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1हे यहोवा मेरी प्रार्थना सुन; मेरे गिड़गिड़ाने की ओर कान लगा! तू जो सच्‍चा और धर्मी है, इसलिये मेरी सुन ले,

2और अपने दास से मुकद्दमा न चला! क्‍योंकि कोई प्राणी तेरी दृष्‍टि में निर्दोष नहीं ठहर सकता।

3शत्रु तो मेरे प्राण का गाहक हुआ है; उसने मुझे चूर करके मिट्टी में मिलाया है, और मुझे बहुत दिन के मरे हुओं के समान अन्‍धेरे स्‍थान में डाल दिया है।

4मेरी आत्‍मा भीतर से व्‍याकुल हो रही है मेरा मन विकल है।

5मुझे प्राचीनकाल के दिन स्‍मरण आते हैं, मैं तेरे सब अदभुद कामों पर ध्‍यान करता हूँ, और तेरे काम को सोचता हूँ।

6मैं तेरी ओर अपने हाथ फैलाए हूए हूँ; सूखी भूमि के समान मैं तेरा प्‍यासा हूँ। (सेला)

7हे यहोवा, फुर्ती करके मेरी सुन ले; क्‍योंकि मेरे प्राण निकलने ही पर हैं मुझ से अपना मुँह न छिपा, ऐसा न हो कि मैं कब्र में पड़े हुओं के समान हो जाऊँ।

8अपनी करूणा की बात मुझे शीघ्र सुना, क्‍योंकि मैं ने तुझी पर भरोसा रखा है। जिस मार्ग से मुझे चलना है, वह मुझ को बता दे, क्‍योंकि मैं अपना मन तेरी ही ओर लगाता हूँ।

9हे यहोवा, मुझे शत्रुओं से बचा ले; मैं तेरी ही आड़ में आ छिपा हूँ।

10मुझ को यह सिखा, कि मैं तेरी इच्‍छा क्‍योंकर पूरी करूँ, क्‍योंकि मेरा परमेश्‍वर तू ही है! तेरा भला आत्‍मा मुझ को धर्म के मार्ग में ले चले!

11हे यहोवा, मुझे अपने नाम के निमित्त जिला! तू जो धर्मी है, मुझ को संकट से छुड़ा ले!

12और करूणा करके मेरे शत्रुओं को सत्‍यानाश कर, और मेरे सब सतानेवालों का नाश कर डाल, क्‍योंकि मैं तेरा दास हूँ।



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