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1क्‍या ही धन्‍य हैं वे जो चाल के खरे हैं, और यहोवा की व्‍यवस्‍था पर चलते हैं!

2क्‍या ही धन्‍य हैं वे जो उसकी चितौनियों को मानते हैं, और पूर्ण मन से उसके पास आते हैं!

3फिर वे कुटिलता का काम नहीं करते, वे उसके मार्गों में चलते हैं।

4तू ने अपने उपदेश इसलिये दिए हैं, कि वे यत्‍न से मान जाएँ।

5भला होता कि तेरी विधियों को मानने के लिये मेरी चालचलन दृढ़ हो जाए!

6तब मैं तेरी सब आज्ञाओं की ओर चित्त लगाए रहूँगा, और मेरी आशा न टूटेगी।

7जब मैं तेरे धर्ममय नियमों को सीखूँगा, तब तेरा धन्‍यवाद सीधे मन से करूँगा।

8मैं तेरी विधियों को मानूँगा: मुझे पूरी रीति से न तज!

9जवान अपनी चाल को किस उपाय से शुद्ध रखे? तेरे वचन के अनुसार सावधान रहने से।

10मैं पूरे मन से तेरी खोज में लगा हूँ; मुझे तेरी आज्ञाओं की बाट से भटकने न दे!

11मैं ने तेरे वचन को अपने हृदय में रख छोड़ा है, कि तेरे विरूद्ध पाप न करूँ।

12हे यहोवा, तू धन्‍य है; मुझे अपनी विधियाँ सिखा!

13तेरे सब कहे हुए नियमों का वर्णन, मैं ने अपने मुँह से किया है।

14मैं तेरी चितौनियों के मार्ग से, मानों सब प्रकार के धन से हर्षित हुआ हूँ।

15मैं तेरे उपदेशों पर ध्‍यान करूँगा, और तेरे मार्गों की ओर दृष्‍टि रखूँगा।

16मैं तेरी विधियों से सुख पाऊँगा; और तेरे वचन को न भूलूँगा।

17अपने दास का उपकार कर कि मैं जीवित रहूँ, और तेरे वचन पर चलता रहूँ।

18मेरी आँखें खोल दे, कि मैं तेरी व्‍यवस्‍था की अदभुद बातें देख सकूँ।

19मैं तो पृथ्‍वी पर परदेशी हूँ; अपनी आज्ञाओं को मुझ से छिपाए न रख!

20मेरा मन तेरे नियमों की अभिलाषा के कारण हर समय खेदित रहता है।

21तू ने अभिमानियों को, जो शापित हैं, घुड़का है, वे तेरी आज्ञाओं की बाट से भटके हुए हैं।

22मेरी नामधराई और अपमान दूर कर, क्‍योंकि मैं तेरी चितौनियों को पकड़े हूँ।

23हाकिम भी बैठे हुए आपस में मेरे विरूद्ध बातें करते थे, परन्‍तु तेरा दास तेरी विधियों पर ध्‍यान करता रहा।

24तेरी चितौनियाँ मेरा सुखमूल और मेरे मन्‍त्री हैं।

25मैं धूल में पड़ा हूँ; तू अपने वचन के अनुसार मुझ को जिला!

26मैं ने अपनी चालचलन का तुझ से वर्णन किया है और तू ने मेरी बात मान ली है; तू मुझ को अपनी विधियाँ सिखा!

27अपने उपदेशों का मार्ग मुझे बता, तब मैं तेरे आश्‍चर्यकर्मों पर ध्‍यान करूँगा।

28मेरा जीव उदासी के मारे गल चला है; तू अपने वचन के अनुसार मुझे सम्‍भाल!

29मुझ को झूठ के मार्ग से दूर कर; और करूणा करके अपनी व्‍यवस्‍था मुझे दे।

30मैं ने सच्‍चाई का मार्ग चुन लिया है, तेरे नियमों की ओर मैं चित्त लगाए रहता हूँ।

31मैं तेरी चितौनियों में लौलीन हूँ, हे यहोवा, मेरी आशा न तोड़!

