में यहोवा के सामने वाचा बान्‍धी, और उन्होंने इस्राएल का राजा होने के लिये दाऊद का अभिषेक किया।

4दाऊद तीस वर्ष का होकर राज्‍य करने लगा, और चालीस वर्ष तक राज्‍य करता रहा।

5साढ़े सात वर्ष तक तो उसने हेब्रोन में यहूदा पर राज्‍य किया, और तैंतीस वर्ष तक यरूशलेम में समस्‍त इस्राएल और यहूदा पर राज्‍य किया।

6तब राजा ने अपने जनों को साथ लिए हुए यरूशलेम को जाकर यबूसियों पर चढ़ाई की, जो उस देश के निवासी थे। उन्होंने यह समझकर, कि दाऊद यहाँ पैठ न सकेगा, उससे कहा, “जब तक तू अन्‍धों और लंगड़ों को दूर न करे, तब तक यहाँ घुसने न पाएगा।”

7तौभी दाऊद ने सिय्‍योन नाम गढ़ को ले लिया, वही दाऊदपुर भी कहलाता है।

8उस दिन दाऊद ने कहा, “जो कोई यबूसियों को मारना चाहे, उसे चाहिये कि नाले से होकर चढ़े, और अन्‍धे और लंगड़े जिन से दाऊद मन से घिन करता है उन्‍हें मारे।” इस से यह कहावत चली, “अन्‍धे और लगड़े भवन में आने न पाएँगे।”

9और दाऊद उस गढ़ में रहने लगा, और उसका नाम दाऊदपुर रखा। और दाऊद ने चारों ओर मिल्‍लो से लेकर भीतर की ओर शहरपनाह बनवाई।

10और दाऊद की बड़ाई अधिक होती गई, और सेनाओं का परमेश्‍वर यहोवा उसके संग रहता था।

11और सोर के राजा हीराम ने दाऊद के पास दूत, और देवदारू की लकड़ी, और बढ़ई, और राजमिस्‍त्री भेजे, और उन्होंने दाऊद के लिये एक भवन बनाया।

12और दाऊद को निश्‍चय हो गया कि यहोवा ने मुझे इस्राएल का राजा करके स्‍थिर किया, और अपनी इस्राएली प्रजा के निमित्‍त मेरा राज्‍य बढ़ाया है।

13जब दाऊद हेब्रोन से आया तब उसके बाद उसने यरूशलेम की और रखेलियाँ रख लीं, और पत्‍नियाँ बना लीं; और उसके और बेटे बेटियाँ उत्‍पन्न हुई।

14उसके जो सन्‍तान यरूशलेम में उत्‍पन्न हुए, उनके ये नाम हैं, अर्थात् शम्‍मू, शोबाब, नातान, सुलैमान,(लूका 3:31)

15यिभार, एलोशू, नेपेग, यापी,

16एलीशामा, एल्‍यादा, और एलीपेलेत।

17जब पलिश्‍तियों ने यह सुना कि इस्राएल का राजा होने के लिये दाऊद का अभिषेक हुआ, तब सब पलिश्‍ती दाऊद की खोज में निकले; यह सुनकर दाऊद गढ़ में चला गया।

18तब पलिश्‍ती आकर रपाईम नाम तराई में फैल गए।

19तब दाऊद ने यहोवा से पूछा, “क्‍या मैं पलिश्‍तियों पर चढ़ाई करूँ? क्‍या तू उन्‍हें मेरे हाथ मे कर देगा?” यहोवा ने दाऊद से कहा, “चढ़ाई कर; क्‍योंकि मैं निश्‍चय पलिश्‍तियों को तेरे हाथ कर दूँगा।”

20तब दाऊद बालपरासीम को गया, और दाऊद ने उन्‍हें वहीं मारा; तब उसने कहा, “यहोवा मेरे सामने होकर मेरे शत्रुओं पर जल की धारा के समान टूट पड़ा है।” इस कारण उसने उस स्‍थान का नाम बालपरासीम रखा।

21वहाँ उन्होंने अपनी मूरतों को छोड़ दिया, और दाऊद और उसके जन उन्‍हें उठा ले गए।

22फिर दूसरी बार पलिश्‍ती चढ़ाई करके रपाईम नाम तराई में फैल गए।

23जब दाऊद ने यहोवा से पूछा, तब उसने कहा, “चढ़ाई न कर; उनके पीछे से घूमकर तूत वृक्षों के सामने से उन पर छापा मार।

24और जब तूत वृक्षों की फुनगियों में से सेना के चलने की सी आहट तुझे सुनाई पड़े, तब यह जानकर फुर्ती करना, कि यहोवा पलिश्‍तियों की सेना को मारने को मेरे आगे अभी पधारा है।”

25यहोवा की इस आज्ञा के अनुसार दाऊद गेबा से लेकर गेजेर तक पलिश्‍तियों को मारता गया।


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