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1लेकिनरूह साफ फ़रमाता है कि आइन्दा ज़मानों मेंकुछलोग गुमराह करनेवाली रूहों,और शयातीन की ता'लीम की तरफ मतवज्जह होकर ईमान से फिर जाएँ।

2ये उन झूटे आदमियों की रियाकारी के जरिए होगा,जिनका दिल गोया गर्म लोहे से दागा गया है;।

3ये लोग शादी करने से मना'करेंगे,और उन खानों से परहेज़ करने का हुक्म देंगें,जिन्हें ख़ुदा ने इसलिए पैदा किया है कि ईमानदार और हक़ के पहचानने वाले उन्हें शुक्र्गुज़ारी के साथ खाएँ।

4क्यूँकि ख़ुदा की पैदा की हुई हर चीज़ अच्छी है,और कोई चीज़ इनकार केलायकनहीं;बशर्ते कि शुक्रगुज़ारी के साथ खाई जाए,।

5इसलिए कि ख़ुदा के कलाम और दू'आ से पाक हो जाती है।

6अगर तू भाइयों को ये बातें याद दिलाएगा,तो मसीह"ईसा"का अच्छा खादिम ठहरेगा;और ईमान और उस अच्छी ता'लीम की बातों से जिसकी तू पैरवी करता आया है,परवरिश पाता रहेगा।,

7लेकिन बेहूदा और बूढ़ियों की सी कहानियों से किनारा कर,और दीनदारी के लिए मेहनत करे ।

8क्यूंकि जिस्मानी मेहनत का फाइदा कम है,लेकिन दीनदारी सब बातों के लिए फाइदामन्द है,इसलिए कि अब की और आइन्दा की ज़िन्दगी का वा'दा भी इसी के लिए है ।

9ये बात सच है और हर तरह से क़ुबूल करने केलायक।

10क्यूंकि हम मेहनत और कोशिश इस लिए करते हैं कि हमारी उम्मीद उस जिंदा खुदा पर लगी हुई है,जो सब आदमियों का खास कर ईमानदारों का मुन्जी है|

11इन बातों का हुक्म कर और ता'लीम दे।

12कोई तेरी जवानी को हिकारत न करने पाए;बल्कि तू ईमानदरों के लिए कलाम करने,और चाल चलन,और मुह्ब्ब्त,और पाकीज़गी में नामूना बन।

13जब तक मैं न आऊँ,पढ़ने और नसीहत करने और ता'लीम देने की तरफ़ मुतवज्जह रह।

14उस ने'अमत से गाफ़िल ना रह जो तुझे हासिल है,और नबुव्वत के जरिए से बुजुर्गों के हाथ रखतेवक़्ततुझे मिली थी।

15इन बातों की फ़िक्र रख,इन ही में मशगूल रह,ताकि तेरी तरक्की सबपरज़ाहिर हो।

16अपना और अपनी ता'लीम की खबरदारी कर। इन बातों पर क़ायम रह,क्यूँकि ऐसा करने से तू अपनी और अपने सुनने वालों को भीनजातकाजरियाहोगा|


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