32जब तू मेरा हियाव बढ़ाएगा, तब मैं तेरी आज्ञाओ के मार्ग में दौड़ूँगा।

33हे यहोवा, मुझे अपनी विधियों का मार्ग दिखा दे; तब मैं उसे अन्‍त तक पकड़े रहूँगा।

34मुझे समझ दे, तब मैं तेरी व्‍यवस्‍था को पकड़े रहूँगा और पूर्ण मन से उस पर चलूँगा।

35अपनी आज्ञाओं के पथ में मुझ को चला, क्‍योंकि मैं उसी से प्रसन्न हूँ।

36मेरे मन को लोभ की ओर नहीं, अपनी चितौनियों ही की ओर फेर दे।

37मेरी आँखों को व्‍यर्थ वस्‍तुओं की ओर से फेर दे; तू अपने मार्ग में मुझे जिला।

38तेरा वचन जो तेरे भय माननेवालों के लिये है, उसको अपने दास के निमित्त भी पूरा कर।

39जिस नामधराई से मैं डरता हूँ, उसे दूर कर; क्‍योंकि तेरे नियम उत्तम हैं।

40देख, मैं तेरे उपदेशों का अभिलाषी हूँ; अपने धर्म के कारण मुझ को जिला।

41हे यहोवा, तेरी करूणा और तेरा किया हुआ उद्धार, तेरे वचन के अनुसार, मुझ को भी मिले;

42तब मैं अपनी नामधराई करनेवालों को कुछ उत्तर दे सकूँगा, क्‍योंकि मेरा भरोसा, तेरे वचन पर है।

43मुझे अपने सत्‍य वचन कहने से न रोक क्‍योंकि मेरी आशा तेरे नियमों पर है।

44तब मैं तेरी व्‍यवस्‍था पर लगातार, सदा सर्वदा चलता रहूँगा;

45और मैं चौड़े स्‍थान में चला फिरा करूँगा, क्‍योंकि मैं ने तेरे उपदेशों की सुधि रखी है।

46और मैं तेरी चितौनियों की चर्चा राजाओं के सामने भी करूँगा, और संकोच न करूँगा;

47क्‍योंकि मैं तेरी आज्ञाओं के कारण सुखी हूँ, और मैं उनसे प्रीति रखता हूँ।

48मैं तेरी आज्ञाओं की ओर जिनमें मैं प्रीति रखता हूँ, हाथ फैलाऊँगा और तेरी विधियों पर ध्‍यान करूँगा।

49जो वचन तू ने अपने दास को दिया है, उसे स्‍मरण कर, क्‍योंकि तू ने मुझे आशा दी है।

50मेरे दु:ख में मुझे शान्‍ति उसी से हुई है, क्‍योंकि तेरे वचन के द्वारा मैं ने जीवन पाया है।

51अभिमानियों ने मुझे अत्‍यन्‍त ठट्ठे में उड़ाया है, तौभी मैं तेरी व्‍यवस्‍था से नहीं हटा।

52हे यहोवा, मैं ने तेरे प्राचीन नियमों को स्‍मरण करके शान्‍ति पाई है।

53जो दुष्‍ट तेरी व्‍यवस्‍था को छोड़े हुए हैं, उनके कारण मैं सन्‍ताप से जलता हूँ।

54जहाँ मैं परदेशी होकर रहता हूँ, वहाँ तेरी विधियाँ, मेरे गीत गाने का विषय बनी हैं।

55हे यहोवा, मैं ने रात को तेरा नाम स्‍मरण किया, और तेरी व्‍यवस्‍था पर चला हूँ।

56यह मुझ से इस कारण हुआ, कि मैं तेरे उपदेशों को पकड़े हुए था। व्यवस्था के प्रति भक्ति ख़ेथ

57यहोवा मेरा भाग है; मैं ने तेरे वचनों के अनुसार चलने का निश्‍चय किया है।

58मैं ने पूरे मन से तुझे मनाया है; इसलिये अपने वचन के अनुसार मुझ पर अनुग्रह कर।

59मैं ने अपनी चालचलन को सोचा, और तेरी चितौनियों का मार्ग लिया।

60मैं ने तेरी आज्ञाओं के मानने में विलम्‍ब नहीं, फुर्ती की है।

61मैं दुष्‍टों की रस्‍सियों से बन्‍ध गया हूँ, तौभी मैं तेरी व्‍यवस्‍था को नहीं भूला।

62तेरे धर्ममय नियमों के कारण मैं आधी रात को तेरा धन्‍यवाद करने को उठूँगा।

63जितने तेरा भय मानते और तेरे उपदेशों पर चलते हैं, उनका मैं संगी हूँ।

64हे यहोवा, तेरी करूणा पृथ्‍वी में भरी हुई है; तू मुझे अपनी विधियाँ सिखा!

