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1तब नून के पुत्र यहोशू ने दो भेदियों को शित्तीम से चुपके से भेज दिया, और उन से कहा, जाकर उस देश और यरीहो को देखो। तुरन्‍त वे चल दिए, और राहाब नाम किसी वेश्‍या के घर में जाकर सो गए।

2तब किसी ने यरीहो के राजा से कहा, कि आज की रात कई एक इस्राएली हमारे देश का भेद लेने को यहाँ आए हुए हैं।

3तब यरीहो के राजा ने राहाब के पास यों कहला भेजा, कि जो पुरूष तेरे यहाँ आए हैं उन्‍हें बाहर ले आ; क्‍योंकि वे सारे देश का भेद लेने को आए हैं।

4उस स्‍त्री ने दोनों पुरूषों को छिपा रखा; और इस प्रकार कहा, कि मेरे पास कई पुरूष आए तो थे, परन्‍तु मैं नहीं जानती कि वे कहां के थे;(याकू. 2:25)

5और जब अन्‍धेरा हुआ, और फाटक बन्‍द होने लगा, तब वे निकल गए; मुझे मालूम नहीं कि वे कहां गए; तुम फुर्ती करके उनका पीछा करो तो उन्‍हें जा पकड़ोगे।

6उस ने उनको घर की छत पर चढ़ाकर सनई की लकडि़यों के नीचे छिपा दिया था जो उस ने छत पर सजा कर रखी थी।

7वे पुरूष तो यरदन का मार्ग ले उनकी खोज में घाट तक चले गए; और ज्‍यों ही उनको खोजनेवाले फाटक से निकले त्‍यों ही फाटक बन्‍द किया गया।

8और ये लेटने न पाए थे कि वह स्‍त्री छत पर इनके पास जाकर

9इन पुरूषों से कहने लगी, मुझे तो निश्‍चय है कि यहोवा ने तुम लोगों को यह देश दिया है, और तुम्‍हारा भय हम लोगों के मन में समाया है, और इस देश के सब निवासी तुम्‍हारे कारण घबरा रहे हैं।**

10क्‍योंकि हम ने सुना है कि यहोवा ने तुम्‍हारे मिस्र से निकलने के समय तुम्‍हारे साम्‍हने लाल समुद्र का जल सुखा दिया। और तुम लोगों ने सीहोन और ओग नाम यरदन पार रहनेवाले एमोरियों के दोनों राजाओं को सत्‍यानाश कर डाला है।

11और यह सुनते ही हमारा मन पिघल गया, और तुम्‍हारे कारण किसी के जी में जी न रहा; क्‍योंकि तुम्‍हारा परमेश्‍वर यहोवा ऊपर के आकाश का और नीचे की पृथ्‍वी का परमेश्‍वर है।

12अब मैं ने जो तुम पर दया की है, इसलिये मुझ से यहोवा की शपथ खाओ कि तुम भी मेरे पिता के घराने पर दया करोगे, और इसकी सच्‍ची चिन्‍हानी मुझे दो,(इब्रा. 11:31)

13कि तुम मेरे माता-पिता, भाइयों और बहिनों को, और जो कुछ उनका है उन सभों को भी जीवित रख छोड़ो, और हम सभों का प्राण मरने से बचाओगे।

14तब उन पुरूषों ने उस से कहा, यदि तू हमारी यह बात किसी पर प्रगट न करे, तो तुम्‍हारे प्राण के बदले हमारा प्राण जाए; और जब यहोवा हम को यह देश देगा, तब हम तेरे साथ कृपा और सच्‍चाई से बर्ताव करेंगे।

15तब राहाब जिसका घर शहरपनाह पर बना था, और वह वहीं रहती थीं, उस ने उनको खिड़की से रस्‍सी के बल उतारके नगर के बाहर कर दिया।(याकूब 2:25)

16और उस ने उन से कहा, पहाड़ को चले जाओ, ऐसा न हो कि खोजनेवाले तुम को पाएं; इसलिये जब तक तुम्‍हारे खोजनेवाले लौट न आएं तब तक, अर्थात् तीन दिन वहीं छिपे रहना, उसके बाद अपना मार्ग लेना।

17उन्होंने उस से कहा, जो शपथ तू ने हम को खिलाई है उसके विषय में हम तो निर्दोष रहेंगे।

18सुन, जब हम लोग इस देश में आएँगे, तब जिस खिड़की से तू ने हम को उतारा है उस में यही लाल रंग के सूत की डोरी बान्‍ध देना; और अपने माता पिता, भाइयों, वरन अपने पिता के घराने को इसी घर में अपने पास इकट्ठा कर रखना।

19तब जो कोई तेरे घर के द्वार से बाहर निकले, उसके खून का दोष उसी के सिर पड़ेगा, और हम निर्दोष ठहरेंगे: परन्‍तु यदि तेरे संग घर में रहते हुए किसी पर किसी का हाथ पड़े, तो उसके खून का दोष हमारे सिर पर पड़ेगा।

20फिर यदि तू हमारी यह बात किसी पर प्रगट करे, तो जो शपथ तू ने हम को खिलाई है उस से हम निर्बन्‍ध ठहरेंगे।

21उस ने कहा, तुम्‍हारे वचनों के अनुसार हो। तब उस ने उनको विदा किया, और वे चले गए; और उस ने लाल रंग की डोरी को खिड़की में बान्‍ध दिया।

22और वे जाकर पहाड़ तक पहुंचे, और वहाँ खोजने-वालों के लौटने तक, अर्थात् तीन दिन तक रहे; और खोजनेवाले उनको सारे मार्ग में ढूँढ़ते रहे और कहीं न पाया।

23तब वे दोनों पुरूष पहाड़ से उतरे, और पार जाकर नून के पुत्र यहोशू के पास पहुँचकर जो कुछ उन पर बीता था उसका वर्णन किया।

24और उन्होंने यहोशू से कहा, निःसन्‍देह यहोवा ने वह सारा देश हमारे हाथ में कर दिया है; फिर इसके सिवाय उसके सारे निवासी हमारे कारण घबरा रहे हैं।।**


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