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1जब ईसा' ये बातें ख़त्म कर चुका तो ऐसा हुआ कि गलील को रवाना होकर यरदन के पार यहूदिया की सरहदों में आया।

2और एक बड़ी भीड़ उसके पीछे हो ली; और उस ने उन्हें वहीं अच्छा किया।

3और फ़रीसी उसे अज़माने को उसके पास आए और कहने लगे “क्या हर एक वज़ह से अपनी बीवी को छोड़ देना जायज़ है?”

4उस ने जवाब में कहा , “क्या तुम ने नहीं पढ़ा कि जिसने उन्हें बनाया उसने शुरू ही से उन्हें मर्द और औरत बना कर कहा?

5कि इस वज़ह से मर्द बाप से और माँ से जुदा होकर अपनी बीवी के साथ रहेगा;‘और वो दोनों एक जिस्म होंगे।’

6पस वो दो नहीं, बल्कि एक जिस्म हैं; इसलिए जिसे "ख़ुदा" ने जोड़ा है उसे आदमी जुदा न करे।”

7उन्होंने उससे कहा “फिर मूसा ने क्यूँ हुक्म दिया है; कि तलाक़नामा देकर छोड़ दी जाए?”

8"उस ने उनसे कहा , “मूसा ने तुम्हारी सख़्त दिली की वज़ह से तुम को अपनी बीवियों को छोड़ देने की इजाज़त दी; मगर शुरू से ऐसा न था।

9और मैं तुम से कहता हूँ; कि जो कोई अपनी बीवी को हरामकारी के सिवा किसी और वज़ह से छोड़ दे; और दूसरी शादी करे, वो ज़िना करता है; और जो कोई छोड़ी हुई से शादी कर ले, वो भी ज़िना करता है””

10शागिर्दों ने उससे कहा “अगर मर्द का बीवी के साथ ऐसा ही हाल है; तो शादी करना ही अच्छा नहीं।”

11उसने उनसे कहा,“सब इस बात को क़ुबूल नहीं कर सकते मगर वही जिनको ये क़ुदरत दी गई है।

12क्यूँकि कुछ खोजे ऐसे हैं 'जो माँ के पेट ही से ऐसे पैदा हुए, और कुछ खोजे ऐसे हैं जिनको आदमियों ने खोजा बनाया; और कुछ खोजे ऐसे हैं, जिन्होंने आसमान की बादशाही के लिए अपने आप को खोजा बनाया, जो क़ुबूल कर सकता है करे।

13उस वक़्त लोग बच्चों को उसके पास लाए, ताकि वो उन पर हाथ रख्खे और दुआ दे मगर शागिर्दों ने उन्हें झिड़का।

14लेकिन ईसा' ने उनसे कहा,”बच्चों को मेरे पास आने दो और उन्हें मना न करो, क्यूँकि आसमान की बादशाही ऐसों ही की है।

15और वो उन पर हाथ रखकर वहीं से चला गया।

16और देखो; एक शख़्स ने पास आकर उससे कहा “मैं कौन सी नेकी करूँ, ताकि हमेशा की ज़िन्दगी पाऊँ?”

17उसने उससे कहा, “तू मुझ से नेकी की वज़ह क्यूँ पूछता है? नेक तो एक ही है लेकिन अगर तू ज़िन्दगी में दाख़िल होना चाहता है तो हुक्मों पर अमल कर।”

18उसने उससे कहा “कौन से हुक्म पर? ” ईसा' ने कहा , “ये कि ख़ून न कर ज़िना न कर चोरी न कर, झूटी गवाही न दे।

19अपने बाप की और माँ की इज़त कर और अपने पड़ौसी से अपनी तरह मुहब्बत रख।”

20उस जवान ने उससे कहा कि “मैंने उन सब पर अमल किया है अब मुझ में किस बात की कमी है?”

21ईसा' ने उससे कहा अगर तू कामिल होना चाहे तो जा अपना माल-वा अस्बाब बेच कर ग़रीबों को दे, तुझे आसमान पर ख़ज़ाना मिलेगा; और आकर मेरे पीछे होले।”

22मगर वो जवान ये बात सुनकर उदास होकर चला गया, क्यूँकि बड़ा मालदार था।

23ईसा' ने अपने शागिर्दों से कहा "मैं तुम से सच कहता हूँ कि दौलतमन्द का आस्मान की बादशाही में दाख़िल होना मुश्किल है।

24और फिर तुम से कहता हूँ, 'कि ऊँट का सूई के नाके में से निकल जाना इससे आसान है कि दौलतमन्द "ख़ुदा" की बादशाही में दाख़िल हो।

25शागिर्द ये सुनकर बहुत ही हैरान हुए और कहने लगे “फिर कौन नजात पा सकता है?”

26ईसा' ने उनकी तरफ देखकर कहा" ये आदमियों से तो नहीं हो सकता; लेकिन "ख़ुदा" से सब कुछ हो सकता है |"

27इस पर पतरस ने जवाब में उससे कहा “देख हम तो सब कुछ छोड़ कर तेरे पीछे हो लिए हैं ; पस हम को क्या मिलेगा?”

28ईसा' ने उस से कहा "मैं तुम से सच कहता हूँ कि , जब इबने आदम नई पैदाइश में अपने जलाल के तख़्त पर बैठेगा; तो तुम भी जो मेरे पीछे हो लिए हो बारह तख़्तों पर बैठ कर इस्राईल के बारह क़बीलों का इन्साफ़ करोगे।

29और जिस किसी ने घरों, या भाइयों, या बहनों, या बाप, या माँ, या बच्चों, या खेतों को मेरे नाम की ख़ातिर छोड़ दिया है; उसको सौ गुना मिलेगा; और हमेशा की ज़िन्दगी का वारिस होगा।

30लेकिन बहुत से पहले आख़िर हो जाएँगे; और आख़िर पहले।


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