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1और ख़ुदावन्द ने नातन को दाऊद के पास भेजा ,उसने उसके पास आकर उससे कहा, किसी शहर में दो शख्स़ थे ,एक अमीर दूसरा ग़रीब |

2उस अमीर के पास बहुत से रेवड़ और गल्ले थे |

3पर उस ग़रीब के पास भेड़ की एक पठिया के सिवा कुछ न था, जिसे उसने ख़रीद कर पाला था और वह उसके और उसके बाल बच्चों के साथ बढ़ी थी, वह उसी के नेवाले में से खाती और उसके पियाला से पीती और उसकी गोद में सोती थी, और उसके लिए बतौर बेटी के थी |

4और उस अमीर के यहाँ कोई मुसाफ़िर आया ,सो उसने उस मुसाफ़िर के लिए जो उसके यहाँ आया था पकाने को अपने रेवड़ और गल्ला मेंसे कुछ न लिया, बल्कि उस ग़रीब की भेड़ लेली, और उस शख्स़ के लिए जो उसके यहाँ आया था पकाई |

5तब दाऊद का गज़ब उस शख्स़ पर बशिददत भड़का और उसने नातन से कहा कि ख़ुदावन्द की हयात की क़सम कि वह शख्स़ जिसने यह काम किया वाजिबुल क़त्ल है |

6सो उस शख्स़ को उस भेड़ का चौ गुना भरना पड़ेगा क्यूँकि उसने ऐसा काम किया और उसे तरस न आया |

7तब नातन ने दाऊद से कहा, वह शख्स़ तूही है ,ख़ुदावन्द इस्राईल का ख़ुदा यूँ फ़रमाता है कि मैंने तुझे मसह करके इस्राईल का बादशाह बनाया और मैंने तुझे साऊल के हाथ से छुड़ाया |

8और मैंने तेरे आक़ा का घर तुझे दिया और तेरे आक़ा की बीवियाँ तेरी गोद में करदीं ,और इस्राईल और यहूदाह का घराना तुझको दिया, और अगर यह सब कुछ थोड़ा था तो मैं तुझको औरचीजें भी देता |

9सो तूने क्यों ख़ुदा की बात की तहक़ीर करके उसके हुज़ूर बदी की ?तूने हित्ती औरय्याह को तलवार से मारा और उसकी बीवी लेली ताकि वह तेरी बीवी बने और उसको बनी अम्मोन की तलवार से क़त्ल करवाया |

10सो अब तेरे घरसे तलवार कभी अलग न होगी क्यूँकि तूने मुझे हक़ीर जाना और हित्ती औरय्याह की बीवी लेली ताकि वह तेरी बीवी हो |

11सो ख़ुदावन्द यूँ फ़रमाता है कि “देख मैं शर को तेरे ही घर से तेरे ख़िलाफ़ उठाऊँगा और मैं तेरी बीवियों को लेकर तेरी आँखों के सामने तेरे हमसाया को दूँगा और वह दिन दहाड़े तेरी बीवियों से सोहबत करेगा |

12क्यूँकि तूने छिपकर यह किया पर मैं सारे इस्राईल के रूबरू दिन दहाड़े यह करूँगा |”

13तब दाऊद ने नातन से कहा ,”मैंने ख़ुदावन्द का गुनाह किया| नातन ने दाऊद से कहा कि ,”ख़ुदावन्द ने भी तेरा गुनाह बख़शा ,तू मरेगा नहीं |

14तोभी चूँकि तूने इस काम से ख़ुदावन्द के दुश्मनों को कुफ्र बकने का बड़ा मौ'क़ा दिया है इस लिए वह लड़का भी जो तुझसे पैदा होगा मर जाएगा |

15फिर नातन अपने घर चला गया और ख़ुदावन्द ने उस लड़के को जो औरय्याह की बीवी के दाऊद से पैदा हुआ था मारा और वह बहुत बीमार हो गया |

16इस लिए दाऊद ने उस लड़के की ख़ातिर ख़ुदा से मिन्नत की और दाऊद ने रोज़ा रखा और अन्दर जाकर सारी रात ज़मीन पर पड़ा रहा |

