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1उन दिनों में युहन्ना बपतिस्मा देने वाला आया और यहूदिया के वीरान में ये ऐलान करने लगा कि ,

2“तौबा करो, क्यूँकि आस्मान की बादशाही नज़दीक आ गई है।”

3ये वही है जिस का ज़िक्र यसायाह नबी के जरिये यूँ हुआ कि ‘वीरान में पुकारने वाले की आवाज़ आती है, कि ख़ुदावन्द की राह तैयार करो! उसके रास्ते सीधे बनाओ।’

4ये यूहन्ना ऊँटों के बालों की पोशाक पहने और चमड़े का पटका अपनी कमर से बाँधे रहता था। और इसकी ख़ुराक टिड्डियाँ और जंगली शहद था।

5उस वक़्त यरूशलीम, और सारे यहूदिया और यरदन और उसके आस पास क़े सब लोग निकल कर उस के पास गये।

6और अपने गुनाहों का इकरार करके। यरदन नदी में उस से बपतिस्मा लिया?

7मगर जब उसने बहुत से फ़रीसियों और सदूकियों को बपतिस्मे के लिए अपने पास आते देखा तो उनसे कहा कि , "ऐ साँप के बच्चो" तुम को किस ने बता दिया कि आने वाले ग़ज़ब से भागो ?

8पस तौबा के मुताबिक़ फ़ल लाओ।

9और अपने दिलों में ये कहने का ख़याल न करो कि अब्रहाम हमारा बाप है क्यूँकि मैं तुम से कहता हूँ, कि "ख़ुदा" इन पत्थरों से अब्रहाम के लिए औलाद पैदा कर सकता है।

10जब दरख़्तों की जड़ पर कुल्हाड़ा रख्खा हुआ है पस, जो दरख़्त अच्छा फ़ल नहीं लाता वो काटा और आग में डाला जाता है।

11"मैं तो तुम को तौबा के लिए पानी से बपतिस्मा देता हूँ, लेकिन जो मेरे बाद आता है मुझ से बड़ा है; मैं उसकी जूतियाँ उठाने के लायक़ नहीं' वो तुम को रूह -उल कुददूस और आग से बपतिस्मा देगा।

12उस का छाज उसके हाथ में है और वो अपने खलियान को ख़ूब साफ़ करेगा, और अपने गेहूँ को तो खत्ते में जमा करेगा, मगर भूसी को उस आग में जलाएगा जो बुझने वाली नहीं।”

13उस वक़्त "ईसा" गलील से यर्दन के किनारे यूहन्ना के पास उस से बपतिस्मा लेने आया।

14मगर यूहन्ना ये कह कर उसे मना करने लगा,“मैं आप तुझ से बपतिस्मा लेने का मोहताज हूँ, और तू मेरे पास आया है?”

15ईसा' ने जवाब में उस से कहा, “अब तू होने ही दे, क्यूंकि हमें इसी तरह सारी रास्तबाज़ी पूरी करना मुनासिब है। इस पर उस ने होने दिया।”

16और "ईसा" बपतिस्मा लेकर फ़ौरन पानी के ऊपर आया। "और देखो, उस के लिए आस्मान खुल गया और उस ने "ख़ुदा" की रूह को कबूतर की शक्ल मे उतरते और अपने ऊपर आते देखा।

17और देखो आसमान से ये आवाज़ आई: ये मेरा प्यारा बेटा है जिससे मैं ख़ुश हूँ।”


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