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1एक दूसरे से भाइयों की सी मुहब्बत रखते रहें।

2मेहमान-नवाज़ी मत भूलना, क्यूँकि ऐसा करने से कुछ ने अनजाने तौर पर फ़रिश्तों की मेहमान-नवाज़ी की है।

3जो क़ैद में हैं, उन्हें यूँ याद रखना जैसे आप ख़ुद उन के साथ क़ैद में हों। और जिन के साथ बदसुलूकी हो रही है उन्हें यूँ याद रखना जैसे आप से यह बदसुलूकी हो रही हो।

4ज़रूरी है कि सब के सब मिली हुई ज़िन्दगी का एहतिराम करें। शौहर और बीवी एक दूसरे के वफ़ादार रहें, क्यूँकि खुदा ज़िनाकारों और शादी का बंधन तोड़ने वालों की अदालत करेगा।

5आप की ज़िन्दगी पैसों के लालच से आज़ाद हो। उसी पर इकतिफ़ा करें जो आप के पास है, क्यूँकि खुदा ने फ़रमाया है, “मैं तुझे कभी नहीं छोड़ूँगा, मैं तुझे कभी तर्क नहीं करूँगा।”

6इस लिए हम यकीन से कह सकते हैं,कि "खुदावन्द मेरा मदद गार है, मैं खौफ न करूंगा इन्सान मेरा क्या करेगा ?”

7अपने राहनुमाओं को याद रखें जिन्हों ने आप को खुदा का कलाम सुनाया। इस पर ग़ौर करें कि उन के चाल-चलन से कितनी भलाई पैदा हुई है, और उन के ईमान के नमूने पर चलें।

8ईसा' मसीह कल और आज और हमेशा तक यक्साँ है।

9तरह तरह की और बेगाना तालीमात आप को इधर उधर न भटकाएँ। आप तो खुदा के फ़ज़ल से ताक़त पाते हैं और इस से नहीं कि आप मुख़्तलिफ़ खानों से पर्हेज़ करते हैं। इस में कोई ख़ास फ़ायदा नहीं है।

10हमारे पास एक ऐसी क़ुर्बानगाह है जिस की क़ुर्बानी खाना मुलाक़ात के खेमे में ख़िदमत करने वालों के लिए मना है।

11क्यूँकि अगरचे इमाम-ए-आज़म जानवरों का ख़ून गुनाह की क़ुर्बानी के तौर पर पाक तरीन कमरे में ले जाता है, लेकिन उन की लाशों को खेमागाह के बाहर जलाया जाता है।

12इस वजह से ईसा' को भी शहर के बाहर सलीबी मौत सहनी पड़ी ताकि क़ौम को अपने ख़ून से ख़ास -ओ-पाक करे।

13इस लिए आएँ, हम खेमागाह से निकल कर उस के पास जाएँ और उस की बेइज़्ज़ती में शरीक हो जाएँ।

14क्यूँकि यहाँ हमारा कोई क़ायम रहने वाला शहर नहीं है बल्कि हम आने वाले शहर की शदीद आरजू रखते हैं।

15चुनाँचे आएँ, हम ईसा' के वसीले से खुदा को हम्द-ओ-सना की क़ुर्बानी पेश करें, यानी हमारे होंटों से उस के नाम की तारीफ़ करने वाला फल निकले।

16नेज़, भलाई करना और दूसरों को अपनी बरकतों में शरीक करना मत भूलना, क्यूँकि ऐसी क़ुर्बानियाँ खुदा को पसन्द हैं।

17अपने राहनुमाओं की सुनें और उन की बात मानें। क्यूँकि वह आप की देख-भाल करते करते जागते रहते हैं, और इस में वह खुदा के सामने जवाबदेह हैं। उन की बात मानें ताकि वह ख़ुशी से अपनी ख़िदमत सरअन्जाम दें। वर्ना वह कराहते कराहते अपनी ज़िम्मादारी निभाएँगे, और यह आप के लिए मुफ़ीद नहीं होगा।

18हमारे लिए दुआ करें, गरचे हमें यक़ीन है कि हमारा ज़मीर साफ़ है और हम हर लिहाज़ से अच्छी ज़िन्दगी गुज़ारने के ख़्वाहिशमन्द हैं।

19मैं ख़ासकर इस पर ज़ोर देना चाहता हूँ कि आप दुआ करें कि खुदा मुझे आप के पास जल्द वापस आने की तौफ़ीक़ बख़्शे।

20अब सलामती का ख़ुदा जो अबदी अह्द के ख़ून से हमारे ख़ुदावन्द और भेड़ों के अज़ीम चरवाहे ईसा' को मुर्दों में से वापस लाया

21वह आप को हर अच्छी चीज़ से नवाज़े ताकि आप उस की मर्ज़ी पूरी कर सकें। और वह ईसा' मसीह के ज़रीए हम में वह कुछ पैदा करे जो उसे पसन्द आए। उस का जलाल शुरू से हमेशा तक होता रहे! आमीन।

22भाइयों! मेहरबानी करके नसीहत की इन बातों पर सन्जीदगी से ग़ौर करें, क्यूँकि मैंने आप को सिर्फ़ चन्द अल्फ़ाज़ लिखे हैं।

23यह बात आप के इल्म में होनी चाहिए कि हमारे भाई तीमुथियुस को रिहा कर दिया गया है। अगर वह जल्दी पहुँचे तो उसे साथ ले कर आप से मिलने आऊँगा।

24अपने तमाम राहनुमाओं और तमाम मुक़द्दसीन को मेरा सलाम कहना। इटली के ईमानदार आप को सलाम कहते हैं।

25खुदा का फ़ज़ल आप सब के साथ रहे।


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