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1उस समय यहोशू ने रूबेनियों, गादियों, और मनश्‍शे के आधे गोत्रियों को बुलवाकर कहा,

2जो जो आज्ञा यहोवा के दास मूसा ने तुम्‍हें दी थीं वे सब तुम ने मानी हैं, और जो जो आज्ञा मैं ने तुम्‍हें दी हैं उन सभों को भी तुम ने माना है;

3तुम ने अपने भाइयों को इस मुद्दत में आज के दिन तक नहीं छोड़ा, परन्‍तु अपने परमेश्‍वर यहोवा की आज्ञा तुम ने चौकसी से मानी है।

4और अब तुम्‍हारे परमेश्‍वर यहोवा ने तुम्‍हारे भाइयों को अपने वचन के अनुसार विश्राम दिया है; इसलिये अब तुम लौटकर अपने अपने डेरों को, और अपनी अपनी निज भूमि में, जिसे यहोवा के दास मूसा ने यरदन पार तुम्‍हें दिया है चले जाओ।(इब्रा. 4:8)

5केवल इस बात की पूरी चौकसी करना कि जो जो आज्ञा और व्‍यवस्‍था यहोवा के दास मूसा ने तुम को दी है उसको मानकर अपने परमेश्‍वर यहोवा से प्रेम रखो, उसके सारे मार्गों पर चलो, उसकी आज्ञाएं मानों, उसकी भक्ति मे लौलीन रहो, और अपने सारे मन और सारे प्राण से उसकी सेवा करो।(मत्ती 22:37, मर 12:29,30,3, लूका 10:27)

6तब यहोशू ने उन्‍हें आशीर्वाद देकर विदा किया; और वे अपने अपने डेरे को चले गए।।

7मनश्‍शे के आधे गोत्रियों को मूसा ने बासान में भाग दिया था; परन्‍तु दूसरे आधे गोत्र को यहोशू ने उनके भाइयों के बीच यरदन के पश्‍चिम की ओर भाग दिया। उनको जब यहोशू ने विदा किया कि अपने अपने डेरे को जाएँ,

8तब उनको भी आशीर्वाद देकर कहा, बहुत से पशु, और चाँदी, सोना, पीतल, लोहा, और बहुत से वस्‍त्र और बहुत धन-सम्‍पत्ति लिए हुए अपने अपने डेरे को लौट आओ; और अपने शत्रुओं की लूट की सम्‍पत्ति को अपने भाइयों के संग बाँट लेना।।

9तब रूबेनी, गादी, और मनश्‍शे के आधे गोत्री इस्राएलियों के पास से, अर्थात् कनान देश के शीलो नगर से, अपनी गिलाद नाम निज भूमि में, जो मूसा से दिलाई हुई, यहोवा की आज्ञा के अनुसार उनकी निज भूमि हो गई थी, जाने की मनसा से लौट गए।

10और जब रूबेनी, गादी, और मनश्‍शे के आधे गोत्री यरदन की उस तराई में पहुंचे जो कनान देश में है, तब उन्होंने वहाँ देखने के योग्‍य एक बड़ी वेदी बनाई।

11और इसका समाचार इस्राएलियों के सुनने में आया, कि रूबेनियों, गादियों, और मनश्‍शे के आधे गोत्रियों ने कनान देश के साम्‍हने यरदन की तराई में, अर्थात् उसके उस पार जो इस्राएलियों का है, एक वेदी बनाई है।

12जब इस्राएलियों ने यह सुना, तब इस्राएलियों की सारी मण्‍डली उन से लड़ने के लिये चढ़ाई करने को शीलो में इकट्ठी हुई।।

13तब इस्राएलियों ने रूबेनियों, गादियों, और मनश्‍शे के आधे गोत्रियों के पास गिलाद देश में एलीआज़र याजक के पुत्र पीनहास को,

14और उसके संग दस प्रधानों को, अर्थात् इस्राएल के एक एक गोत्र में से पूर्वजों के घरानों के एक एक प्रधान को भेजा, और वे इस्राएल के हजारों में अपने अपने पूर्वजों के घरानों के मुख्‍य पुरूष थे।

15वे गिलाद देश में रूबेनियों, गादियों, और मनश्‍शे के आधे गोत्रियों के पास जाकर कहने लगे,

16यहोवा की सारी मण्‍डली यह कहती है, कि तुम ने इस्राएल के परमेश्‍वर यहोवा का यह कैसा विश्‍वासघात किया; आज जो तुम ने एक वेदी बना ली है, इस में तुम ने उसके पीछे चलना छोड़कर उसके विरूद्ध आज बलवा किया है?