65हे यहोवा, तू ने अपने वचन के अनुसार अपने दास के संग भलाई की है।

66मुझे भली विवेक-शक्ति और ज्ञान दे, क्‍योंकि मैं ने तेरी आज्ञाओं का विश्‍वास किया है।

67उससे पहले कि मैं दु:खित हुआ, मैं भटकता था; परन्‍तु अब मैं तेरे वचन को मानता हूँ।

68तू भला है, और भला करता भी है; मुझे अपनी विधियाँ सिखा।

69अभिमानियों ने तो मेरे विरूद्ध झूठ बात गढ़ी है, परन्‍तु मैं तेरे उपदेशों को पूरे मन से पकड़े रहूँगा।

70उनका मन मोटा हो गया है, परन्‍तु मैं तेरी व्‍यवस्‍था के कारण सुखी हूँ।

71मुझे जो दु:ख हुआ वह मेरे लिये भला ही हुआ है, जिस से मैं तेरी विधियों को सीख सकूँ।

72तेरी दी हुई व्‍यवस्‍था मेरे लिये हजारों रूपयों और मुहरों से भी उत्तम है।

73तेरे हाथों से मैं बनाया और रचा गया हूँ; मुझे समझ दे कि मैं तेरी आज्ञाओं को सीखूँ।

74तेरे डरवैये मुझे देखकर आनन्‍दित होंगे, क्‍योंकि मैं ने तेरे वचन पर आशा लगाई है।

75हे यहोवा, मैं जान गया कि तेरे नियम धर्ममय हैं, और तू ने अपने सच्‍चाई के अनुसार मुझे दु:ख दिया है।

76मुझे अपनी करूणा से शान्‍ति दे, क्‍योंकि तू ने अपने दास को ऐसा ही वचन दिया है।

77तेरी दया मुझ पर हो, तब मैं जीवित रहूँगा; क्‍योंकि मैं तेरी व्‍यवस्‍था से सुखी हूँ।

78अभिमानियों की आशा टूटे, क्‍योंकि उन्होंने मुझे झूठ के द्वारा गिरा दिया है; परन्‍तु मैं तेरे उपदेशों पर ध्‍यान करूँगा।

79जो तेरा भय मानते हैं, वह मेरी ओर फिरें, तब वे तेरी चितौनियों को समझ लेंगे।

80मेरा मन तेरी विधियों के मानने में सिद्ध हो, ऐसा न हो कि मुझे लज्‍जित होना पड़े।

81मेरा प्राण तेरे उद्धार के लिये बैचेन है; परन्‍तु मुझे तेरे वचन पर आशा रहती है।

82मेरी आँखें तेरे वचन के पूरे होने की बाट जोहते-जोहते धुंधली पड़ गईं है; और मैं कहता हूँ कि तू मुझे कब शान्‍ति देगा?

83क्‍योंकि मैं धूएँ में की कुप्‍पी के समान हो गया हूँ, तौभी तेरी विधियों को नहीं भूला।

84तेरे दास के कितने दिन रह गए हैं? तू मेरे पीछे पड़े हुओं को दण्‍ड कब देगा?

85अभिमानी जो तेरी व्‍यवस्‍था के अनुसार नहीं चलते, उन्होंने मेरे लिये गड़हे खोदे हैं।

86तेरी सब आज्ञाएँ विश्‍वासयोग्‍य हैं; वे लोग झूठ बोलते हुए मेरे पीछे पड़े हैं; तू मेरी सहायता कर!

