1इफ़ाईम के लोग जमा' की तरफ़ गए और इफ़्ताह से कहने तू बनी 'अम्मोन से जंग करने को गया तो हम को साथ चलने को क्यूँ न बुलवाया? हम तेरे घर को तुझ समेत जलाएँगे।
2ने उनको जवाब दिया, और मेरे लोगों का बड़ा झगड़ा बनी 'अम्मोन के साथ हो रहा था, जब मैंने तुम को बुलवाया तो तुम ने उनके हाथ से मुझे न
3जब मैंने ये देखा के तुम मुझे नहीं बचाते, मैंने अपनी जान हथेली रखी और बनी 'अम्मोन के मुक़ाबिले को चला, ख़ुदावन्द ने उनको मेरे हाथ में कर दिया; तुम आज के दिन मुझ से लड़ने को मेरे पास क्यूं चले आए?
4इफ़्ताह सब जिल'आदियों को जमा' इफ़ाईमियों से लड़ा, ने इफ़ाईमियों को मार लिया क्यूँके वो कहते थे, इफ़ाईम ही के भगोड़े हो, इफ़ाईमियों और मनस्सियों के दर्मियान रहते हो।
5ने इफ़ाईमियों का रास्ता रोकने के लिए यरदन के घाटों को अपने कब्ज़े में कर लिया, जो भागा हुआ इफ़ाइमी कहता, पार जाने दो, उससे कहते, तू इफ़ाइमी * अगर वो जवाब देता,
6वो उससे कहते, तो बोल, वो सिब्बुलत उससे उसका सहीह तलफ़्फुज़ नहीं हो सकता था। तब वो उसे पकड़कर यरदन के घाटों पर कत्ल कर देते थे। सो उस वक्त बयालीस हज़ार इफ़ाइमी क़त्ल हुए।
7इफ़्ताह छ: तक बनीइस्राईल का काज़ी रहा। फिर जिल'आदी इफ़्ताह ने वफ़ात पाई, के शहरों में से एक में दफ़्न
8बैतलहमी इबसान इस्राईलियों का काज़ी हुआ।
9तीस बेटे थे; तीस बेटियाँ उसने बाहर ब्याह बाहर से अपने बेटों के लिए तीस बेटियाँ ले आया। वों सात बरस तक इस्राईलियों काज़ी रहा।
10और इबसान मर गया और बैतलहम में दफ़्न हुआ।
11उसके बाद ज़बूलूनी ऐलोन इस्राईल का क़ाज़ी हुआ; वो दस बरस इस्राईल का क़ाज़ी
12ज़बूलूनी ऐलोन मर गया, अय्यालोन में जो ज़बूलून के मुल्क में है दफ़्न हुआ।
13बाद फ़िर'आतोनी हिल्लेल का बेटा 'अबदोन इस्राईल का क़ाज़ी हुआ।
14उसके चालीस बेटे और तीस पोते थे जो सत्तर जवान गधों पर सवार होते थे; वो आठ बरस इस्राईलियों का काज़ी रहा।
15हिल्लेल का बेटा 'अबदीन मर गया, के कोहिस्तानी इलाके में, में जो इफ़ाईम के मुल्क में है दफ़्न हुआ।