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1(और यरीहू बनी इस्राईल की वजह ~से निहायत मज़बूती से बंद था और न तो कोई बाहर जाता और न कोई अन्दर आता था )|

2और ख़ुदावन्द ने यशू’अ से कहा कि देख मैं ने यरीहू को और उसके बादशाह और ज़बरदस्त सूरमाओं को तेरे हाथ में कर दिया है|

3सो तुम जंगी मर्द शहर को घेर लो, और एक दफ़ा’ उसके चौगिर्द गश्त करो |छे दिन तक तुम ऐसा ही करना |

4और सात काहिन सन्दूक़ के आगे आगे मेंढों के सींगों के सात नरसिंगे लिए हुए चलें! और सातवें दिन तुम शहर की चारों तरफ़ सात बार घूमना, और काहिन नरसिंगे फूँकें |

5और यूँ होगा कि जब वह मेंढे के सींग को ज़ोर से फूँकें और तुम नरसिंगे की आवाज़ सुनो तो सब लोग निहायत ज़ोर से ललकारें ;तब शहर की दीवार बिल्कुल गिर जायेगी और लोग अपने अपने सामने सीधे चढ़ जायें |

6और नून के बेटे यशू’अ ने काहिनों को बुला कर उन से कहा कि ‘अहद के सन्दूक़ को उठाओ, और सात काहिन मेंढों के सींगो के सात नरसिंगे लिए हुए ख़ुदावन्द के सन्दूक़ के आगे आगे चलें |

7और उन्होंने लोंगों से कहा, " बढ़ कर शहर को घेर लो और जो आदमी हथियार लिए हैं वह ख़ुदा के सन्दूक़ के आगे आगे चलें |"

8और जब यशू’अ लोगों से ये बातें कह चुका, तो सात काहिन मेंढों के सींगों के सात नरसिंगे लिए हुए ख़ुदावन्द के आगे आगे चले और वह नरसिंगे फूँकते गये और ख़ुदावन्द के 'अहद का सन्दूक़ उनके पीछे पीछे चला |

9और वह हथियार लिए आदमी उन काहिनों के आगे आगे चले जो नरसिंगे फूँक रहे थे, और दुम्बाला सन्दूक़ के पीछे पीछे चला, और काहिन चलते चलते नरसिंगे फूँकते जाते थे |

10और यशू’अ ने लोगों को हुक्म दिया कि न तुम ललकारना, और न तुम्हारी आवाज़ सुनायी दे और न तुम्हारे मुँह से कोई बात निकले |जब मैं तुम को ललकारने को कहूँ तब तुम ललकारना |

11सो उस ने ख़ुदावन्द के सन्दूक़ को शहर के गिर्द एक बार फिरवाया |तब वह ख़ेमा गाह में आए और वहीं रात काटी |

12और यशू’अ सुबह सवेरे उठा और काहिनों ने ख़ुदावन्द का सन्दूक़ उठा लिया |

13और वह सात काहिन मेंढों के सींगों के सात नरसिंगे लिए हुए ख़ुदावन्द के सन्दूक़ के आगे आगे बराबर चलते और नरसिंगे फूँकते जाते थे और वह हथियार लिए आदमी आगे आगे हो लिए और दुम्बाला ख़ुदावन्द के सन्दूक़ के पीछे पीछे चला, और काहिन चलते चलते नरसिंगे फूँकते जाते थे |

14और दूसरे दिन भी वह एक बार शहर के गिर्द घूम कर ख़ेमा गाह में फिर आए |उनहोंने छे दिन तक ऐसा ही किया |

15और सातवें दिन यूँ हुआ कि वह सुबह को पौ फटने के वक़्त उठे और उसी तरह शहर के गिर्द सात बार फिरे; सात बार शहर के गिर्द सिर्फ़ उसी दिन फिरे |

16और सातवीं बार ऐसा हुआ कि जब काहिनों ने नरसिंगे फूंके तो यशू’अ ने लोगों से कहा, " ललकारो !क्योंकि ख़ुदावन्द ने ये शहर तुम को दे दिया है |

17और वह शहर और जो कुछ उस में है सब ख़ुदावन्द की ख़ातिर बर्बाद होगा |सिर्फ़ राहिब कसबी और जितने उसके साथ घर में हों वह सब जीते बचेंगे, इसलिए कि उस ने उन क़ासिदों को जिनको हम ने भेजा छुपा रखा था |

18और तुम बहरहाल अपने आप को मख्स़ूस की हुई चीज़ों से बचाए रखना, ऐसा न हो कि उनको मख्सूस करने के बा'द तुम किसी मख्स़ूस की हुई चीज़ को लो और यूँ इस्राईल की ख़ेमा गाह को ला'नती कर डालो और उसे दुख दो |

19लेकिन सब चाँदी और सोना और बरतन जो पीतल और लोहे के हों ख़ुदावन्द के लिए पाक हैं~इसलिएवह ख़ुदावन्द के ख़ज़ाना में दाख़िल किये जाएँ |"

20तब लोगों ने ललकारा और कहिनों ने नरसिंगे फूँके, और ऐसा हुआ कि जब लोगों ने नरसिंगे की आवाज़ सुनी तो उन्होंने बुलंद आवाज़ से ललकारा और दीवार बिल्कुल गिर पड़ी और लोगों में से हर एक आदमी अपने सामने से चढ़ कर शहर में घुसा और उन्होंने उस को ले लिया |

21और उन्होंने उन सब को जो शहर में थे क्या मर्द क्या 'औरत, क्या जवान क्या बुढ्ढे,क्या बैल क्या भेड़ क्या गधे सब को तलवार की धार से बिल्कुल हलाक कर दिया |~

22और यशू’अ ने उन दोनों आदमियों से जिन्होंने उस मुल्क की जासूसी की थी कहा कि उस कसबी के घर जाओ, और वहाँ से जैसी तुम ने उस से क़सम खाई है उसके मुताबिक़ उस 'औरत को और जो कुछ उसके पास है सब को निकाल लाओ |

23तब वह दोनों जवान जासूस अन्दर गये और राहब को और उसके बाप और उसकी माँ और उसके भाइयों को, और उसके अस्बाब बल्कि उसके सारे ख़ानदान को निकाल लाये, और उनको बनी इस्राईल की ख़ेमा गाह के बाहर बिठा दिया |

24फिर उन्होंने उस शहर को और जो कुछ उस में था सब को आग से फूँक दिया और सिर्फ़ चाँदी और सोने को और पीतल और लोहे के बरतनों को ख़ुदावन्द के घर के ख़़ज़ाने में दाख़िल किया |

25लेकिन यशू’अ ने राहब कसबी और उस के बाप के घराने को और जो कुछ उसका था सब को सलामत बचा लिया |उसकी रिहाइश आज के दिन तक इस्राईल में है, क्योंकि उस ने उन क़ासिदों को जिनको यशू'अ ने यरीहू में जासूसी के लिए भेजा था छिपा रखा था |

26और यशू’अ ने उस वक़्त उन को क़सम दे कर ताकीद की और कहा कि जो शख़्स उठ कर इस यरीहू शहर को फिर बनाये वह ख़ुदावन्द के हुज़ूर मलऊँन हो |वह अपने पहलौठे को उसकी नींव डालते वक़्त और अपने सब से छोटे बेटे को उसके फाटक लगवाते वक़्त खो बैठे गा |

27सो ख़ुदावन्द यशू’अ के साथ था और उस सारे मुल्क में उसकी शोहरत फैल गयी |


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