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1हे यहोवा, यदि मैं तुझसे मुक़द्दमा लड़ूँ, तौभी तू धमीं है; मुझे अपने साथ इस विषय पर वादविवाद करने दे। दुष्‍टों की चाल क्‍यों सफल होती है? क्‍या कारण है कि विश्‍वासघाती बहुत सुख से रहते हैं?

2तू उनको बोता और वे जड़ भी पकड़ते; वे बढ़ते और फलते भी हैं; तू उनके मुँह के निकट है परन्‍तु उनके मनों से दूर है।

3हे यहोवा तू मुझे जानता है; तू मुझे देखता है, और तूने मेरे मन की परीक्षा करके देखा कि मैं तेरी ओर किस प्रकार रहता हूँ। जैसे भेड़-बकरियाँ घात होने के लिये झुण्‍ड में से निकाली जाती हैं, वैसे ही उनको भी निकाल ले और वध के दिन के लिये तैयार कर।(याकू. 5:5)

4कब तक देश विलाप करता रहेगा, और सारे मैदान की घास सूखी रहेगी? देश के निवासियों की बुराई के कारण पशु-पक्षी सब नाश हो गए हैं, क्‍योंकि उन लोगों ने कहा, “वह हमारे अन्‍त को न देखेगा।”

5“तू जो प्‍यादों ही के संग दौड़कर थक गया है तो घोड़ों के संग क्‍योंकर बराबरी कर सकेगा? और यद्यपि तू शान्‍ति के इस देश में निडर है, परन्‍तु यरदन के आसपास के घने जंगल में तू क्‍या करेगा?

6क्‍योंकि तेरे भाई और तेरे घराने के लोगों ने भी तेरा विश्‍वासघात किया है; वे तेरे पीछे ललकारते हैं, यदि वे तुझसे मीठी बातें भी कहें, तौभी उनकी प्रतीति न करना।”

7“मैंने अपना घर छोड़ दिया, अपना निज भाग मैंने त्‍याग दिया है; मैंने अपनी प्राणप्रिया को शत्रुओं के वश में कर दिया है।

8क्‍योंकि मेरा निज भाग मेरे देखने में वन के सिंह के समान हो गया और मेरे विरुद्ध गरजा है; इस कारण मैंने उससे बैर किया है।

9क्‍या मेरा निज भाग मेरी दृष्‍टि में चित्‍तीवाले शिकारी पक्षी के समान नहीं है? क्‍या शिकारी पक्षी चारों ओर से उसे घेरे हुए हैं? जाओ सब जंगली पशुओं को इकट्ठा करो; उनको लाओ कि खा जाएँ।

10बहुत से चरवाहों ने मेरी दाख की बारी को बिगाड़ दिया, उन्होंने मेरे भाग को लताड़ा, वरन् मेरे मनोहर भाग के खेत को सुनसान जंगल बना दिया है।

11उन्होंने उसको उजाड़ दिया; वह उजड़कर मेरे सामने विलाप कर रहा है। सारा देश उजड़ गया है, तौभी कोई नहीं सोचता।

12जंगल के सब मुंडे टीलों पर नाश करने वाले चढ़ आए हैं; क्‍योंकि यहोवा की तलवार देश के एक छोर से लेकर दूसरी छोर तक निगलती जाती है; किसी मनुष्‍य को शान्ति नहीं मिलती।

13उन्होंने गेहूँ तो बोया, परन्‍तु कटीले पेड़ काटे, उन्होंने कष्‍ट तो उठाया, परन्‍तु उससे कुछ लाभ न हुआ। यहोवा के क्रोध के भड़कने के कारण तुम अपने खेतों की उपज के विषय में लज्‍जित हो।”

14मेरे दुष्‍ट पड़ोसी उस भाग पर हाथ लगाते हैं, जिसका भागी मैंने अपनी प्रजा इस्राएल को बनाया है। उनके विषय यहोवा यों कहता है: “मैं उनको उनकी भूमि में से उखाड़ डालूँगा, और यहूदा के घराने को भी उनके बीच में से उखाड़ूँगा।

15उन्‍हें उखाड़ने के बाद मैं फिर उन पर दया करूँगा, और उनमें से हर एक को उसके निज़ भाग और भूमि में फिर से लगाऊँगा।(प्रेरि. 15:16)

16यदि वे मेरी प्रजा की चाल सीखकर मेरे ही नाम की सौगन्‍ध, यहोवा के जीवन की सौगन्‍ध, खाने लगें, जिस प्रकार से उन्होंने मेरी प्रजा को बाल की सौगन्‍ध खाना सिखलाया था, तब मेरी प्रजा के बीच उनका भी वंश बढ़ेगा।

17परन्‍तु यदि वे न मानें, तो मैं उस जाति को ऐसा उखाड़ूँगा कि वह फिर कभी न पनपेगी, यहोवा की यही वाणी है।”



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