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1लेकिन कुछ के 'अरसे बाद गेहूं की फ़स्ल के मौसिम में, बकरी का एक बच्चा लेकर अपनी बीवी के हाँ गया और कहने लगा, अपनी बीवी के पास कोठरी में उसके बाप ने उसे अन्दर जाने न दिया।

2उसके बाप ने कहा, को यक़ीनन ये ख़याल हुआ के तुझे उससे सख़्त नफ़रत हो गई मैंने उसे तेरे रफ़ीक को दे दिया। क्या उसकी छोटी बहन उससे कहीं खूबसूरत नहीं है? उसके इवज़ तू इसी को ले ले।

3ने उनसे कहा, बारे मैं फ़िलिस्तियों की तरफ़ मैं उनसे बुराई करूं बेक़सूर

4समसून ने जाकर तीन सौ लोमड़ियाँ मशालें ली और दुम से दुम मिलाई, दो दो दुमों के बीच में एक एक मशाल बाँध दी।

5में आग लगा कर उसने लोमड़ियों को फ़िलिस्तियों के खड़े खेतों में छोड़ दिया, पूलियों और खड़े खेतों दोनों जैतून के बाग़ों को भी जला

6फ़िलिस्तियों ने कहा, ये किया है? ने बताया, के दामाद समसून ने; के उसने उसकी बीवी छीन कर उस के रफीक को दे दी। फिलिस्तियों ने आकर उस 'औरत को और उसके बाप को आग में जला

7ने उनसे कहा, जो ऐसा काम करते हो, ज़रूर ही मैं तुम से बदला लूँगा और इसके बाद बाज़ आऊँगा।

8उस ने उनको बड़ी खून रेज़ी के मार कर उनका कचूमर कर डाला; वहाँ से जाकर ऐताम की चटान की दराड़ में रहने लगा।

9फ़िलिस्ती जाकर यहूदाह में ख़ैमाज़न हुए और लही में फैल

10यहूदाह के लोगों ने उनसे कहा, हम पर क्यूँ चढ़ आए हो? समसून को बाँधने आए हैं, जैसा उसने हम से किया हम भी उससे वैसा ही करें।

11यहूदाह के तीन हज़ार मर्द ऐताम की चटान की दराड़ में उतर गए, समसून से कहने लगे, तू नहीं जानता के फ़िलिस्ती हम पर हुक्मरान हैं? तूने हम से ये क्या किया है? उनसे कहा, उन्होंने मुझ से किया, भी उनसे वैसा ही किया।

12उससे कहा, हम आए हैं के तुझे बाँध कर फ़िलिस्तियों के हवाले कर ने उनसे कहा, से कसम खाओ के तुम ख़ुद मुझ पर हमला न करोगे।

13उसे जवाब दिया, हम तुझे कस कर बाँधेगे और उनके हवाले कर देंगे; हम हरगिज़ तुझे जान से न मारेंगे। उन्होंने उसे दो नई रस्सियों से बाँधा और चटान से उसे ऊपर

14वो लही में पहुँचा, फ़िलिस्ती उसे देख कर ललकारने लगे। तब ख़ुदावन्द की रूह उस पर ज़ोर से नाज़िल हुई, उसके बाजुओं पर की रस्सियाँ आग से जले हुए सन की मानिंद हो उसके बन्धन हाथों पर से उतर गए।

15उसे एक गधे के जबड़े की नई हड्डी मिल गई: उसने हाथ बढ़ा कर उसे उठा लिया, उससे उसने एक हज़ार आदमियों को मार डाला।

16समसून ने कहा, के जबड़े की हड्डी से ढेर के ढेर लग गए, के जबड़े की हड्डी से मैंने हज़ार आदमियों को मारा।

17जब वो अपनी बात ख़त्म कर चुका, उसने जबड़ा अपने हाथ में से फेंक दिया; उस जगह का नाम रामत लही'

18उसको बड़ी प्यास लगी, उसने ख़ुदावन्द को पुकारा और अपने बन्दे के हाथ से ऐसी बड़ी रिहाई बख़्शी। अब क्या मैं प्यास से मरूं, नामख़्तूनों के हाथ में पडूँ?

19ख़ुदा ने उस गढ़े को जो लही में है चाक कर दिया, उसमें से पानी निकला; जब उसने उसे पी लिया तो उसकी जान में जान आई, वो ताज़ा दम हुआ। इसलिए उस जगह का नाम ऐन हक्कोरे * लही में आज तक है।

20वो फ़िलिस्तियों के आयाम में बीस बरस तक इस्राईलियों का काज़ी रहा।


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