87वे मुझ को पृथ्‍वी पर से मिटा डालने ही पर थे, परन्‍तु मैं ने तेरे उपदेशों को नहीं छोड़ा।

88अपनी करूणा के अनुसार मुझ को जिला, तब मैं तेरी दी हुई चितौनी को मानूँगा।

89हे यहोवा, तेरा वचन, आकाश में सदा तक स्‍थिर रहता है।

90तेरी सच्‍चाई पीढ़ी से पीढ़ी तक बनी रहती है; तू ने पृथ्‍वी को स्‍थिर किया, इसलिये वह बनी है।

91वे आज के दिन तक तेरे नियमों के अनुसार ठहरे हैं; क्‍योंकि सारी सृष्‍टि तेरे अधीन है।

92यदि मैं तेरी व्‍यवस्‍था से सुखी न होता, तो मैं दु:ख के समय नाश हो जाता।

93मैं तेरे उपदेशों को कभी न भूलूँगा; क्‍योंकि उन्‍हीं के द्वारा तू ने मुझे जिलाया है।

94मैं तेरा ही हूँ, तू मेरा उद्धार कर; क्‍योंकि मैं तेरे उपदेशों की सुधि रखता हूँ।

95दुष्‍ट मेरा नाश करने के लिये मेरी घात में लगे हैं; परन्‍तु मैं तेरी चितौनियों पर ध्‍यान करता हूँ।

96जितनी बातें पूरी जान पड़ती हैं, उन सब को तो मैं ने अधूरी पाया है, परन्‍तु तेरी आज्ञा का विस्‍तार बड़ा है।

97आहा! मैं तेरी व्‍यवस्‍था में कैसी प्रीति रखता हूँ! दिन भर मेरा ध्‍यान उसी पर लगा रहता है।

98तू अपनी आज्ञाओं के द्वारा मुझे अपने शत्रुओं से अधिक बुद्धिमान करता है, क्‍योंकि वे सदा मेरे मन में रहती हैं।

99मैं अपने सब शिक्षकों से भी अधिक समझ रखता हूँ, क्‍योंकि मेरा ध्‍यान तेरी चितौनियों पर लगा है।

100मैं पुरनियों से भी समझदार हूँ, क्‍योंकि मैं तेरे उपदेशों को पकड़े हुए हूँ।

101मैं ने अपने पाँवों को हर एक बुरे रास्‍ते से रोक रखा है, जिस से मैं तेरे वचन के अनुसार चलूँ।

102मैं तेरे नियमों से नहीं हटा, क्‍योंकि तू ही ने मुझे शिक्षा दी है।

103तेरे वचन मुझ को कैसे मीठे लगते हैं, वे मेरे मुँह में मधु से भी मीठे हैं!

104तेरे उपदेशों के कारण मैं समझदार हो जाता हूँ, इसलिये मैं सब मिथ्‍या मार्गों से बैर रखता हूँ।

105तेरा वचन मेरे पाँव के लिये दीपक, और मेरे मार्ग के लिये उजियाला है।

106मैं ने शपथ खाई, और ठाना भी है कि मैं तेरे धर्मपय नियमों के अनुसार चलूँगा।

107मैं अत्‍यन्‍त दु:ख में पड़ा हूँ; हे यहोवा, अपने वचन के अनुसार मुझे जिला।

108हे यहोवा, मेरे वचनों को स्‍वेच्‍छाबलि जानकर ग्रहण कर, और अपने नियमों को मुझे सिखा।

109मेरा प्राण निरन्‍तर मेरी हथेली पर रहता है, तौभी मैं तेरी व्‍यवस्‍था को भूल नहीं गया।

110दुष्‍टों ने मेरे लिये फन्‍दा लगाया है, परन्‍तु मैं तेरे उपदेशों के मार्ग से नहीं भटका।

111मैं ने तेरी चितौनियों को सदा के लिये अपना निज भाग कर लिया है, क्‍योंकि वे मेरे हृदय के हर्ष का कारण है।

112मैं ने अपने मन को इस बात पर लगाया है, कि अन्‍त तक तेरी विधियों पर सदा चलता रहूँ। व्यवस्था में सुरक्षा सामेख

113मैं दुचित्तों से तो बैर रखता हूँ, परन्‍तु तेरी व्‍यवस्‍था से प्रीति रखता हूँ।

114तू मेरी आड़ और ढ़ाल है; मेरी आशा तेरे वचन पर है।

115हे कुकर्मियों, मुझ से दूर हो जाओ, कि मैं अपने परमेश्‍वर की आज्ञाओं को पकड़े रहूँ।

116हे यहोवा, अपने वचन के अनुसार मुझे सम्‍भाल, कि मैं जीवित रहूँ, और मेरी आशा को न तोड़!

117मुझे थामे रख, तब मैं बचा रहूँगा, और निरन्‍तर तेरी विधियों की ओर चित्त लगाए रहूँगा!

