Bible 2 India Mobile
[VER] : [URDU]     [PL]  [PB] 
 <<  Joshua 2 >> 

1तब नून के बेटे यशू’अ ने शित्तीम से दो आदमियों को चुपके से जासूस के तौर पर भेजा और उन से कहा, कि जा कर उस मुल्क को और यरीहू को देखो भालो |चुनाँचे वो रवाना हुए और एक कस्बी के घर में जिसका नाम राहब था आए और वहीं सोए|

2और यरीहू के बादशाह को ख़बर मिली कि देख आज की रात बनी इस्राईल में से कुछ आदमी इस मुल्क की जासूसी करने को यहाँ आए हैं |

3और यरीहू के बादशाह ने राहब को कहला भेजा कि उन लोगों को जो तेरे पास आये और तेरे घर में दाख़िल हुए हैं निकाल ला इस लिए कि वह इस सारे मुल्क की जासूसी करने को आए हैं |

4तब उस औरत ने उन दोनों आदमियों को लेकर और उनको छिपा कर यूँ कह दिया कि वह आदमी मेरे पास आए तो थे पर मुझे मा'लूम न हुआ कि वह कहाँ के थे |

5और फाटक बंद होने के वक़्त के क़रीब जब अँधेरा हो गया, वह आदमी चल दिए और मैं नहीं जानती हूँ कि वह कहाँ गये |इसलिए जल्द उनका पीछा करो क्योंकि तुम ज़रूर उनको पा लोगे |

6लेकिन उसने उनको अपनी छत पर चढ़ा कर सन की लकड़ियों के नीचे जो छत पर तरतीब से धरी थीं छिपा दिया था |

7और ये लोग यरदन के रास्ते पर पाँव के निशानों ~तक उनके पीछे गये और जूँही उनका पीछा करने वाले फाटक से निकले उन्होंने फाटक बंद कर लिया |

8तब राहब छत पर उन आदमियों ~के लेट जाने से पहले उन के पास गई

9और उन से यूँ कहने लगी कि मुझे यक़ीन है कि ख़ुदा वन्द ने ये मुल्क तुमको दिया है और तुम्हारा रौ'ब हम लोगों पर छा गया है और इस मुल्क के सब बाशिन्दे तुम्हारे आगे डरे जा रहे हैं |

10क्योंकि हम ने सुन लिया है कि जब तुम मिस्र से निकले तो ख़ुदावन्द ने तुम्हारे आगे बहरे कुल्ज़ुम के पानी को सुखा दिया, और तुम ने अमूरियों के दोनों बादशाहों सीहोन और 'ओज़ से जो यरदन के उस पार थे और जिनको तुमने बिल्कुल हलाक कर डाला क्या क्या किया |

11ये सब कुछ सुनते ही हमारे दिल पिघल गये और तुम्हारी वजहसे ~फिर किसी शख़्स में जान बाक़ी न रही क्योंकि खु़दावन्द तुम्हारा ख़ुदा ही ऊपर आसमान का और नीचे ज़मीन का ख़ुदा है |

12इसलिए अब मैं तुम्हारी मिन्नत करती हूँ कि मुझ से ख़ुदा वन्द की क़सम खाओ कि चूँकि मैंने तुम पर महरबानी की है तुम भी मेरे बाप के घराने पर महरबानी करोगे और मुझे कोई सच्चा निशान दो;

13कि तुम मेरे बाप और माँ और भाइयों और बहनों को और जो कुछ उनका है सबको सलामत बचा लोगे और हमारी जानों को मौत से महफ़ूज़ रख्खो गे |

14उन आदमियों ने उस से कहा कि हमारी जान तुम्हारी जान की ज़िम्मेदार होगी बशर्ते कि तुम हमारे इस काम का ज़िक्र न कर दो और ऐसा होगा कि जब ख़ुदावन्द इस मुल्क को हमारे क़ब्ज़े में कर देगा तो हम तेरे साथ मेहरबानी और वफ़ादारी से पेश आयेंगे |

15तब उस 'औरत ने उनको खिड़की के रास्ते रस्सी से नीचे उतार दिया क्योंकि उस का घर शहर की दीवार पर बना था और वह दीवार पर रहती थी |

16और उस ने उस से कहा कि पहाड़ को चल दो ऐसा न हो कि पीछा करने वाले तुम को मिल जायें ;और तीन दिन तक वहीं छिपे रहना जब तक पीछा करने वाले लौट न आयें ,इस के बा’द अपना रास्ता लेना |

17तब उन आदमियों ने उस से कहा कि हम तो उस क़सम की तरफ़ से जो तूने हम को खिलाई है बे इलज़ाम रहेंगे |

18इसलिए देख !जब हम इस मुल्क में आंएँ तो तू सुर्ख़ रंग के सूत की इस डोरी को उस खिड़की में जिससे तूने हम को नीचे उतारा है बांध देना; और अपने बाप और माँ और भाईयों बल्कि अपने बाप के सारे घराने को अपने पास घर में जमा’ कर रखना |

19फिर जो कोई तेरे घर के दरवाज़ों से निकल कर गली में जाये, उस का ख़ून उसी के सर पर होगा और हम बे गुनाह ठहरेंगे; और जो कोई तेरे साथ घर में होगा उस पर अगर किसी का हाथ चले, तो उसका ख़ून हमारे सर पर होगा |

20और अगर तू हमारे इस काम का ज़िक्र कर दे, तो हम उस क़सम की तरफ़ से जो तूने हम को खिलाई है बेईल्ज़ाम हो जाएँगे |

21उसने कहा ,”जैसा तुम कहते हो वैसा ही हो |" इसलिए उसने उनको रवाना किया और वो चल दिए ;तब उसने सुर्ख़ रंग की वो डोरी खिड़की में बाँध दी |

22और वो जाकर पहाड़ पर पहुँचे और तीन दिन तक वहीं ठहरे रहे, जब तक उनका पीछा करने वाले लौट न आए; और उन पीछा करने वालों ने उनको सारे रास्ते ढूंढा पर कहीं न पाया |

23फिर ये दोनों आदमी लौटे और पहाड़ से उतर कर पार गये, और नून के बेटे यशु’अ के पास जाकर सब कुछ जो उन पर गुज़रा था उसे बताया |

24और उन्होंने यशू’अ से कहा “यक़ीनन ख़ुदावन्द ने वो सारा मुल्क हमारे क़ब्ज़े में कर दिया है क्योंकि उस मुल्क के सब बाशिन्दे हमारे आगे डरे जा रहे हैं |"


  Share Facebook  |  Share Twitter

 <<  Joshua 2 >> 


Bible2india.com
© 2010-2024
Help
Dual Panel

Laporan Masalah/Saran