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1जब उस सारी जाति के लोग यरदन के पार उतर चुके, तब यहोवा ने यहोशू से कहा,

2प्रजा में से बारह पुरूष, अर्थात्-गोत्र पीछे एक एक पुरूष को चुनकर यह आज्ञा दे,

3कि तुम यरदन के बीच में, जहाँ याजकों ने पाँव धरे थे वहाँ से बारह पत्‍थर उठाकर अपने साथ पार ले चलो, और जहाँ आज की रात पड़ाव होगा वहीं उनको रख देना।

4तब यहोशू ने उन बारह पुरूषों को, जिन्‍हें उस ने इस्राएलियों के प्रत्‍येक गोत्र में से छांटकर ठहरा रखा था,

5बुलवाकर कहा, तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा के सन्‍दूक के आगे यरदन के बीच में जाकर इस्राएलियों के गोत्रों की गिनती के अनुसार एक एक पत्‍थर उठाकर अपने अपने कन्‍धे पर रखो,

6जिस से यह तुम लोगों के बीच चिन्‍हानी ठहरे, और आगे को जब तुम्‍हारे बेटे यह पूछें, कि इन पत्‍थरों का क्‍या मतलब है?

7तब तुम उन्‍हें यह उत्तर दो, कि यरदन का जल यहोवा की वाचा के सन्‍दूक के साम्‍हने से दो भाग हो गया था; क्‍योंकि जब वह यरदन पार आ रहा था, तब यरदन का जल दो भाग हो गया। सो वे पत्‍थर इस्राएल को सदा के लिये स्‍मरण दिलानेवाले ठहरेंगे।

8यहोशू की इस आज्ञा कें अनुसार इस्रएलियों ने किया, जैसा यहोवा ने यहोशू से कहा था वैसा ही उन्होंने इस्राएली गोत्रों की गिनती के अनुसार बारह पत्‍थर यरदन के बीच में से उठा लिए; और उनको अपने साथ ले जाकर पड़ाव में रख दिया।

9और यरदन के बीच, जहाँ याजक वाचा के सन्‍दूक को उठाए हुए अपने पाँव धरे थे वहाँ यहोशू ने बारह पत्‍थर खड़े कराए; वे आज तक वहीं पाए जाते हैं।

10और याजक सन्‍दूक उठाए हुए उस समय तक यरदन के बीच खड़े रहे जब तक वे सब बातें पूरी न हो चुकीं, जिन्‍हें यहोवा ने यहोशू को लोगों से कहने की आज्ञा दी थी। तब सब लोग फुर्ती से पार उतर गए;

11और जब सब लोग पार उतर चुके, तब याजक और यहोवा का सन्‍दूक भी उनके देखते पार हुए।

12और रूबेनी, गादी, और मनश्‍शे के आधे गोत्र के लोग मूसा के कहने के अनुसार इस्राएलियों के आगे पाँति बान्‍धे हुए पार गए;

13अर्थात् कोई चालीस हजार पुरूष युद्ध के हथियार बान्‍धे हुए संग्राम करने के लिये यहोवा के साम्‍हने पार उतरकर यरीहो के पास के अराबा में पहुंचे।

14उस दिन यहोवा ने सब इस्राएलियों के साम्‍हने यहोशू की महिमा बढ़ाई; और जैसे वे मूसा का भय मानते थे वैसे ही यहोशू का भी भय उसके जीवन भर मानते रहे।।

15और यहोवा ने यहोशू से कहा,

16कि साक्षी का सन्‍दूक उठानेवाले याजकों को आज्ञा दे कि यरदन में से निकल आएं।

17तो यहोशू ने याजकों को आज्ञा दी, कि यरदन में से निकल आओ।

18और ज्‍यों ही यहोवा की वाचा का सन्‍दूक उठानेवाले याजक यरदन के बीच में से निकल आए, और उनके पाँव स्‍थल पर पड़े, त्‍यों ही यरदन का जल अपने स्‍थान पर आया, और पहले की नाईं तटों के ऊपर फिर बहने लगा।

19पहले महिने के दसवें दिन को प्रजा के लोगों ने यरदन में से निकलकर यरीहो के पूर्वी सिवाने पर गिलगाल में अपने डेरे डाले।

20और जो बारह पत्‍थर यरदन में से निकाले गए थे, उनको यहोशू ने गिलगाल में खड़े किए।

21तब उस ने इस्राएलियों से कहा, आगे को जब तुम्‍हारे लड़केबाले अपने अपने पिता से यह पूछें, कि इन पत्‍थरों का क्‍या मतलब है?

22तब तुम यह कहकर उनको बताना, कि इस्राएली यरदन के पार स्‍थल ही स्‍थल चले आए थे।

23क्‍योंकि जैसे तुम्‍हारे परमेश्‍वर यहोवा ने लाल समुद्र को हमारे पार हो जाने तक हमारे साम्‍हने से हटाकर सुखा रखा था, वैसे ही उस ने यरदन का भी जल तुम्‍हारे पार हो जाने तक तुम्‍हारे साम्‍हने से हटाकर सुखा रखा;

24इसलिये कि पृथ्‍वी के सब देशों के लोग जान लें कि यहोवा का हाथ बलवन्‍त है; और तुम सर्वदा अपने परमेश्‍वर यहोवा का भय मानते रहो।।


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