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1और इसके बा’द ऐसा हुआ कि दाऊद ने ख़ुदावन्द से पूछा कि, क्या यहूदा के शहरों में से किसी मै चला जाऊँ| ख़ुदावन्द ने उस से कहा, ज़ा| दाऊद ने कहा, किधर जाऊँ उस ने फ़रमाया, हब्रून को

2सो दाऊद म’ए अपनी दोनों बीवियों यज़र’एली आख़ीन’अम और कर्मिली नाबाल की बीवी अबीजेल,के वहाँ गया |

3और दाऊद अपने साथ के आदमियों को भी एक एक घराने समेत वहाँ ले गया और वह हब्रून के शहरों में रहने लगे |

4तब यहूदाह के लोग आए और वहाँ उन्होंने दा’ऊद को मसह करके यहूदाह के ख़ानदान का बादशाह बनाया-और उन्होंने दाऊद को बताया कि यबीस जिल’आद के लोगों ने साऊल को दफ़न किया था

5सो दाऊद ने यबीस जिल'आद के लोगों के पास क़ासिद रवाना किए और उनको कहला भेजा कि, ख़ुदावन्द की तरफ़ से तुम मुबारक हो इस लिए कि तुमने अपने मालिक साऊल पर यह एहसान किया और उसे दफ़न किया |

6सो ख़ुदावन्द तुम्हारे साथ रहमत और सच्चाई को ‘अमल में लाये और मैं भी तुमको इस नेकी का बदला दूंगा इस लिए कि तुमने यह काम किया है |

7पस तुम्हारे बाज़ू क़वी हों और तुम दिलेर रहो क्यूँकि तुम्हारा मालिक साऊल मर गया और यहूदाह के घराने ने मसह कर के मुझे अपना बादशाह बनाया है |

8लेकिन नेर के बेटे अबनेर ने जो साऊल के लशकर का सरदार था साऊल के बेटे इश्बोसत को लेकर उसे महनायम में पहुँचाया |

9और उसे जिल’आद और आशरयों और यज़र'ईल और इफ़्राईम और बिन यामीन और तमाम इस्राईल का बादशाह बनाया |

10और साऊल के बेटे इश्बोसत की ‘उम्र चालीस बरस की थी जब वह इस्राईल का बादशाह हुआ और उसने दो बरस बादशाही की लेकिन यहूदाह के घराने ने दाऊद की पैरवी की |

11और दाऊद हब्रून में बनी यहूदाह पर सात बरस छ:महीने तक हुक्मरान रहा |

12फिर नेर का बेटा अबनेर और साऊल के बेटे इश्बोसत के ख़ादिम महनायम से जिब’ऊन में आए |

13और ज़रोयाह का बेटा योआब और दाऊद के मुलाज़िम निकले और जिब’ऊन के तालाब पर उनसे मिले और दोनों फ़रीक़ बैठ गये,एक तालाब की इस तरफ़ और दूसरा तालाब की दूसरी तरफ़ |

14तब अबनेर ने योआब से कहा, ज़रा यह जवान उठकर हमारे सामने खेलें ,योआब ने कहा उठें|

15तब वह उठकर ता’दाद के मुताबिक़ आमने सामने हुए या’नी साऊल के बेटे इश्बोसत और बिन यामीन की तरफ़ से बारह जवान और दाऊद के ख़ादिमों में से बारह आदमी |

16और उनहोंने एक दूसरे का सिर पकड़ कर अपनी अपनी तलवार अपने मुख़ालिफ़ के पहलू में भोंक दी सो वह एक ही साथ गिरे इस लिए वह जगह हल्क़त हस्सोरीम कहलाई वह जिब’ऊन में है |

17और उस रोज़ बड़ी सख्त़ लड़ाई हुई और अबनेर और इस्राईल के लोगों ने दाऊद के ख़ादिमों से शिकस्त खाई |

18और ज़रोयाह के तीनों बेटे योआब,और अबीशे और ‘असाहील वहाँ मौजूद थे और ‘असाहील जंगली हिरन की मानिन्द सुबक पा था |

19और ‘असाहीर ने अबनेर का पीछा किया और अबनेर का पीछा करते वक़्त वह दहने या बाएं हाथ ना मुड़ा |

20तब अबनेर ने अपने पीछे नज़र करके उससे कहा, ऐ ‘असाहेल क्या तू है “उसने कहा, हाँ|

21अबनेर ने उससे कहा, अपनी दहनी या बायीं सिम्त मुड़ जा और जवानों में से किसी को पकड़ कर उसके हथियार लूट ले | पर असाहील उसका पीछा करने से बाज़ न आया|

22अबनेर ने ‘असाहेल से फिर कहा, मेरा पीछा करने से बाज़ रह मैं कैसे तुझे ज़मीन पर मार कर डाल दूँ क्यूँकि फिर मैं तेरे भाई योआब को किया मुँह दिखाऊंगा|

23इस पर भी उसने मुड़ने से इनकार किया ,अबनेर ने अपने भाले के पिछले सिरे से उसके पेट पर ऐसा मारा कि वह पार हो गया /सो वह वहाँ गिरा और उसी जगह मर गया और ऐसा हुआ कि जितने उस जगह आए जहाँ असाहील गिर कर मरा था वह वहीं खड़े रह गये |

24लेकिन योआब और अबीशे अबनेर का पीछा करते रहे और जब वह कोह-ए-अम्मा जो दश्त-ए-जिबऊन के रास्ते में जियाह के मुक़ाबिल है पहुँचे तो सूरज डूब गया |

25और बनी बिनयमीन अबनेर पीछे इकट्ठे हुए और एक दस्ता बन गए और एक पहाड़ की चोटी पर खड़े हुए |

26तब अबनेर ने योआब को पुकार कर कहा, क्या तलवार अ'बद तक हलाक करती रहे ?क्या तू नहीं जानता कि इसका अंजाम कड़वाहट होगा ?तू कब लोगों को हुक्म देगा कि अपने भाइयों का पीछा छोड़ कर लौट जायें |”

27योआब ने कहा, ज़िन्दा ख़ुदा की क़सम अगर तू न बोला होता तो लोग सुबह ही को ज़रूर चले जाते और अपने भाइयों का पीछा न करते |”

28फिर योआब ने नरसिंगा फूँका और सब लोग ठहर गये और इस्राईल का पीछा फिर न किया और न फिर लड़े|

29और अबनेर और उसके लोग उस सारी रात मैदान चले,और यरदन के पार हुए और सब बितारोन से गुज़र कर महनायम में आ पहुँचे |

30और योआब अबनेर का पीछा छोड़ कर लौटा, और उसने जो सब आदमियों को जमा किया,तो दाऊदके मुलाज़िमो में से उन्नीस आदमी और असाहेल कम निकले |

31पर दाऊद के मुलाज़िमों ने बिनयमीन में से और अबनेर के लोगों में से इतने मार दिए कि तीन सौ साठ आदमी मर गये |

32और उन्होंने असाहेल को उठा कर उसे उसके बाप की क़ब्र में जो बैतल हम में थी दफ़न किया और योआब और उसके लोग सारी रात चले और हब्रून पहुँच कर उनको दिन निकला |


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