1जब ये सब काम हो चुके तो सरदारों ने मेरे पास आकर कहा कि इस्राईल के लोग से अलग नहीं रहे, क्यूँकि कना'नियों और हित्तियों और फ़रिज्ज़ियों और यबूसियों 'अम्मोनियों और मोआबियों और मिस्त्रियों और अमोरियों के से नफ़रती काम करते है।
2चुनाँचे उन्होंने अपने और अपने बेटों के लिए उनकी बेटियाँ ली हैं; सो मुक़द्दस नस्ल इन अतराफ़ की कौमों के साथ खल्त-मल्त हो गई, और सरदारों और हाकिमों का हाथ इस बदकारी में सब से बढ़ा हुआ है।
3जब मैंने ये बात सुनी तो अपने पैराहन और अपनी चादर को चाक किया, और सिर और दाढ़ी के बाल नोचे और हैरान हो बैठा।
4तब वह सब जो इस्राईल के ख़ुदा की बातों से काँपते थे, असीरों की इस बदकारी के बाइस मेरे पास जमा' हुए; और मैं शाम की क़ुर्बानी तक हैरान बैठा रहा।
5और शाम की क़ुर्बानी के वक़्त मैं अपना फटा पैराहन पहिने, और अपनी फटी चादर ओढ़े हुए अपनी शर्मिन्दगी की हालत से उठा, और अपने घुटनों पर गिर कर ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा की तरफ़ अपने हाथ फैलाए,
6और कहा,ऐ मेरे ख़ुदा, मैं शर्मिन्दा हूँ, और तेरी तरफ़, ऐ मेरे ख़ुदा, अपना मुँह उठाते मुझे लाज आती है; क्यूँकि हमारे गुनाह बढ़ते बढ़ते हमारे सिर से बलन्द हो गए, और हमारी खताकारी आसमान तक पहुँच गई है।
7अपने बाप-दादा के वक़्त से आज तक हम बड़े ख़ताकार रहे; और अपनी बदकारी के बा'इस हम और हमारे बादशाह और हमारे काहिन, और मुल्कों के बादशाहों और तलवार और असीरी और ग़ारत और शर्मिन्दगी के हवाले हुए हैं, जैसा आज के दिन है।
8अब थोड़े दिनों से ख़ुदावन्द हमारे ख़ुदा की तरफ़ से हम पर फ़ज़ल हुआ है, ताकि हमारा कुछ बकिया बच निकलने की छूटे, और उसके मकान-ए- मुक़द्दस में हम को एक खूंटी मिले,और हमारा ख़ुदा हमारी आँखें रोशन करे और हमारी ग़ुलामी में हम को कुछ ताज़गी बख़्शे।
9क्यूँके हम तो ग़ुलाम हैं पर हमारे ख़ुदा ने हमारी ग़ुलामी में हम को छोड़ा नहीं, बल्कि हम को ताज़गी बख़्शने और अपने ख़ुदा के घर को बनाने और उसके खण्डरों की मरमत करने, और यहूदाह और यरूशलीम में हम को शहर-ए-पनाह देने को फ़ारस के बादशाहों के सामने हम पर रहमत की।
10और अब ऐ हमारे ख़ुदा, हम इसके बा'द क्या कहें? क्यूँकि हम ने तेरे उन हुक्मों को तर्क कर दिया है,
11जो तू ने अपने ख़ादिमों यानी नबियों की मारिफ़त फ़रमाए, 'वह मुल्क जिसे तुम मीरास में लेने को जाते हो और मुल्कों की क़ौमों की नजासत और नफ़रती कामों के सबब से नापाक मुल्क है, क्यूँकि उन्होंने अपनी नापाकी से उसको इस सिरे से उस सिरे तक भर दिया है।
12सो तुम अपनी बेटियाँ उनके बेटों को न देना और उनकी बेटियाँ अपने बेटों के लिए न लेना, और न कभी उनकी सलामती या इकबालमन्दी चाहना, ताकि तुम मज़बूत बनो और उस मुल्क की अच्छी अच्छी चीजें खाओ, और अपनी औलाद के वास्ते हमेशा की मीरास के लिए उसे छोड़ जाओ।
13और हमारे बुरे कामों और बड़े गुनाह के बाइस जो कुछ हम पर गुज़रा, उसके बाद ऐ हमारे ख़ुदा, दरहाल ये के तू ने हमारे गुनाहों के अन्दाज़े से हम को कम सज़ा दी और हम में से ऐसा बक़िया छोड़ा;
14क्या हम फिर तेरे हुक्मों को तोड़ें, और उन क़ौमों से नाता जोड़े जो इन नफ़रती कामों को करती हैं? क्या तू हम से ऐसा गुस्सा न होगा के हम को नेस्त-ओ-नाबूद कर दे, यहाँ तक के न कोई बकिया रहे और न कोई बचे?
15ऐ ख़ुदावन्द, इस्राईल के ख़ुदा ! तू सादिक है, क्यूँकि हम एक बक़िया हैं जो बच निकला है, जैसा आज के दिन है। देख, हम अपनी ख़ताकारी में तेरे हुज़ूर हाज़िर हैं, क्यूँकि इसी सबब से कोई तेरे हुजूर खड़ा रह नहीं सकता।