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1यहोवा परमेश्‍वर मेरी ज्‍योति और मेरा उद्धार है; मैं किस से डरूँ? यहोवा मेरे जीवन का दृढ़ गढ़ ठहरा है, मैं किस का भय खाऊँ?

2जब कुकर्मियों ने जो मुझे सताते और मुझी से बैर रखते थे, मुझे खा डालने के लिये मुझ पर चढ़ाई की, तब वे ही ठोकर खाकर गिर पड़ें।

3चाहे सेना भी मेरे विरूद्ध छावनी डाले, तौभी मैं न डरूँगा; चाहे मेरे विरूद्ध लड़ाई ठन जाए, उस दशा में भी मैं हियाव बाँधे निश्चिंत रहूँगा।

4एक वर मैं ने यहोवा से माँगा है, उसी के यत्‍न में लगा रहूँगा; कि मैं जीवन भर यहोवा के भवन में रहने पाऊँ, जिस से यहोवा की मनोहरता पर दृष्‍टि लगाए रहूँ, और उसके मन्‍दिर में ध्‍यान किया करूँ।

5क्‍योंकि वह तो मुझे विपत्ति के दिन में अपने मण्‍डप में छिपा रखेगा; अपने तम्‍बू के गुप्‍तस्‍थान में वह मुझे छिपा लेगा, और चट्टान पर चढ़ाएगा।

6अब मेरा सिर मेरे चारों ओर के शत्रुओं से ऊँचा होगा; और मैं यहोवा के तम्‍बू में जयजयकार के साथ बलिदान चढ़ाऊँगा; और उसका भजन गाऊँगा।

7हे यहोवा, मेरा शब्‍द सुन, मैं पुकारता हूँ, तू मुझ पर अनुग्रह कर और मुझे उत्तर दे।

8तू ने कहा है, “मेरे दर्शन के खोजी हो।” इसलिये मेरा मन तुझसे कहता है, “हे यहोवा, तेरे दर्शन का मैं खोजी रहूँगा।”

9अपना मुख मुझ से न छिपा। अपने दास को क्रोध करके न हटा, तू मेरा सहायक बना है। हे मेरे उद्धार करनेवाले परमेश्‍वर मुझे त्‍याग न दे, और मुझे छोड़ न दे!

10मेरे माता-पिता ने तो मुझे छोड़ दिया है, परन्‍तु यहोवा मुझे सम्‍भाल लेगा।

11हे यहोवा, अपने मार्ग में मेरी अगुवाई कर, और मेरे द्रोहियों के कारण मुझ को चौरस रास्‍ते पर ले चल।

12मुझ को मेरे सतानेवालों की इच्‍छा पर न छोड़, क्‍योंकि झूठे साक्षी जो उपद्रव करने की धुन में हैं मेरे विरूद्ध उठे हैं।

13यदि मुझे विश्‍वास न होता कि जीवितों की पृथ्‍वी पर यहोवा की भलाई को देखूँगा, तो मैं मूर्च्छित हो जाता।

14यहोवा की बाट जोहता रह; हियाव बाँध और तेरा हृदय दृढ़ रहे; हाँ, यहोवा ही की बाट जोहता रह!



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