Bible 2 India Mobile
[VER] : [HINDI]     [PL]  [PB] 
 <<  Jeremiah 31 >> 

1“उन दिनों में मैं सारे इस्राएली कुलों का परमेश्‍वर ठहरूँगा और वे मेरी प्रजा ठहरेंगे, यहोवा की यही वाणी है।”

2यहोवा यों कहता है: “जो प्रजा तलवार से बच निकली, उन पर जंगल में अनुग्रह हुआ; मैं इस्राएल को विश्राम देने के लिये तैयार हुआ।”

3“यहोवा ने मुझे दूर से दर्शन देकर कहा है। मैं तुझसे सदा प्रेम रखता आया हूँ; इस कारण मैंने तुझ पर अपनी करुणा बनाए रखी है।

4हे इस्राएली कुमारी कन्‍या! मैं तुझे फिर बसाऊँगा; वहाँ तू फिर श्रृंगार करके डफ बजाने लगेगी, और आनन्‍द करनेवालों के बीच में नाचती हुई निकलेगी।

5तू शोमरोन के पहाड़ों पर अंगूर की बारियाँ फिर लगाएगी; और जो उन्‍हें लगाएँगे, वे उनके फल भी खाने पाएँगे।

6क्‍योंकि ऐसा दिन आएगा, जिसमें एप्रैम के पहाड़ी देश के पहरुए पुकारेंगे: ‘उठो, हम अपने परमेश्‍वर यहोवा के पास सिय्‍योन को चलें’।”

7क्‍योंकि यहोवा यों कहता है: “याकूब के कारण आनन्‍द से जयजयकार करो: जातियों में जो श्रेष्‍ठ है उसके लिये ऊँचे शब्द से स्‍तुति करो, और कहो, ‘हे यहोवा, अपनी प्रजा इस्राएल के बचे हुए लोगों का भी उद्धार कर।’

8देखो, मैं उनको उत्‍तर देश से ले आऊँगा, और पृथ्‍वी के कोने-कोने से इकट्ठे करूँगा, और उनके बीच अंधे, लंगड़े, गर्भवती, और जच्‍चा स्‍त्रियाँ भी आएँगी; एक बड़ी मण्‍डली यहाँ लौट आएगी।

9वे आँसू बहाते हुए आएँगे और गिड़गिड़ाते हुए मेरे द्वारा पहुँचाए जाएँगे, मैं उन्‍हें नदियों के किनारे-किनारे से और ऐसे चौरस मार्ग से ले आऊँगा, जिससे वे ठोकर न खाने पाएँगे; क्‍योंकि मैं इस्राएल का पिता हूँ, और एप्रैम मेरा जेठा है।(1 कुरि. 6:18)

10“हे जाति-जाति के लोगो, यहोवा का वचन सुनो, और दूर-दूर के द्वीपों में भी इसका प्रचार करो; कहो, ‘जिसने इस्राएलियों को तितर- बितर किया था, वही उन्‍हें इकट्ठे भी करेगा, और उनकी ऐसी रक्षा करेगा जैसी चरवाहा अपने झुण्‍ड की करता है।’

11क्‍योंकि यहोवा ने याकूब को छुड़ा लिया, और उस शत्रु के पंजे से जो उससे अधिक बलवन्‍त है, उसे छुटकारा दिया है।

12इसलिये वे सिय्‍योन की चोटी पर आकर जयजयकार करेंगे, और यहोवा से अनाज, नया दाखमधु, टटका तेल, भेड़-बकरियाँ और गाय-बैलों के बच्‍चे आदि उत्‍तम-उत्‍तम दान पाने के लिये ताँता बाँधकर चलेंगे; और उनका प्राण सींची हुई बारी के समान होगा, और वे फिर कभी उदास न होंगे।

13उस समय उनकी कुमारियाँ नाचती हुई हर्ष करेंगी, और जवान और बूढ़े एक संग आनन्‍द करेंगे। क्‍योंकि मैं उनके शोक को दूर करके उन्‍हें आनन्‍दित करूँगा, मैं उन्‍हें शान्‍ति दूँगा, और दुःख के बदले आनन्‍द दूँगा।

