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1तब यहोवा ने मूसा से कहा,

2“इस्राएलियों से बातें करके उनके पूर्वजों के घरानों के अनुसार, उनके सब प्रधानों के पास से एक-एक छड़ी ले; और उन बारह छड़ियों में से एक-एक पर एक-एक के मूल पुरूष का नाम लिख,

3और लेवियों की छड़ी पर हारून का नाम लिख। क्‍योंकि इस्राएलियों के पूर्वजों के घरानों के एक-एक मुख्‍य पुरूष की एक-एक छड़ी होगी।

4और उन छड़ियों को मिलापवाले तम्‍बू में साक्षीपत्र के आगे, जहाँ मैं तुम लोगों से मिला करता हूँ, रख दे।

5और जिस पुरूष को मैं चुनूँगा उसकी छड़ी में कलियाँ फूट निकलेंगी; और इस्राएली जो तुम पर बुड़बुड़ाते रहते हैं, वह बुड़बुड़ाना मैं अपने ऊपर से दूर करूँगा।”

6अतः मूसा ने इस्राएलियों से यह बात कही; और उनके सब प्रधानों ने अपने-अपने लिए, अपने-अपने पूर्वजों के घरानों के अनुसार, एक-एक छड़ी उसे दी, सो बारह छडि़याँ हुई; और उन की छडि़यों में हारून की भी छड़ी थी।

7उन छडि़यों को मूसा ने साक्षीपत्र के तम्‍बू में यहोवा के सामने रख दिया।

8दूसरे दिन मूसा साक्षीपत्र के तम्‍बू में गया; तो क्‍या देखा, कि हारून की छड़ी जो लेवी के घराने के लिये थी उसमें कलियाँ फूट निकली, अर्थात् उसमें कलियाँ लगीं, और फूल भी फूले, और पके बादाम भी लगे हैं।

9तब मूसा उन सब छडि़यों को यहोवा के सामने से निकालकर सब इस्राएलियों के पास ले गया; और उन्होंने अपनी-अपनी छड़ी पहचानकर ले ली।

10फिर यहोवा ने मूसा से कहा, “हारून की छड़ी को साक्षीपत्र के सामने फिर रख दे, कि यह उन दंगा करनेवालों के लिये एक निशान बनकर रखी रहे, कि तू उनका बुड़बुड़ाना जो मेरे विरूद्ध होता रहता है भविष्‍य में रोक रखे, ऐसा न हो कि वे मर जाएँ।”(इब्रा. 9:4)

11और मूसा ने यहोवा की इस आज्ञा के अनुसार ही किया।

12तब इस्राएली मूसा से कहने लगे, देख, “हमारे प्राण निकला चाहते हैं, हम नष्‍ट हुए, हम सब के सब नष्‍ट हुए जाते हैं।

13जो कोई यहोवा के निवास के तम्बू के समीप जाता है वह मारा जाता है। तो क्‍या हम सब के सब मर ही जाएँगे।”



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