Bible 2 India Mobile
[VER] : [URDU]     [PL]  [PB] 
 <<  Ruth 1 >> 

1और उन ही अय्याम में जब काज़ी इन्साफ़ किया करते थे,ऐसा हुआ के उस सरज़मीन में काल पड़ा, और यहूदाह के बैतलहम का एक मर्द अपनी बीवी और दो बेटों को लेकर चला के मोआब के मुल्क में जाकर बसे।

2उस मर्द का नाम इलीमलिक और उसकी बीवी का नाम न'ओमी था;और उसके दोनों बेटों के नाम महलोन और किलयोन थे।ये यहूदाह के बैतलहम केइफ़ाती थे। सो वो मोआब के मुल्क मेंआकर रहने लगे।

3और न'ओमी का शौहर इलीमलिक मर गया, पस वी और उसकेदोनों बेटे बाक़ी रह गए।

4उन दोनों ने एक एक मोआबी 'औरत ब्याह ली। इनमें से एक का नाम 'उफ़ा और दूसरी का रूत था;और वो दस बरस के क़रीब वहाँ रहे।

5और महलोन और किलयोन दोनों मर गए , सो वो 'औरत अपने दोनों बेटों और ख़ाविंद से छूट गई।

6तब वो अपनी दोनों बहुओं को लेकर उठी के मोआब के मुल्क से लौट जाए, इसलिए के उस ने मोआब के मुल्क में ये हाल सुना के ख़ुदावन्द ने अपने लोगों को रोटी दी और यूँ उनकी खबर ली।

7सो वो उस जगह से जहाँ वो थी, दोनों बहुओं को साथ लेकर चल निकली, और वो सब यहूदाह की सरज़मीन को लौटने के लिए रास्ते पर हो लीं।

8और न'ओमी ने अपनी दोनों बहुओं से कहा, 'तुम दोनों अपने अपने मैके को जाओ। जैसा तुम ने मरहूमों के साथ और मेरे साथ किया, वैसा ही ख़ुदावन्द तुम्हारे साथ महर से पेश आए।

9ख़ुदावन्द ये करे के तुम को अपने अपने शौहर के घर में आराम मिले| तब उसने उनको चूमा और वो चिल्ला चिल्ला कर रोने लगीं। 1

10फिर उन दोनों ने उससे कहा, ‘नहीं ! बल्के हम तेरे साथ लौट कर तेरे लोगों में जाएँगी।”

11न'ओमी ने कहा, 'ऐ मेरी बेटियो, लौट जाओ ! तुम मेरे साथ क्यूँ चली ? क्या मेरे रिहम में और बेटे हैं जो तुम्हारे शौहर हों

12ऐ मेरी बेटियो, लौट जाओ ! अपना रास्ता लो, क्यूँके मैं ज़ियादा बुढ़िया हूँ और शौहर करने के लाइक्र नहीं। आज की रात मेरे पास शौहर भी होता, औरमेरे लड़के पैदा होते;

13तौभी क्या तुम उनके बड़े होने तक इंतज़ार करतें है और शौहर कर लेने से बाज़ रहतें ?नहीं मेरी बेटीयों में तुम्हारे सबब से ज़्यादा दिलगीर हों इसलिए के ख़ुदावन्द का हाथ मेरे ख़िलाफ़ बढ़ा हुआ है

14तब वो फिर चिल्ला चिल्ला कर रोई, और 'उफ़ी ने अपनी सास को चूमा पर रूत उससे लिपटी रही।

15तब उसने कहा, 'देख, तेरी जिठानी * अपने कुन्बे और अपने देवता के पास लौट गई; तू भी अपनी जिठानी के पीछे चली जा।'

16रूत ने कहा, ‘तू मिन्नत न कर के मैं तुझे छोड़ों और तेरे पीछे से लौट जाऊँ; क्यूँके जहाँ तू जाएगीं मै जाऊँगी और जहाँ तू रहेगी मैं रहूँगी,| तेरे लोग मेरे लोग और तेरा ख़ुदा मेरा ख़ुदा होगा।

17जहाँ तू मरेगी मैं मरूंगीं और वहीं दफ़न भी हूँगी; ख़ुदावन्द मुझ से ऐसा ही बल्के इस से भी ज़ियादा करे, अगर मौत के सिवा कोई और चीज़ मुझ को तुझ से जुदा कर दे।”

18जब उसने देखा के उसने उसके साथ चलने की ठान ली है, तो उससे और कुछ न कहा।

19सी वो दोनों चलते चलते बैतलहम में आई। जब वो बैतलहम में दाख़िल हुई तो सारे शहर में धूम मची, और 'औरतें कहने लगीं, 'क्या ये न'ओमी है?'

20उसने उनसे कहा, ‘मुझ को न'ओमी * नहीं बल्के मारह कहो, इसलिए के क़ादिर-ए-मुतलक मेरे साथ निहायत तल्खी से पेश आया है।

21मैं भरी पूरी गई, और ख़ुदावन्द मुझ को ख़ाली फेर लाया। पस तुम क्यूँ मुझे न'ओमी कहती हो, हालाँके ख़ुदावन्द मेरे ख़िलाफ़ मुद्द'ई हुआ और क़ादिर-ए-मुतलक ने मुझे दुख दिया ?”,

22ग़रज़ न'ओमी लौटी और उसके साथ उसकी बहू मोआबी रूत थी, जो मोआब के मुल्क से यहाँ आई। और वो दोनों जौ काटने के मौसिममें बैतलहम में दाखिल हुई ।


  Share Facebook  |  Share Twitter

 <<  Ruth 1 >> 


Bible2india.com
© 2010-2024
Help
Dual Panel

Laporan Masalah/Saran