1हे मेरे परमेश्वर यहोवा, मेरा भरोसा तुझ पर है; सब पीछा करनेवालों से मुझे बचा और छुटकारा दे,
2ऐसा न हो कि वे मुझ को सिंह के समान फाड़कर टुकड़े-टुकड़े कर डालें; और कोई मेरा छुड़ानेवाला न हो।
3हे मेरे परमेश्वर यहोवा, यदि मैं ने यह किया हो, यदि मेरे हाथों से कुटिल काम हुआ हो,
4यदि मैं ने अपने मेल रखनेवालों से भलाई के बदले बुराई की हो, या मैं ने उसको जो अकारण मेरा बैरी था लूटा है
5तो शत्रु मेरे प्राण का पीछा करके मुझे आ पकड़े, और मेरे प्राण को भूमि पर रौंदे, और मेरी महिमा को मिट्टी में मिला दे। (सेला)
6हे यहोवा अपने क्रोध में उठ; क्रोध से भरे मेरे सतानेवाले के विरूद्ध तू खड़ा हो जा; मेरे लिये जाग! तू ने न्याय की आज्ञा दे दी है।
7देश-देश के लोगों की मण्डली तेरे चारों ओर हो; और तू उनके ऊपर से होकर ऊँचे स्थानों पर लौट जा।
8यहोवा जाति-जाति का न्याय करता है; यहोवा मेरे धर्म और खराई के अनुसार मेरा न्याय चुका दे।
9भला हो कि दुष्टों की बुराई का अन्त हो जाए, परन्तु धर्म को तू स्थिर कर; क्योंकि धर्मी परमेश्वर मन और मर्म का ज्ञाता है।
10मेरी ढाल परमेश्वर के हाथ में है, वह सीधे मनवालों को बचाता है।
11परमेश्वर धर्मी और न्यायी है, वरन् ऐसा ईश्वर है जो प्रतिदिन क्रोध करता है।
12यदि मनुष्य न फिरे तो वह अपनी तलवार पर सान चढ़ाएगा; वह अपना धनुष चढ़ाकर किनारे सन्धान चुका है।(लूका 13:3,5)
13और उस मनुष्य के लिये उसने मृत्यु के हथियार तैयार कर लिए हैं: वह अपने तीरों को अग्निबाण बनाता है।
14देख दुष्ट को अनर्थ काम की पीड़ाएँ हो रही हैं, उसको उत्पात का गर्भ है, और उससे झूठ उत्पन्न हुआ।
15उसने गड़हा खोदकर उसे गहरा किया, और जो खाई उसने बनाई थी उसमें वह आप ही गिरा।
16उसका उत्पात पलट कर उसी के सिर पर पड़ेगा; और उसका उपद्रव उसी के माथे पर पड़ेगा।
17मैं यहोवा के धर्म के अनुसार उसका धन्यवाद करूँगा, और परमप्रधान यहोवा के नाम का भजन गाऊँगा।