1हिज़क़ियाह पच्चीस बरस का था जब वह सल्तनत करने लगा, और उसने उन्तीस बरस यरूशलीम में सल्तनत की। उसकी माँ का नाम अबियाह था, जो ज़करियाह की बेटी थी।
2उसने वही काम जो ख़ुदावन्द की नज़र में दुरुस्त है, ठीक उसी के मुताबिक़ जो उसके बाप-दादा ने किया था, किया।
3उसने अपनी सल्तनत के पहले बरस के पहले महीने में, ख़ुदावन्द के घर के दरवाज़ों को खोला और उनकी मरम्मत की।
4और वह काहिनों और लावियों को ले आया और उनको मशरिक़ की तरफ़ मैदान में इकट्ठा किया,
5और उनसे कहा, "ऐ लावियो, मेरी सुनो ! तुम अब अपने को पाक करो और ख़ुदावन्द अपने बाप-दादा के ख़ुदा के घर को पाक करो, और इस पाक मक़ाम में से सारी नजासत को निकाल डालो;
6क्यूँकि हमारे बाप-दादा ने गुनाह किया और जो ख़ुदावन्द हमारे ख़ुदा की नज़र में बुरा है वही किया, और ख़ुदा को छोड़ दिया और ख़ुदावन्द के मस्कन से मुँह फेर लिया और अपनी पीठ उसकी तरफ़ कर दी
7और उसारे के दरवाज़ों को भी बन्द कर दिया, और चिराग़ बुझा दिए, और इस्राईल के ख़ुदा के मक़दिस में न तो बख़ूर जलाया और न सोख़्तनी कुर्बानियाँ चढ़ाई
8इस सबब से ख़ुदावन्द का क़हर यहूदाह और यरूशलीम पर नाज़िल हुआ, और उसने उनको ऐसा हवाले किया के मारे मारे फिरें और हैरत और सुसकार का बाइस हों, जैसा तुम अपनी आँखों से देखते हो।
9देखो, इसी सबब से हमारे बाप-दादा तलवार से मारे गए, और हमारे बेटे बेटियाँ और हमारी बीवियाँ असीरी में हैं।
10अब मेरे दिल में है के ख़ुदावन्द इस्राईल के ख़ुदा के साथ 'अहद बाँधूं, ताकि उसका कहर-ए-शदीद हम पर से टल जाए।
11ऐ मेरे फ़र्ज़न्दो, तुम अब ग़ाफ़िल न रहो; क्यूँकि ख़ुदावन्द ने तुम को चुन लिया है के उसके उसके ख़ादिम बनो और बख़ूर जलाओ।
12तब ये लावी उठे : या'नी बनी क़िहात में से महत बिन 'अमासी और यूएल बिन 'अज़रियाह, और बनी मिरारी में से कीस बिन अबदी और अज़रियाह बिन यहलीएल और जैरसोनियों में से यूआख़ बिन ज़िम्मा और 'अदन बिन यूआख़,
13और बनी इलीसफ़न में से सिमरी और य'ऊएल, और बनी आसफ़ में से ज़करियाह और मत्तनियाह,
14और बनी हैमान में से यहीएल और सिमई, और बनी यदूतून में से समा'याह और 'उज़िएल।
15और उन्होंने अपने भाइयों को इकट्ठा करके अपने को पाक किया, और बादशाह के हुक्म के मुवाफ़िक़ जो ख़ुदावन्द के कलाम के मुताबिक़ था, ख़ुदावन्द के घर को पाक करने के लिए अन्दर गए।
16और काहिन ख़ुदावन्द के घर के अन्दरूनी हिस्से में उसे पाक-साफ़ करने को दाख़िल हुए, और सारी नजासत को जो ख़ुदावन्द की हैकल में उनको मिली निकाल कर बाहर ख़ुदावन्द के घर के सहन में ले आए, और लावियों ने उसे उठा लिया ताकि उसे बाहर किद्रून के नाले में पहुँचा दें।
17पहले महीने की पहली तारीख़ को उन्होंने तक्दीस का काम शुरू किया, और उस महीने की आठवीं तारीख को ख़ुदावन्द के उसारे तक पहुँचे, और उन्होंने आठ दिन में ख़ुदावन्द के घर को पाक किया; सो पहले महीने की सोलहवीं तारीख़ को उसे तमाम किया।
18तब उन्होंने महल के अन्दर हिज़क़ियाह बादशाह के पास जाकर कहा कि हमने ख़ुदावन्द के सारे घर को, और सोख़्तनी क़ुर्बानी के मज़बह को और उसके सब जुरूफ़ को, और नज़्र की रोटियों की मेज़ को और उसके सब जुरूफ़ को पाक-साफ़ कर दिया।
19इसके सिवा हम ने उन सब जुरूफ़ को जिनकी आख़ज़ बादशाह ने अपने दौर-ए-सल्तनत में खता करके रद्द कर दिया था, फिर तैयार करके उनको मुक़द्दस किया है, और देख, वह ख़ुदावन्द के मज़बह के सामने हैं।"
