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1हे ईश्‍वर मेरी रक्षा कर, क्‍योंकि मैं तेरा ही शरणागत हूँ।

2मैं ने परमेश्‍वर से कहा है, “तू ही मेरा प्रभु है; तेरे सिवाए मेरी भलाई कहीं नहीं।”

3पृथ्‍वी पर जो पवित्र लोग हैं, वे ही आदर के योग्‍य हैं, और उन्‍हीं से मैं प्रसन्न हूँ।

4जो पराए देवता के पीछे भागते हैं उनका दु:ख बढ़ जाएगा; मैं उनके लहूवाले अर्घ नहीं चढ़ाऊँगा और उनका नाम अपने ओठों से नहीं लूँगा।

5यहोवा मेरा भाग और मेरे कटोरे का हिस्‍सा है; मेरे भाग को तू स्‍थिर रखता है।

6मेरे लिये माप की डोरी मनभावने स्‍थान में पड़ी, और मेरा भाग मनभावना है।

7मैं यहोवा को धन्‍य कहता हूँ, क्‍योंकि उसने मुझे सम्मति दी है; वरन् मेरा मन भी रात में मुझे शिक्षा देता है।

8मैं ने यहोवा को निरन्‍तर अपने सम्‍मुख रखा है: इसलिये कि वह मेरे दाहिने हाथ रहता है मैं कभी न डगमगाऊँगा।

9इस कारण मेरा हृदय आनन्‍दित और मेरी आत्‍मा मगन हुई; मेरा शरीर भी चैन से रहेगा।

10क्‍योंकि तू मेरे प्राण को अधोलोक में न छोड़ेगा, न अपने पवित्र भक्‍त को सड़ने देगा।

11तू मुझे जीवन का रास्‍ता दिखाएगा; तेरे निकट आनन्‍द की भरपूरी है, तेरे दाहिने हाथ में सुख सर्वदा बना रहता है।(प्रेरि. 2:25-28)



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