118जितने तेरी विधियों के मार्ग से भटक जाते हैं, उन सब को तू तुच्‍छ जानता है, क्‍योंकि उनकी चतुराई झूठ है।

119तू ने पृथ्‍वी के सब दुष्‍टों को धातु के मैल के समान दूर किया है; इस कारण मैं तेरी चितौनियों में प्रीति रखता हूँ।

120तेरे भय से मेरा शरीर काँप उठता है, और मैं तेरे नियमों से डरता हूँ।

121मैं ने तो न्‍याय और धर्म का काम किया है; तू मुझे अन्‍धेर करनेवालों के हाथ में न छोड़।

122अपने दास की भलाई के लिये जामिन हो, ताकि अभिमानी मुझ पर अन्‍धेर न करने पाएँ।

123मेरी आँखें तुझसे उद्धार पाने, और तेरे धर्ममय वचन के पूरे होने की बाट जोहते-जोहते रह गई हैं।

124अपने दास के संग अपनी करूणा के अनुसार बर्ताव कर, और अपनी विधियाँ मुझे सिखा।

125मैं तेरा दास हूँ, तू मुझे समझ दे कि मैं तेरी चितौनियों को समझूँ।

126वह समय आया है, कि यहोवा काम करे, क्‍योंकि लोगों ने तेरी व्‍यवस्‍था को तोड़ दिया है।

127इस कारण मैं तेरी आज्ञाओं को सोने से वरन् कुन्‍दन से भी अधिक प्रिय मानता हूँ।

128इसी कारण मैं तेरे सब उपदेशों को सब विषयों में ठीक जानता हूँ; और सब मिथ्‍या मार्गों से बैर रखता हूँ।

129तेरी चितौनियाँ अनूप हैं, इस कारण मैं उन्‍हें अपने जी से पकड़े हुए हूँ।

130तेरी बातों के खुलने से प्राकाश होता है; उससे भोले लोग समझ प्राप्‍त करते हैं।

131मैं मुँह खोलकर हाँफने लगा, क्‍योंकि मैं तेरी आज्ञाओं का प्‍यासा था।

132जैसी तेरी रीति अपने नाम के प्रीति रखनेवालों से है, वैसे ही मेरी ओर भी फिरकर मुझ पर अनुग्रह कर।

133मेरे पैरों को अपने वचन के मार्ग पर स्‍थिर कर, और किसी अनर्थ बात को मुझ पर प्रभुता न करने दे।

134मुझे मनुष्‍यों के अन्‍धेर से छुड़ा ले, तब मैं तेरे उपदेशों को मानूँगा।

135अपने दास पर अपने मुख का प्रकाश चमका दे, और अपनी विधियाँ मुझे सिखा।

136मेरी आँखों से जल की धारा बहती रहती है, क्‍योंकि लोग तेरी व्‍यवस्‍था को नहीं मानते।

137हे यहोवा तू धर्मी है, और तेरे नियम सीधे हैं।

138तू ने अपनी चितौनियों को धर्म और पूरी सत्‍यता से कहा है।

139मैं तेरी धुन में भस्‍म हो रहा हूँ, क्‍योंकि मेरे सतानेवाले तेरे वचनों को भूल गए हैं।

140तेरा वचन पूरी रीति से ताया हुआ है, इसलिये तेरा दास उस में प्रीति रखता है।

141मैं छोटा और तुच्‍छ हूँ, तौभी मैं तेरे उपदेशों को नही भूलता।

142तेरा धर्म सदा का धर्म है, और तेरी व्‍यवस्‍था सत्‍य है।

143मैं संकट और सकेती में फँसा हूँ, परन्‍तु मैं तेरी आज्ञाओं से सुखी हूँ।

144तेरी चितौनियाँ सदा धर्ममय हैं; तू मुझ को समझ दे कि मैं जीवित रहूँ।

145मैं ने सारे मन से प्रार्थना की है, हे यहोवा मेरी सुन लेना! मैं तेरी विधियों को पकड़े रहूँगा।

146मैं ने तुझसे प्रार्थना की है, तू मेरा उद्धार कर, और मैं तेरी चितौनियों को माना करूँगा।

