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1जब इस्राएल बालक था, तब मैं ने उससे प्रेम किया, और अपने पुत्र को मिस्र से बुलाया। (मत्ती. 2:15)

2परन्‍तु जितना वे उनको बुलाते थे, उतना ही वे भागे जाते थे; वे बाल देवताओं के लिये बलिदान करते, और खुदी हुई मूरतों के लिये धूप जलाते गए।

3मैं ही एप्रैम को पाँव-पाँव चलाता था, और उनको गोद में लिए फिरता था, परन्‍तु वे न जानते थे कि उनका चंगा करनेवाला मैं हूँ।

4मैं उनको मनुष्‍य जानकर प्रेम की डोरी से खींचता था, और जैसा कोई बैल के गले की जोत खोलकर उसके सामने आहार रख दे, वैसा ही मैं ने उन से किया।

5वह मिस्र देश में लौटने न पाएगा; अश्‍शूर ही उसका राजा होगा, क्‍योंकि उसने मेरी ओर फिरने से इनकार कर दिया है।

6तलवार उनके नगरों में चलेगी, और उनके बेड़ों को पूरा नाश करेगी; और यह उनकी युक्तियों के कारण होगा।

7मेरी प्रजा मुझ से फिर जाने में लगी रहती है; यद्यपि वे उनको परमप्रधान की ओर बुलाते हैं, तौभी उन में से कोई भी मेरी महिमा नहीं करता।

8हे एप्रैम, मैं तुझे क्‍योंकर छोड़ दूं? हे इस्राएल, मैं क्‍योंकर तुझे शत्रु के वश में कर दूं? मैं क्‍योंकर तुझे अदमा की नाईं छोड़ दूं, और सबोयीम की नाईं कर दूं? मेरा हृदय तो उलट पुलट हो गया, मेरा मन स्‍नेह के मारे पिघल गया है।**

9मैं अपने क्रोध को भड़कने न दूँगा, और न मैं फिर एप्रैम को नाश करूँगा; क्‍योंकि मैं मनुष्‍य नहीं परमेश्‍वर हूँ, मैं तेरे बीच में रहनेवाला पवित्र हूँ; मैं क्रोध करके न आऊँगा।

10वे यहोवा के पीछे पीछे चलेंगे; वह तो सिंह की नाई गरजेगा; और तेरे लड़के पश्‍चिम दिशा से थरथराते हुए आएँगे।

11वे मिस्र से चिडि़यों की नाईं और अश्‍शूर के देश से पण्‍डुकी की भाँति थरथराते हुए आएँगे; और मैं उनको उन्‍हीं के घरों में बसा दूँगा, यहोवा की यही वाणी है।

12एप्रैम ने मिथ्‍या से, और इस्राएल के घराने ने छल से मुझे घेर रखा है; और यहूदा अब तक पवित्र और विश्‍वासयोग्‍य परमेश्‍वर की ओर चंचल बना रहता है।



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