Bible 2 India Mobile
[VER] : [HINDI]     [PL]  [PB] 
 <<  Joel 2 >> 

1सिय्‍योन में नरसिंगा फूँको; मेरे पवित्र पर्वत पर साँस बाँधकर फूँको! देश के सब रहनेवाले काँप उठें, क्योंकि यहोवा का दिन आता है, वरन वह निकट ही है।

2वह अन्धकार और तिमिर का दिन है, वह बदली का दिन है और अन्धियारे का सा फैलता है। जैसे भोर का प्रकाश पहाड़ों पर फैलता है, वैसे ही एक बड़ी और सामर्थी जाति आएगी; प्राचीनकाल में वैसी कभी न हुई, और न उसके बाद भी फिर किसी पीढ़ी में** होगी।(मत्ती. 24:21)

3उसके आगे आगे तो आग भस्म करती जाएगी, और उसके पीछे पीछे लौ जलती जाएगी। उसके आगे की भूमि तो अदन की बारी की नाईं होगी, परन्तु उसके पीछे की भूमि उजाड़ मरूस्थल बन जाएगी, और उस से कुछ न बचेगा।

4उनका रूप घोड़ों का सा है, और वे सवारी के घोड़ों की नाई दौड़ते हैं।(प्रकाशन 9:7)

5उनके कूदने का शब्द ऐसा होता है जैसा पहाड़ों की चोटियों पर रथों के चलने का, वा खूँटी भस्म करती हुई लौ का, या जैसे पाँति बाँधे हुए बली योद्धाओं का शब्द होता है।(प्रकाशन 9:9)

6उनके सामने जाति जाति के लोग पीडि़त होते हैं, सब के मुख मलीन होते हैं।

7वे शूरवीरों की नाईं दौड़ते, और योद्धाओं की भाँति शहरपनाह पर चढ़ते हैं । वे अपने अपने मार्ग पर चलते हैं, और कोई अपनी पाँति से अलग न चलेगा।

8वे एक दूसरे को धक्का नहीं लगाते, वे अपनी अपनी राह पर चलते हैं; शस्त्रों का सामना करने से भी उनकी पाँति नहीं टूटती।

9वे नगर में इधर-उधर दौड़ते, और शहरपनाह पर चढ़ते हैं; वे घरों में ऐसे घुसते हैं जैसे चोर खिड़कियों से घुसते हैं।

10उनके आगे पृथ्वी काँप उठती है, और आकाश थरथराता है। सूर्य और चन्द्रमा काले हो जाते हैं, और तारे नहीं झलकते।**(मत्ती. 24:29, मर 13:24,25, प्रकाशितवाक्य 6:12,13, प्रकाशन 8:12, प्रकाशन 9:2)

11यहोवा अपने उस दल के आगे अपना शब्द सुनाता है, क्योंकि उसकी सेना बहुत ही बड़ी है; जो अपना वचन पूरा करनेवाला है, वह सामर्थी है। क्योंकि यहोवा का दिन बड़ा और अति भयानक है; उसको कौन सह सकेगा?(प्रकाशन 6:17)

12"तौभी,” यहोवा की यह वाणी है, "अभी भी सुनो, उपवास के साथ रोते-पीटते अपने पूरे मन से फिरकर मेरे पास आओ।

13अपने वस्त्र नहीं, अपने मन ही को फाड़कर" अपने परमेश्वर यहोवा की ओर फिरो; क्योंकि वह अनुग्रहकारी, दयालु, विलम्ब से क्रोध करनेवाला, करूणानिधान और दु:ख देकर पछतानेहारा है।

14कया जाने वह फिरकर पछताए और ऐसी आशीष दे जिस से तुम्हारे परमेश्वर यहोवा का अन्नबलि और अर्ध दिया जाए।

15सिय्‍योन में नरसिंगा फूँको, उपवास का दिन ठहराओ, महासभा का प्रचार करो;

16लोगों को इकट्ठा करो। सभा को पवित्र करो; पुरनियों को बुला लो; बच्चों और दूधपीउवों को भी इकट्ठा करो। दुल्हा अपनी कोठरी से, और दुल्हिनन भी अपने कमरे से निकल आएँ।

17याजक जो यहोवा के टहलुए हैं, वे आँगन और वेदी के बीच में रो रोकर कहें, "हे यहोवा अपनी प्रजा पर तरस खा; और अपने निज भाग की नामधराई न होने दे; न जाति-जाति उसकी उपमा देने पाएँ। जाति जाति के लोग आपस में क्या कहने पाएँ, 'उनका परमेश्वर कहाँ रहा?'”

