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1बेल देवता झुक गया, नबो देवता नब गया है, उनकी प्रतिमाएँ पशुओं वरन् घरैलू पशुओं पर लदी हैं; जिन वस्‍तुओं को तुम उठाए फिरते थे, वे अब भारी बोझ हो गईं और थकित पशुओं पर लदी हैं।

2वे नब गए, वे एक संग झुक गए, वे उस भार को छुड़ा नहीं सके, और आप भी बँधुवाई में चले गए हैं।

3“हे याकूब के घराने, हे इस्राएल के घराने के सब बचे हुए लोगो, मेरी ओर कान लगाकर सुनो; तुम को मैं तुम्‍हारी उत्‍पत्ति ही से उठाए रहा और जन्‍म ही से लिए फिरता आया हूँ।

4तुम्‍हारे बुढ़ापे में भी मैं वैसा ही बना रहूँगा और तुम्‍हारे बाल पकने के समय तक तुम्‍हें उठाए रहूँगा। मैंने तुम्‍हें बनाया और तुम्‍हें लिए फिरता रहूँगा; मैं तुम्‍हें उठाए रहूँगा और छुड़ाता भी रहूँगा।

5“तुम किससे मेरी उपमा दोगे और मुझे किसके समान बताओगे, किससे मेरा मिलान करोगे कि हम एक समान ठहरें?

6जो थैली से सोना उण्‍डेलते या काँटे में चाँदी तौलते हैं, जो सुनार को मजदुरी देकर उससे देवता बनवाते हैं, तब वे उसे प्रणाम करते वरन् दण्‍डवत् भी करते हैं!

7वे उसको कन्‍धे पर उठाकर लिए फिरते हैं, वे उसे उसके स्‍थान में रख देते और वह वहीं खड़ा रहता है; वह अपने स्‍थान से हट नहीं सकता; यदि कोई उसकी दोहाई भी दे, तौभी न वह सुन सकता है और न विपत्ति से उसका उद्धार कर सकता है।

8“हे अपराधियो, इस बात को स्‍मरण करो और ध्‍यान दो, इस पर फिर मन लगाओ।

9प्राचीनकाल की बातें स्‍मरण करो जो आरम्‍भ ही से है,क्योंकि परमेश्वर मैं ही हूँ, दूसरा कोई नहीं; मैं ही परमेश्‍वर हूँ और मेरे तुल्‍य कोई भी नहीं है।

10मै तो अन्‍त की बात आदि से और प्राचीनकाल से उस बात को बताता आया हूँ जो अब तक नहीं हुई। मैं कहता हूँ, ‘मेरी युक्ति स्‍थिर रहेगी और मैं अपनी इच्‍छा को पूरी करूँगा।’

11मैं पूर्व से एक उकाब पक्षी को अर्थात् दूर देश से अपनी युक्ति के पूरा करनेवाले पुरूष को बुलाता हूँ। मैं ही ने यह बात कही है और उसे पूरी भी करूँगा; मैंने यह विचार बाँधा है और उसे सफल भी करूँगा।

12“हे कठोर मनवालो तुम जो धर्म से दूर हो, कान लगाकर मेरी सुनो।

13मैं अपनी धार्मिकता को समीप ले आने पर हूँ वह दूर नहीं है, और मेरे उद्धार करने में विलम्‍ब न होगा; मैं सिय्‍योन का उद्धार करूँगा और इस्राएल को महिमा दूँगा।



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