14मैं याजकों को चिकनी वस्‍तुओं से अति तृप्‍त करूँगा, और मेरी प्रजा मेरे उत्‍तम दानों से सन्‍तुष्‍ट होगी,” यहोवा की यही वाणी है।

15यहोवा यह भी कहता है: “सुन, रामा नगर में विलाप और बिलक-बिलककर रोने का शब्‍द सुनने में आता है। राहेल अपने लड़कों के लिये रो रही है; और अपने लड़कों के कारण शान्‍त नहीं होती, क्‍योंकि वे जाते रहे।”(मत्ती 2:18)

16यहोवा यों कहता हेः “रोने-पीटने और आँसू बहाने से रुक जा; क्‍योंकि तेरे परिश्रम का फल मिलनेवाला है, और वे शत्रुओं के देश से लौट आएँगे।(प्रका. 21:4, होशे 1:11)

17अन्‍त में तेरी आशा पूरी होगी, यहोवा की यह वाणी है, तेरे वंश के लोग अपने देश में लौट आएँगे।

18निश्‍चय मैंने एप्रैम को ये बातें कहकर विलाप करते सुना है, ‘तूने मेरी ताड़ना की, और मेरी ताड़ना ऐसे बछड़े की सी हुई जो निकाला न गया हो; परन्‍तु अब तू मुझे फेर, तब मैं फिरूँगा, क्‍योंकि तू मेरा परमेश्‍वर है।

19भटक जाने के बाद मैं पछताया; और सिखाए जाने के बाद मैंने छाती पीटी; पुराने पापों को स्‍मरण कर मैं लज्‍जित हुआ और मेरा मुँह काला हो गया।’

20क्‍या एप्रैम मेरा प्रिय पुत्र नहीं है? क्‍या वह मेरा दुलारा लड़का नहीं है? जब-जब मैं उसके विरुद्ध बातें करता हूँ, तब-तब मुझे उसका स्‍मरण हो आता है। इसलिये मेरा मन उसके कारण भर आता है; और मैं निश्‍चय उस पर दया करूँगा, यहोवा की यही वाणी है।

21“हे इस्राएली कुमारी, जिस राजमार्ग से तू गई थी, उसी में खम्‍भे और झण्‍डे खड़े कर; और अपने इन नगरों में लौट आने पर मन लगा।

22हे भटकनेवाली कन्‍या, तू कब तक इधर-उधर फिरती रहेगी? यहोवा की एक नई सृष्‍टि पृथ्‍वी पर प्रगट होगी, अर्थात् नारी पुरुष की सहायता करेगी।”

23इस्राएल का परमेश्‍वर सेनाओं का यहोवा यों कहता है “जब मैं यहूदी बन्दियों को उनके देश के नगरों में लौटाऊँगा, तब उनमें यह आशीर्वाद फिर दिया जाएगाः ‘हे धर्मभरे वासस्‍थान, हे पवित्र पर्वत, यहोवा तुझे आशीष दे !’

24यहूदा और उसके सब नगरों के लोग और किसान और चरवाहे भी उसमें इकट्टे बसेंगे।

25क्‍योंकि मैंने थके हुए लोगों का प्राण तृप्‍त किया, और उदास लोगों के प्राण को भर दिया है।”(मत्ती 11:28, लूका 6:21)

26इस पर मैं जाग उठा, और देखा, और मेरी नींद मुझे मीठी लगी।

27“देख, यहोवा की यह वाणी है, कि ऐसे दिन आनेवाले हैं जिनमें मैं इस्राएल और यहूदा के घरानों के बाल-बच्चों और पशु दोनों को बहुत बढ़ाऊँगा।

28जिस प्रकार से मैं सोच-सोचकर उनको गिराता और ढाता, नष्‍ट करता, काट डालता और सत्‍यानाश ही करता था, उसी प्रकार से मैं अब सोच-सोचकर उनको रोपूँगा और बढ़ाऊँगा, यहोवा की यही वाणी है।

