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1फिर उसकी सास न'ओमी ने उससे कहा, मेरी बेटी! क्या मैं तेरे आराम की तालिब न बनूँ, जिससे तेरी भलाई हो?

2और क्या बो'अज़ हमारा रिश्तेदार नहीं, जिसकी छोकरियों के साथ तू थी? देख, वो आज की रात खलीहान में जौ फटकेगा।

3सो तू नहा-धोकर खुशबू लगा, और अपनी पोशाक पहन और खलीहान को जा; और जब तक वो मर्द खा पी न चुके, तब तक तू अपने तई उस पर ज़ाहिर न करना।

4जब वो लेट जाए, तो उसके लेटने की जगह को देख लेना; तब तू अन्दर जा कर उसके पाँव खोलकर लेट जाना और जो कुछ तुझे करना मुनासिब है वो तुझ को बताएगा।

5उसने अपनी सास से कहा, जो कुछ तू मुझ से कहती है, वो सब मैं करूंगी।

6सो वो खलीहान की गई और जो कुछ उसकी सास ने हुक्म दिया था वो सब किया।

7और जब बो'अज़ खा पी चुका, और उसका दिल खुश हुआ; तो वो ग़ल्ले के ढेर की एक तरफ़ जाकर लेट गया। तब वो चुपके-चुपके आई और उसके पाँव खोलकर लेट गई।

8और आधी रात को ऐसा हुआ के वो मर्द डर गया, और उसने करवट ली और देखा के एक 'औरत उसके पाँव के पास पड़ी है।

9तब उसने पूछा, तू कौन है? उसने कहा, मैं तेरी लौंडी रूत हूँ; सो तू अपनी लौंडी पर अपना दामन फैला दे, क्यूंके तू नज़दीक का क़राबती है।

10uसने कहाँ तू ख़ुदावन्द के तरफ़ से मुबारक हो ऐ मेरी बेटी क्यूँकि तूने शुरू की निसबत आख़िर में ज़्यादा आमिर हो या ग़रीब पीछा न किया

11अब, ऐ मेरी बेटी, मत डर! मैं सब कुछ जो तू कहती है तुझ से करूंगा; क्यूँके मेरी क़ौम का तमाम शहर * जानता है के तू पाक दामन 'औरत है।

12और ये सच है के मैं नज़दीक का क़राबती हैं, लेकिन एक और भी है जो क़राबत में मुझ से ज़ियादा नज़दीक है।

13इस रात तू ठहरी रह, और सुब्ह को अगर वो क़राबत का हक अदा करना चाहे, तो ख़ैर वो कराबत का हक अदा करे; और अगर वो तेरे साथ क़राबत का हक अदा करना न चाहे, तो ज़िन्दा ख़ुदावन्द की क़सम है मै तेरे क़राबत का हक़ अदा करूंगा। सुब्ह तक तो तू लेटी रह।”

14सो वो सुबह तक उसके पाँव के पास लेटी रही, और पेश्तर इस से के कोई एक दूसरे को पहचान सके उठ खड़ी हुई; क्यूँके उसने कह दिया था के ये ज़ाहिर होने न पाए के खलीहान में ये 'औरत आई थी।

15फिर उसने कहा, उस चादर को जो तेरे ऊपर है ला, और उसे थामे रह।” जब उसने उसे थामा तो उसने जौ के छ: पैमाने नाप कर उस पर लाद दिए| फिर वो शहर को चला गया।

16जब वो अपनी सास के पास आई तो उसने कहा, ऐ मेरी बेटी, तू कौन है? तब उसने सब कुछ जो उस मर्द ने उससे किया था उसे बताया,

17और कहने लगी, मुझ को उसने ये छ: पैमाने जौ के दिए, क्यूंके उसने कहा, के तू अपनी सास के पास ख़ाली हाथ न जा।”

18तब उसने कहा, ऐ मेरी बेटी, जब तक इस बात के अंजाम का तुझे पता न लगे,तू चुप चाप बैठी रह इसलिए के उस शख़्स को चैन न मिलेगा जब तक वो इस काम को आज ही तमाम न कर ले|


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