18तब यहोवा को अपने देश के विषय में जलन हुई, और उस ने अपनी प्रजा पर तरस खाया।

19यहोवा ने अपनी प्रजा के लोगों को उत्तर दिया, "सुनो, मैं अन्न और नया दाखमधु और ताजा तेल तुम्हें देने पर हूँ , और तुम उन्हें पाकर तृप्त होगे; और मैं भविष्य में अन्यजातियों से तुम्हारी नामधराई न होने दूंगा।

20"मैं उत्तर की ओर से आई हुई सेना को तुम्हारे पास से दूर करूँगा, और उसे एक निर्जल और उजाड़ देश में निकाल दूंगा; उसका आगला भाग तो पूरब के ताल की ओर और उसका पिछला भाग पश्चिम के समुद्र की ओर होगा; उस से दुर्गन्ध उठेगी, और उसकी सड़ी गन्ध फैलेगी, क्योंकि उस ने बहुत बुरे काम किए हैं।

21"हे देश, तू मत डर; तू मगन हो और आनन्द कर, क्योंकि यहोवा ने बड़े बड़े काम किए हैं!

22हे मैदान के पशुओं, मत डरो, क्योंकि जंगल में चराई उगेगी, और वृक्ष फलने लेगेंगे; अंजीर का वृक्ष और दाखलता अपना अपना बल दिखाने लगेंगी।

23"हे सिय्योन, तुम अपने परमेश्वर यहोवा के कारण मगन हो, और आनन्द करो; क्योंकि तुम्हारे लिये वह वर्षा, अर्थात् बरसात की पहिली वर्षा बहुतायत से देगा; और पहिले की नाईं अगली और पिछली वर्षा को भी बरसाएगा।(याकूब 5:7)

24"तब खलिहान अन्न से भर जाएँगे , और रसकुण्ड नये दाखमधु और ताजे तेल से उमड़ेंगे।

25और जिन वर्षों की उपज अर्बे नाम टिड्डियों, और येलेक, और हासील ने, और गाजाम नाम टिड्डियों ने, अर्थात् मेरे बड़े दल ने जिसको मैं ने तुम्हारे बीच भेजा, खा ली थी, मैं उसकी हानि तुम को भर दूंगा।

26"तुम पेट भरकर खाओगे, और तृप्त होगे, और अपने परमेश्वर यहोवा के नाम की स्तुति करोगे, जिस ने तुम्हारे लिये आश्चर्य के काम किए हैं। और मेरी प्रजा की आशा फिर कभी न टूटेगी।

27तब तुम जानोगे कि मैं इस्राएल के बीच में हूँ, और मैं, यहोवा, तुम्हारा परमेश्वर हूँ और कोई दूसरा नहीं है। और मेरी प्रजा की आशा फिर कभी न टूटेगी।।

28"उन बातों के बाद मैं सब प्राणियों पर अपना आत्मा उण्डेलूँगा; तुम्हारे बेटे-बेटियां भविष्यद्वाणी करेंगी, और तुम्हारे पुरनिये स्वप्न देखेंगे, और तुम्हारे जवान दर्शन देखेंगे।(प्रेरितों 21:9, तीतुस 3:6)

29तुम्हारे दास और दासियों पर भी मैं उन दिनों में अपना आत्मा उण्डेलूँगा ।

30"और मैं आकाश में और पृथ्वी पर चमत्कार, अर्थात् लोहू और आग और धूएं के खम्भे (लूका 21:25, प्रकाशन 8:7)

31यहोवा के उस बड़े और भयानक दिन के आने से पहिले सूर्य अन्धियारा होगा और चन्द्रमा रक्त सा हो जाएगा।(मत्ती. 24:29, मर 13:24,25, लूका 21:25, प्रकाशन 6:12)

32उस समय जो कोई यहोवा से प्रार्थना करेगा, वह छुटकारा पाएगा; और यहोवा के वचन के अनुसार सिय्‍योन पर्वत पर, और यरूशलेम में जिन बचे हुओं को यहोवा बुलाएगा, वे उद्धार पाएँगे।(प्रेरितों 2:17-21, प्रेरितों 2:39, प्रेरितों 22:16, रोमियो 10:13)


  Share Facebook  |  Share Twitter

 <<  Joel 2 >> 


Bible2india.com
© 2010-2024
Help
Dual Panel

Laporan Masalah/Saran