29उन दिनों में वे फिर न कहेंगे: ‘पुरखा लोगों ने तो जंगली दाख खाई, परन्‍तु उनके वंश के दाँत खट्टे हो गए हैं।’

30क्‍योंकि जो कोई जंगली दाख खाए उसी के दाँत खट्टे हो जाएँगे, और हर एक मनुष्‍य अपने ही अधर्म के कारण मारा जाएगा।

31“फिर यहोवा की यह भी वाणी है, सुन, ऐसे दिन आनेवाले हैं जब मैं इस्राएल और यहूदा के घरानों से नई वाचा बाँधूँगा।(मत्ती 26:28, लूका 22:20, 1 कुरि. 11:25, 2 कुरि. 3:6, इब्रा. 8:8-9)

32वह उस वाचा के समान न होगी जो मैंने उनके पुरखाओं से उस समय बाँधी थी जब मैं उनका हाथ पकड़कर उन्‍हें मिस्र देश से निकाल लाया, क्‍योंकि यद्यपि मैं उनका पति था, तौभी उन्होंने मेरी वह वाचा तोड़ डाली।

33परन्‍तु जो वाचा मैं उन दिनों के बाद इस्राएल के घराने से बाँधूँगा, वह यह है: मैं अपनी व्‍यवस्‍था उनके मन में समवाऊँगा, और उसे उनके हृदय पर लिखूँगा; और मैं उनका परमेश्‍वर ठहरूँगा, और वे मेरी प्रजा ठहरेंगे, यहोवा की यह वाणी है।(2 कुरि. 3:3, इब्रा. 8:10-11, रोमि. 11:26,27)

34और तब उन्‍हें फिर एक दूसरे से यह न कहना पड़ेगा कि यहोवा को जानो, क्‍योंकि, यहोवा की यह वाणी है कि छोटे से लेकर बड़े तक, सबके सब मेरा ज्ञान रखेंगे; क्‍योंकि मैं उनका अधर्म क्षमा करूँगा, और उनका पाप फिर स्‍मरण न करूँगा।”(1 थिस्सलु. 4:9, प्रेरि. 10:43, 1 थिस्सलु. 4:9, इब्रा. 10:17)

35जिसने दिन को प्रकाश देने के लिये सूर्य को और रात को प्रकाश देने के लिये चन्‍द्रमा और तारागण के नियम ठहराए हैं, जो समुद्र को उछालता और उसकी लहरों को गरजाता है, और जिसका नाम सेनाओं का यहोवा है, वही यहोवा यों कहता है:

36“यदि ये नियम मेरे सामने से टल जाएँ तब ही यह हो सकेगा कि इस्राएल का वंश मेरी दृष्‍टि में सदा के लिये एक जाति ठहरने की अपेक्षा मिट सकेगा।”

37यहोवा यों भी कहता है, “यदि ऊपर से आकाश मापा जाए और नीचे से पुथ्‍वी की नींव खोद खोदकर पता लगाया जाए, तब ही मैं इस्राएल के सारे वंश को उनके सब पापों के कारण उनसे हाथ उठाऊँगा।”

38“देख, यहोवा की यह वाणी है, ऐसे दिन आ रहे हैं जिनमें यह नगर हननेल के गुम्‍मट से लेकर कोने के फाटक तक यहोवा के लिये बनाया जाएगा।

39मापने की रस्‍सी फिर आगे बढ़कर सीधी गारेब पहाड़ी तक, और वहाँ से घूमकर गोआ को पहुँचेगी।

40शवो और राख की सब तराई और किद्रोन नाले तक जितने खेत हैं, घोड़ों के पूर्वी फाटक के कोने तक जितनी भूमि है, वह सब यहोवा के लिये पवित्र ठहरेगी। सदा तक वह नगर फिर कभी न तो गिराया जाएगा और न ढाया जाएगा।”


  Share Facebook  |  Share Twitter

 <<  Jeremiah 31 >> 


Bible2india.com
© 2010-2024
Help
Dual Panel

Laporan Masalah/Saran