Bible 2 India Mobile
[VER] : [HINDI]     [PL]  [PB] 
 <<  Psalms 53 >> 

1मूढ़ ने अपने मन में कहा है, “कोई परमेश्‍वर है ही नहीं।” वे बिगड़ गए, उन्होंने कुटिलता के घिनौने काम किए हैं; कोई सुकर्मी नहीं।

2परमेश्‍वर ने स्‍वर्ग पर से मनुष्‍यों के ऊपर दृष्‍टि की ताकि देखे कि कोई बुद्धि से चलनेवाला या परमेश्‍वर को पूछनेवाला है कि नहीं।

3वे सब के सब हट गए; सब एक साथ बिगड़ गए; कोई सुकर्मी नहीं, एक भी नहीं। क्‍या उन सब अनर्थकारियों को कुछ भी ज्ञान नहीं(भजन 14:1-3, रोमि. 3:10-12)

4जो मेरे लोगों को ऐसे खाते हैं जैसे रोटी और परमेश्‍वर का नाम नहीं लेते?

5वहाँ उन पर भय छा गया जहाँ भय का कोई कारण न था। क्‍योंकि यहोवा ने उनकी हड्डियों को, जो तेरे विरूद्ध छावनी डाले पड़े थे, तितर-बितर कर दिया; तू ने तो उन्‍हें लज्‍जित कर दिया इसलिये कि परमेश्‍वर ने उनको निकम्‍मा ठहराया है।

6भला होता कि इस्राएल का पूरा उद्धार सिय्‍योन से निकलता! जब परमेश्‍वर अपनी प्रजा को बन्‍धुवाई से लौटा ले आएगा। तब याकूब मगन और इस्राएल आनन्‍दित होगा।



 <<  Psalms 53 >> 


Bible2india.com
© 2010-2025
Help
Single Panel

Laporan Masalah/Saran