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1और सुलैमान ने यहोवा के नाम का एक भवन और अपना राजभवन बनाने का विचार किया।

2इसलिए सुलैमान ने सत्‍तर हजार बोझा ढोने वाले और अस्‍सी हजार पहाड़ से पत्‍थर काटनेवाले और वृक्ष काटनेवाले, और इन पर तीन हजार छः सौ मुखिये गिनती करके ठहराए।

3तब सुलैमान ने सोर के राजा हूराम के पास कहला भेजा, “जैसा तूने मेरे पिता दाऊद से बर्ताव किया, अर्थात् उसके रहने का भवन बनाने को देवदार भेजे थे, वैसा ही अब मुझसे भी बर्ताव कर।

4देख, मैं अपने परमेश्‍वर यहोवा के नाम का एक भवन बनाने पर हूँ, कि उसे उसके लिये पवित्र करूँ और उसके सम्‍मुख सुगन्धित धूप जलाऊँ, और नित्‍य भेंट की रोटी उसमें रखी जाए; और प्रतिदिन सबेरे और साँझ को, और विश्राम और नये चाँद के दिनों में और हमारे परमेश्‍वर यहोवा के सब नियत पर्वों में होमबलि चढ़ाया जाए। इस्राएल के लिये ऐसी ही सदा की विधि है।

5जो भवन मैं बनाने पर हूँ, वह महान होगा; क्‍योंकि हमारा परमेश्‍वर सब देवताओं में महान है।

6परन्‍तु किसकी इतनी शक्ति है, कि उसके लिये भवन बनाए, वह तो स्‍वर्ग में वरन् सब से ऊँचे स्‍वर्ग में भी नहीं समाता? मैं क्‍या हूँ कि उसके सामने धूप जलाने को छोड़ और किसी विचार से उसका भवन बनाऊँ?

7इसलिये अब तू मेरे पास एक ऐसा मनुष्‍य भेज दे, जो सोने, चाँदी, पीतल, लोहे और बैंजनी, लाल और नीले कपड़े की कारीगरी में निपुण हो और नक्‍काशी भी जानता हो, कि वह मेरे पिता दाऊद के ठहराए हुए निपुण मनुष्‍यों के साथ होकर जो मेरे पास यहूदा और यरूशलेम में रहते हैं, काम करे।

8फिर लबानोन से मेरे पास देवदार, सनोवर और चंदन की लकड़ी भेजना, क्‍योंकि मैं जानता हूँ कि तेरे दास लबानोन में वृक्ष काटना जानते हैं, और तेरे दासों के संग मेरे दास भी रहकर,

9मेरे लिये बहुत सी लकड़ी तैयार करेंगे, क्‍योंकि जो भवन मैं बनाना चाहता हूँ, वह बड़ा और अचम्‍भे के योग्‍य होगा।

10तेरे दास जो लकड़ी काटेंगे, उनको मैं बीस हजार कोर कूटा हुआ गेहूँ, बीस हजार कोर जव, बीस हजार बत दाखमधु और बीस हजार बत तेल दूँगा।”

11तब सोर के राजा हूराम ने चिट्ठी लिखकर सुलैमान के पास भेजी, “यहोवा अपनी प्रजा से प्रेम रखता है, इससे उसने तुझे उनका राजा कर दिया।”

12फिर हूराम ने यह भी लिखा, “धन्‍य है इस्राएल का परमेश्‍वर यहोवा, जो आकाश और पृथ्‍वी का सृजनहार है, और उसने दाऊद राजा को एक बुद्धिमान, चतुर और समझदार पुत्र दिया है, ताकि वह यहोवा का एक भवन और अपना राजभवन भी बनाए।

13इसलिये अब मैं एक बुद्धिमान और समझदार पुरुष को, अर्थात् हूराम-अबी को भेजता हूँ,

14जो एक दानी स्‍त्री का बेटा है, और उसका पिता सोर का था। और वह सोने, चाँदी, पीतल, लोहे, पत्‍थर, लकड़ी, बैंजनी और नीले और लाल और सूक्ष्म सन के कपड़े का काम, और सब प्रकार की नक्‍काशी को जानता और सब भाँति की कारीगरी बना सकता है: इसलिये तेरे चतुर मनुष्‍यों के संग, और मेरे प्रभु तेरे पिता दाऊद के चतुर मनुष्‍यों के संग, उसको भी काम मिले।

15और मेरे प्रभु ने जो गेहूँ, जव, तेल और दाखमधु भेजने की चर्चा की है, उसे अपने दासों के पास भिजवा दे।

16और हम लोग जितनी लकड़ी का तुझे प्रयोजन हो उतनी लबानोन पर से काटेंगे, और बेड़े बनवाकर समुद्र के मार्ग से जापा को पहुँचाएँगे, और तू उसे यरूशलेम को ले जाना।”

17तब सुलैमान ने इस्राएली देश के सब परदेशियों की गिनती ली, यह उस गिनती के बाद हुई जो उसके पिता दाऊद ने ली थी; और वे एक लाख त्रिपन्न हजार छ: सौ पुरुष निकले।

18उनमें से उसने सत्‍तर हजार बोझा ढोने वाले, अस्‍सी हजार पहाड़ पर पत्‍थर काटनेवाले और वृक्ष काटनेवाले और तीन हजार छ: सौ उन लोगों से काम करानेवाले मुखिये नियुक्‍त किए।


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