20तब हिज़क़ियाह बादशाह सवेरे उठकर और शहर के रईसों को फ़राहम करके ख़ुदावन्द के घर को गया।
21और वह सात बैल और सात मेंढ़े और सात बर्रे और सात बकरे ममलुकत के लिए और मक़दिस के लिए और यहूदाह के लिए ख़ता की क़ुर्बानी के वास्ते ले आए, और उसने काहिनों या'नी बनी हारून को हुक्म किया के उनको ख़ुदावन्द के मज़बह पर चढ़ाएँ।
22सो उन्होंने बैलों को ज़बह किया और काहिनों ने ख़ून को लेकर उसे मज़बह पर छिड़का, फिर उन्होंने मेंढों को ज़बह किया और ख़ून को मज़बह पर छिड़का, और बर्रों को भी ज़बह किया और ख़ून मज़बह पर छिड़का।
23और वह ख़ता की क़ुर्बानी के बकरों को बादशाह और जमा'अत के आगे नज़दीक ले आए और उन्होंने अपने हाथ उन पर रखे।
24फिर काहिनों ने उनको ज़बह किया और उनके ख़ून को मज़बह पर छिड़क कर ख़ता की क़ुर्बानी की, ताकि सारे इस्राईल के लिए कफ़्फ़ारा हो; क्यूँकि बादशाह ने फ़रमाया था कि सोख़्तनी क़ुर्बानी और ख़ता की क़ुर्बानी सारे इस्राईल के लिए चढ़ाई जाएँ।
25और उसने दाऊद और बादशाह के गैबबीन जाद और नातन नबी के हुक्म के मुताबिक़ ख़ुदावन्द के घर में लावियों को झाँझ और सितार और बरबत के साथ मुक़र्रर किया, क्यूँकि ये नबियों की मा'रिफ़त ख़ुदावन्द का हुक्म था।
26और लावी दाऊद के बाजों को और काहिन नरसिंगों को लेकर खड़े हुए,
27और हिज़क़ियाह ने मज़बह पर सोख़्तनी क़ुर्बानी चढ़ाने का हुक्म दिया, और जब सोख़तनी क़ुर्बानी शुरू' हुई तो ख़ुदावन्द का गीत भी नरसिंगों और शाह-ए-इस्राईल दाऊद के बाजों के साथ शुरू' हुआ,
28और सारी जमा'अत ने सिज्दा किया, और गानेवाले गाने और नरसिंगे वाले नरसिंगे फूंकने लगे। जब तक सोख़्तनी क़ुर्बानी जल न चुकी, ये सब होता रहा;
29और जब वह क़ुर्बानी चढ़ा चुके, तो बादशाह और उसके साथ सब हाज़रीन ने झुक कर सिज्दा किया।
30फिर हिज़क़ियाह बादशाह और रईसों ने लावियों को हुक्म किया कि दाऊद और आसफ़ गैबबीन के गीत गाकर ख़ुदावन्द की हम्द करें; और उन्होंने ख़ुशी से मदहसराई की और सिर झुकाए और सिज्दा किया।
31और हिज़क़ियाह कहने लगा, "अब तुम ने अपने आपको ख़ुदावन्द के लिए पाक कर लिया है। सो नज़दीक आओ, और ख़ुदावन्द के घर में ज़बीहे और शुक्रगुज़ारी की कुर्बानियाँ लाओ।" तब जमा'अत ज़बीहे और शुक्रगुज़ारी की कुर्बानियाँ लाई, और जितने दिल से राज़ी थे सोख़्तनी कुर्बानियाँ लाए।
32और सोख़्तनी कुर्बानियों का शुमार जो जमा'अत लाई ये था : सत्तर बैल और सौ मेंढे और दो सौ बर्रे, ये सब ख़ुदावन्द की सोख़्तनी क़ुर्बानी के लिए थे।
33और मुक़द्दस किए हुए जानवर ये थे : छ:सौ बैल और तीन हज़ार भेड़-बकरियाँ।
34मगर काहिन ऐसे थोड़े थे कि वह सारी सोख़्तनी क़ुर्बानी के जानवरों की खालें उतार न सके, इसलिए उनके भाई लावियों ने उनकी मदद की जब तक काम तमाम न हो गया; और काहिनों ने अपने को पाक न कर लिया, क्यूँकि लावी अपने आपको पाक करने में काहिनों से ज़्यादा रास्त दिल थे।
35और सोख़्तनी क़ुर्बानियाँ भी कसरत से थीं, और उनके साथ सलामती की कुर्बानियों की चर्बी और सोख़्तनी क़ुर्बानियों के तपावन थे। यूँ ख़ुदावन्द के घर की ख़िदमत की तरतीब दुरुस्त हुई।
36और हिज़क़ियाह और सब लोग उस काम के सबब से, जो ख़ुदा ने लोगों के लिए तैयार किया था, बाग़ बाग़ हुए क्यूँकि वह काम यकबारगी किया गया था ।
<< 2 Chronicles 29 >>