147मैं ने पौ फटने से पहले दोहाई दी; मेरी आशा तेरे वचनों पर थी।

148मेरी आँखें रात के एक-एक पहर से पहले खुल गईं, कि मैं तेरे वचन पर ध्‍यान करूँ।

149अपनी करूणा के अनुसार मेरी सुन ले; हे यहोवा, अपनी रीति के अनुसार मुझे जीवित कर।

150जो दुष्‍टता में धुन लगाते हैं, वे निकट आ गए हैं; वे तेरी व्‍यवस्‍था से दूर हैं।

151हे यहोवा, तू निकट है, और तेरी सब आज्ञाएँ सत्‍य हैं।

152बहुत काल से मैं तेरी चितौनियों को जानता हूँ, कि तू ने उनकी नींव सदा के लिये डाली है।

153मेरे दु:ख को देखकर मुझे छुड़ा ले, क्‍योंकि मैं तेरी व्‍यवस्‍था को भूल नहीं गया।

154मेरा मुकद्दमा लड़, और मुझे छुड़ा ले; अपने वचन के अनुसार मुझ को जिला।

155दुष्‍टों को उद्धार मिलना कठिन है, क्‍योंकि वे तेरी विधियों की सुधि नहीं रखते।

156हे यहोवा, तेरी दया तो बड़ी है; इसलिये अपने नियमों के अनुसार मुझे जिला।

157मेरा पीछा करनेवाले और मेरे सतानेवाले बहुत हैं, परन्‍तु मैं तेरी चितौनियों से नहीं हटता।

158मैं विश्‍वासघातियों को देखकर उदास हुआ, क्‍योंकि वे तेरे वचन को नहीं मानते।

159देख, मैं तेरे नियमों से कैसी प्रीति रखता हूँ! हे यहोवा, अपनी करूणा के अनुसार मुझ को जिला।

160तेरा सारा वचन सत्‍य ही है; और तेरा एक-एक धर्ममय नियम सदा काल तक अटल है।

161हाकिम व्‍यर्थ मेरे पीछे पड़े हैं, परन्‍तु मेरा हृदय तेरे वचनों का भय मानता है।

162जैसे कोई बड़ी लूट पाकर हर्षित होता है, वैसे ही मैं तेरे वचन के कारण हर्षित हूँ।

163झूठ से तो मैं बैर और घृणा रखता हूँ, परन्‍तु तेरी व्‍यवस्‍था से प्रीति रखता हूँ।

164तेरे धर्ममय नियमों के कारण मैं प्रतिदिन सात बार तेरी स्‍तुति करता हूँ।

165तेरी व्‍यवस्‍था से प्रीति रखनेवालों को बड़ी शान्‍ति होती है; और उनको कुछ ठोकर नहीं लगती।

166हे यहोवा, मैं तुझसे उद्धार पाने की आशा रखता हूँ; और तेरी आज्ञाओं पर चलता आया हूँ।

167मैं तेरी चितौनियों को जी से मानता हूँ, और उनसे बहुत प्रीति रखता आया हूँ।

168मैं तेरे उपदेशों और चितौनियों को मानता आया हूँ, क्‍योंकि मेरी सारी चालचलन तेरे सम्‍मुख प्रगट है।

169हे यहोवा, मेरी दोहाई तुझ तक पहुँचे; तू अपने वचन के अनुसार मुझे समझ दे!

170मेरा गिड़गिड़ाना तुझ तक पहुँचे; तू अपने वचन के अनुसार मुझे छुड़ा ले।

171मेरे मुँह से स्‍तुति निकला करे, क्‍योंकि तू मुझे अपनी विधियाँ सिखाता है।

172मैं तेरे वचन का गीत गाऊँगा, क्‍योंकि तेरी सब आज्ञाएँ धर्ममय हैं।

173तेरा हाथ मेरी सहायता करने को तैयार रहता है, क्‍योंकि मैं ने तेरे उपदेशों को अपनाया है।

174हे यहोवा, मैं तुझसे उद्धार पाने की अभिलाषा करता हूँ, मैं तेरी व्‍यवस्‍था से सुखी हूँ।

175मुझे जिला, और मैं तेरी स्‍तुति करूँगा, तेरे नियमों से मेरी सहायता हो।

176मैं खोई हुई भेड़ के समान भटका हूँ; तू अपने दास को ढूँढ़ ले, क्‍योंकि मैं तेरी आज्ञाओं को भूल नहीं गया।



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