17सुनो, पोर के विषय का अधर्म हमारे लिये कुछ कम था, यद्दपि यहोवा की मण्‍डली को भारी दण्‍ड मिला तौभी आज के दिन तक हम उस अधर्म से शुद्ध नहीं हुए; क्‍या वह तुम्‍हारी दृष्‍टि में एक छोटी बात है,

18कि आज तुम यहोवा को त्‍यागकर उसके पीछे चलना छोड़ देते हो? क्‍या तुम यहोवा से फिर जाते हो, और कल वह इस्राएल की सारी मण्‍डली से क्रोधित होगा।

19परन्‍तु यदि तुम्‍हारी निज भूमि अशुद्ध हो, तो पार आकर यहोवा की निज भूमि में, जहाँ यहोवा का निवास रहता है, हम लोगों के बीच में अपनी अपनी निज भूमि कर लो; परन्‍तु हमारे परमेश्‍वर यहोवा की वेदी को छोड़ और कोई वेदी बनाकर न तो यहोवा से बलवा करो, और न हम से।

20देखो, जब जेरह के पुत्र आकान ने अर्पण की हुई वस्‍तु के विषय में विश्‍वासघात किया, तब क्‍या यहोवा का कोप इस्राएल की पूरी मण्‍डली पर न भड़का? और उस पुरूष के अधर्म का प्राणदण्‍ड अकेले उसी को न मिला।।

21तब रूबेनियों, गादियों, और मनश्‍शे के आधे गोत्रियों ने इस्राएल के हजारों के मुख्‍य पुरूषों को यह उत्तर दिया,

22कि यहोवा जो ईश्‍वरों का परमेश्‍वर है, ईश्‍वरों का परमेश्‍वर यहोवा इसको जानता है, और इस्राएली भी इसे जान लेंगे, कि यदि यहोवा से फिरके वा उसका विश्‍वासघात करके हम ने यह काम किया हो, तो तू आज हम को जीवित न छोड़,

23यदि आज के दिन हम ने वेदी को इसलिये बनाया हो कि यहोवा के पीछे चलना छोड़ दें, वा इसलिये कि उस पर होमबलि, अन्नबलि, वा मेलबलि चढ़ाएं, तो यहोवा आप इसका हिसाब ले;

24परन्‍तु हम ने इसी विचार और मनसा से यह किया है कि कहीं भविष्‍य में तुम्‍हारी सन्‍तान हमारी सन्‍तान से यह न कहने लगे, कि तुम को इस्राएल के परमेश्‍वर यहोवा से क्‍या काम?

25क्‍योंकि, हे रूबेनियों, हे गादियों, यहोवा ने जो हमारे और तुम्‍हारे बीच में यरदन को हद्द ठहरा दिया है, इसलिये यहोवा में तुम्‍हारा कोई भाग नहीं है। ऐसा कहकर तुम्‍हारी सन्‍तान हमारी सन्‍तान में से यहोवा का भय छुड़ा देगी।

26इसीलिये हम ने कहा, आओ, हम अपने लिये एक वेदी बना लें, वह होमबलि वा मेलबलि के लिये नहीं,

27परन्‍तु इसलिये कि हमारे और तुम्‍हारे, और हमारे बाद हमारे और तुम्‍हारे वंश के बीच में साक्षी का काम दे; इसलिये कि हम होमबलि, मेलबलि, और बलिदान चढ़ाकर यहोवा के सम्‍मुख उसकी उपासना करें; और भविष्‍य में तुम्‍हारी सन्‍तान हमारी सन्‍तान से यह न कहने पाए, कि यहोवा में तुम्‍हारा कोई भाग नहीं।

28इसलिये हम ने कहा, कि जब वे लोग भविष्‍य में हम से वा हमारे वंश से यों कहने लेगें, तब हम उन से कहेंगे, कि यहोवा के वेदी के नमूने पर बनी हुई इस वेदी को देखो, जिसे हमारे पुरखाओं ने होमबलि वा मेलबलि के लिये नहीं बनाया; परन्‍तु इसलिये बनाया था कि हमारे और तुम्‍हारे बीच में साक्षी का काम दे।

29यह हम से दूर रहे कि यहोवा से फिरकर आज उसके पीछे चलना छोड़ दें, और अपने परमेश्‍वर यहोवा की उस वेदी को छोड़कर जो उसके निवास के साम्‍हने है होमबलि, और अन्नबलि, वा मेलबलि के लिये दूसरी वेदी बनाएं।।

30रूबेनियों, गादियों, और मनश्‍शे के आधे गोत्रियों की इन बातों को सुनकर पीनहास याजक और उसके संग मण्‍डली के प्रधान, जो इस्राएल के हजारों के मुख्‍य पुरूष थे, वे अति प्रसन्न हुए।

31और एलीआजर याजक के पुत्र पीनहास ने रूबेनियों, गादियों, और मनश्‍शेइयों से कहा, तुम ने जो यहोवा का ऐसा विश्‍वासघात नहीं किया, इस से आज हम ने यह जान लिया कि यहोवा हमारे बीच में है: और तुम लोगों ने इस्राएलियों को यहोवा के हाथ से बचाया है।

32तब एलीआज़र याजक का पुत्र पीनहास प्रधानों समेत रूबेनियों और गादियों के पास से गिलाद होते हुए कनान देश में इस्राएलियों के पास लौट गया: और यह वृतान्‍त उनको कह सुनाया।

33तब इस्राएली प्रसन्न हुए; और परमेश्‍वर को धन्‍य कहा, और रूबेनियों और गादियों से लड़ने और उनके रहने का देश उजाड़ने के लिये चढ़ाई करने की चर्चा फिर न की।

34और रूबेनियों और गादियों ने यह कहकर, कि यह वेदी हमारे और उनके मध्‍य में इस बात का साक्षी ठहरी है, कि यहोवा ही परमेश्‍वर है; उस वेदी का नाम एद** रखा।।


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