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1फिर उसने अपने घर के मुन्त्जिम को ये हुक्म किया कि इन आदमियों के बोरों में जितना अनाज वह लेजा सकें भर दे, और हर शख़्स की नकदी उसी के बोरे के मुँह में रख दे;

2और मेरा चाँदी का प्याला सबसे छोटे के बोरे के मुँह में उसकी नकदी के साथ रखना।" चुनान्चे उसने यूसुफ़ के फ़रमाने के मुताबिक 'अमल किया।

3सुबह रौशनी होते ही ये आदमी अपने गधों के साथ रुख्सत कर दिए गए।

4वो शहर से निकल कर अभी दूर भी नहीं गए थे के यूसुफ़ ने अपने घर के मुन्तज़िम से कहा, "जा! उन लोगों का पीछा कर; और जब तू उनको जा ले तो उनसे कहना, 'नेकी के इवज़ तुम ने बदी क्यूँ की?

5क्या ये वही चीज़ नहीं जिससे मेरा आका पीता और इसी से ठीक फ़ाल भी खोला करता है? तुम ने जो ये किया सो बुरा किया'

6और उसने उनकी जा लिया और यही बातें उनसे कहीं।

7तब उन्होंने उससे कहा कि हमारा ख़ुदावन्द, ऐसी बातें क्यूँ कहता है? ख़ुदा न करे के तेरे ख़ादिम ऐसा काम करें

8भला, जो नकदी हम को अपने बोरों के मुँह में मिली, उसे तो हम मुल्क-ए-कनान से तेरे पास वापस ले आए; फिर तेरे आका के घर से चाँदी या सोना क्यूँ कर चुरा सकते हैं?

9सो तेरे ख़ादिमों में से जिस किसी के पास वो निकले वो मार दिया जाए, और हम भी अपने ख़ुदावन्द के गुलाम हो जाएँगे।

10उसने कहा कि तुम्हारा ही कहना सही, जिसके पास वो निकल आए वो मेरा गुलाम होगा, और तुम बेगुनाह ठहरोगे।

11तब उन्होंने जल्दी की, और एक-एक ने अपना बोरा ज़मीन पर उतार लिया और हर शख्स ने अपना बोरा खोल दिया।

12सो वो दून्डने लगा और सबसे बड़े से शुरू' करके सबसे छोटे पर तलाशी ख़त्म की, और प्याला बिनयमीन के बोरे में मिला।

13तब उन्होंने अपने पैराहन चाक किए और हर एक अपने गधे को लादकर उल्टा शहर को फिरा।

14और यहूदाह और उसके भाई यूसुफ़ के घर आए, वो अब तक वहीं था; सी वो उसके आगे ज़मीन पर गिरे।

15तब यूसुफ़ ने उनसे कहा, "तुम ने ये कैसा काम किया? क्या तुम को मालूम नहीं के मुझ सा आदमी ठीक फ़ाल खोलता है?"

16यहूदाह ने कहा कि हम अपने ख़ुदावन्द से क्या कहें? हम क्या बात करें? या क्यूँ कर अपने को बरी ठहराएँ? ख़ुदा ने तेरे ख़ादिमों की बदी पकड़ ली। सो देख, हम भी और वो भी जिसके पास प्याला निकला, दोनों अपने ख़ुदावन्द के गुलाम हैं।

17उसने कहा कि ख़ुदा न करे के मैं ऐसा करूं; जिस शख्स के पास ये प्याला निकला बुही मेरा गुलाम होगा, और तुम अपने बाप के पास सलामत चले जाओ।

18तब यहूदाह उसके नज़दीक जाकर कहने लगा, "ऐ मेरे ख़ुदावन्द! ज़रा अपने ख़ादिम को इजाज़त दे के अपने ख़ुदावन्द के कान में एक बात कहे; और तेरा ग़ज़ब तेरे ख़ादिम पर न भड़के, क्यूँके तू फ़िर'औन की मानिन्द है।

19मेरे ख़ुदावन्द ने अपने ख़ादिमों से सवाल किया था कि तुम्हारा बाप या तुम्हारा भाई है?"

20और हम ने अपने ख़ुदावन्द से कहा था, 'हमारा एक बूढ़ा बाप है और उसके बुढ़ापे का एक छोटा लड़का भी है; और उसका भाई मर गया है और वो अपनी माँ का एक ही रह गया है, सो उसका बाप उस पर जान देता है।'

21तब तूने अपने ख़ादिमों से कहा, 'उसे मेरे पास ले आओ के मैं उसे देख़ूँ।'

22हम ने अपने ख़ुदावन्द को बताया, 'वो लड़का अपने बाप को छोड़ नहीं सकता, क्यूँके अगर वो अपने बाप को छोड़े तो उसका बाप मर जाएगा।'

23फिर तूने अपने खादिमों से कहा कि जब तक तुम्हारा छोटा भाई तुम्हारे साथ न आए, तुम फिर मेरा मुँह न देखोगे।

24और यूँ हुआ के जब हम अपने बाप के पास, जो तेरा ख़ादिम है, पहुँचे तो हम ने अपने ख़ुदावन्द की बातें उससे कहीं।

25हमारे बाप ने कहा, "फिर जा कर हमारे लिए कुछ अनाज मोल लाओ।"

26हम ने कहा, 'हम नहीं जा सकते; अगर हमारा सबसे छोटा भाई हमारे साथ ही तो हम जाएँगे। क्यूँके जब तक हमारा सबसे छोटा भाई हमारे साथ न हो, हम उस शख़्स का मुँह न देखेंगे।"

27और तेरे खादिम मेरे बाप ने हम से कहा, 'तुम जानते हो के मेरी बीवी के मुझ से दो बेटे हुए।

28एक तो मुझे छोड़ ही गया और मैंने ख़याल किया के वो ज़रूर फाड़ डाला गया होगा; और मैंने उसे उस वक्त से फिर नहीं देखा।

29अब अगर तुम इसको भी मेरे पास से ले जाओ और इस पर कोई आफ़त आ पड़े, तो तुम मेरे सफ़ेद बालों को ग़म के साथ कब्र में उतारोगे।”

30सो अब अगर मैं तेरे ख़ादिम अपने बाप के पास जाऊँ और ये लड़का हमारे साथ न हो, तो चूँके उसकी जान इस लड़के की जान के साथ वाबस्ता है।

31वो ये देख कर के लड़का नहीं आया मर जाएगा, और तेरे खादिम अपने बाप के, जो तेरा खादिम है, सफ़ेद बालों को ग़म के साथ कब्र में उतारेंगे।

32और तेरा खादिम अपने बाप के सामने इस लड़के का ज़ामिन भी हो चुका है और ये कहा है, 'अगर मैं इसे तेरे पास वापस न पहुँचा दूँ तो मैं हमेशा के लिए अपने बाप का गुनहगार ठहरूंगा।'

33इसलिए अब तेरे खादिम की इजाज़त हो के वो इस लड़के के बदले अपने खुदावन्द का गुलाम हो कर रह जाए, और ये लड़का अपने भाइयों के साथ चला जाए।

34क्यूँके लड़के के बौर मैं क्या मुँह लेकर अपने बाप के पास जाऊँ? कहीं ऐसा न हो के मुझे वो मुसीबत देखनी पड़े, जो ऐसे हाल में मेरे बाप पर आएगी।"


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