17और उसके घराने के बुज़ुर्ग उठकर उसके पास आए कि उसे ज़मीन परसे उठायें पर वह न उठा और न उसने उनके साथ खाना खाया |

18और सातवें दिन वह लड़का मर गया और दाऊद के मुलाज़िम उसे डर के मारे यह न बता सके कि लड़का मर गया, क्यूँकि उन्होंने कहा कि जब वह लड़का हनूज ज़िन्दा था और हमने उससे गुफ़तुगू की तो उसने हमारी बात न मानी पस अगर हम उसे बतायें कि लड़का मर गया तो वह बहुत ही कुढ़ेगा|

19पर जब दाऊद ने अपने मुलाज़िमों को आपस में फुसफुसाते देखा तो दाऊद समझ गया कि लड़का मर गया ,सो दाऊद ने अपने मुलाज़िमों से पूँछा, क्या लड़का मर गया ? उन्होंने जवाब दिया ,मर गया ,”

20तब दाऊद ज़मीन पर से उठा और उसने ग़ुस्ल करके उसने तेल लगाया और पोशाक बदली और ख़ुदावन्द के घर में जाकर सज्दा किया फिर वह अपने घर आया और उसके हुक्म देने पर उन्होंने उसके आगे रोटी रखी और उसने खाई

21तब उसके मुलाज़िमों ने उससे कहा ,यह कैसा काम है जो तूने किया? जब वह लड़का जीता था तो तूने उसके लिए रोज़ा रख्खा और रोता भी रहा और जब वह लड़का मर गया तो तूने उठकर रोटी खाई |

22उसने कहा कि जब तक वह लड़का ज़िन्दा था मैंने रोज़ा रख्खा और मैं रोता रहा क्यूँकि मैंने सोचा क्या जाने ख़ुदावन्द को मुझपर रहम आजाये कि वह लड़का जीता रहे?|

23पर अब तो मर गया पस मैं किस लिए रोज़ा रखूँ ?क्या मैं उसे लौटा ला सकता हूँ ?मैं तो उसके पास जाऊँगा पर वह मेरे पास नहीं लौटने का |

24फिर दाऊद ने अपनी बीवी बत सबा'को तसल्ली दी और उसके पास गया और उससे सोहबत की और उसके एक बेटा हुआ और दाऊद ने उसका नाम सुलैमान रख्खा और ख़ुदावन्द का प्यारा हुआ |

25और उसने नातन नबी की मा'रिफ़त पैग़ाम भेजा सो उसने उसका नाम ख़ुदावन्द की ख़ातिर यदीदियाह रख्खा |

26और योआब बनी अम्मोन के रब्बा से लड़ा और उसने दारुल सल्तनत को ले लिया |

27और योआब ने क़ासिदों की मा'रिफ़त दाऊद को कहला भेजा कि मैं रब्बा से लड़ा और मैंने पानियों के शहर को ले लिया |

28पस अब तू बाक़ी लोगों को जमा'कर और इस शहर के मक़ाबिल ख़ेमा ज़न हो और इस पर क़ब्ज़ा कर ले ता न हो कि मैं इस शहर को सर करूँ और वह मेरे नाम से कहलाए|

29तब दाऊद ने लोगों को जमा'किया और रब्बा को गया और उससे लड़ा और उसे ले लिया |

30और उसने उनके बादशाह का ताज उसके सर पर से उतार लिया ,उसका वज़न सोने का एक क़िन्तार था और उसमें जवाहर जड़े हुए थे सो वह दाऊद के सर पर रख्खा गया और वह उस शहर से लूट का बहुत सा माल निकाल लाया |

31और उसने उन लोगों को जो उसमें थे बाहर निकाल कर उनको आरों और लोहे के हैंगों और लोहे के कुल्हाड़ों के नीचे कर दिया और उनको ईंटों के पज़ावे में से चलवाया और उसने बनी अम्मोन के सब शहरों से ऐसा ही किया ,फिर दाऊद और सब लोग यरुशलीम को लौट आए |


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