Bible 2 India Mobile
[VER] : [HINDI]     [PL]  [PB] 
 <<  Jeremiah 20 >> 

1जब यिर्मयाह यह भविष्‍यद्वाणी कर रहा था, तब इम्‍मेर का पुत्र पशहूर ने जो याजक और यहोवा के भवन का प्रधान रखवाला था, वह सब सुना।

2तब पशहूर ने यिर्मयाह भविष्‍यद्वक्‍ता को मारा और उसे उस काठ में डाल दिया जो यहोवा के भवन के ऊपर बिन्‍यामीन के फाटक के पास है।(इब्रा. 11:36)

3सबेरे को जब पशहूर ने यिर्मयाह को काठ में से निकलवाया, तब यिर्मयाह ने उससे कहा, “यहोवा ने तेरा नाम पशहूर नहीं मागोर्मिस्‍साबीब रखा है।

4क्‍योंकि यहोवा ने यों कहा है, देख, मैं तुझे तेरे लिये और तेरे सब मित्रों के लिये भी भय का कारण ठहराऊँगा। वे अपने शत्रुओं की तलवार से तेरे देखते ही वध किए जाएँगे। और मैं सब यहूदियों को बाबुल के राजा के वश में कर दूँगा; वह उनको बन्दी कर बाबुल में ले जाएगा, और तलवार से मार डालेगा।

5फिर मैं इस नगर के सारे धन को और इसमें की कमाई और सब अनमोल वस्‍तुओं को और यहूदा के राजाओं का जितना रखा हुआ धन है, उस सब को उनके शत्रुओं के वश में कर दूँगा; और वे उसको लूटकर अपना कर लेंगे और बाबुल में ले जाएँगे।

6और, हे पशहूर, तू उन सब समेत जो तेरे घर में रहते हैं बँधुआई में चला जाएगा; अपने उन मित्रों समेत जिनसे तूने झूठी भविष्‍यद्वाणी की, तू बाबुल में जाएगा और वहीं मरेगा, और वहीं तुझे और उन्‍हें भी मिट्टी दी जाएगी।”

7हे यहोवा, तूने मुझे धोखा दिया, और मैंने धोखा खाया; तू मुझसे बलवन्‍त है, इस कारण तू मुझ पर प्रबल हो गया। दिन भर मेरी हँसी होती है; सब कोई मुझसे ठट्ठा करते हैं।

8क्‍योंकि जब मैं बातें करता हूँ, तब मैं जोर से पुकार-पुकारकर ललकारता हूँ, “उपद्रव और उत्‍पात हुआ, हाँ उत्‍पात !” क्‍योंकि यहोवा का वचन दिन भर मेरे लिये निन्‍दा और ठट्ठा का कारण होता रहता है।

9यदि मैं कहूँ, “मैं उसकी चर्चा न करूँगा न उसके नाम से बोलूँगा,” तो मेरे हृदय की ऐसी दशा होगी मानो मेरी हड्डियों में धधकती हुई आग हो, और मैं अपने को रोकते-रोकते थक गया पर मुझसे रहा नहीं जाता।(1 कुरि. 9:16)

10मैंने बहुतों के मुँह से अपनी निन्दा सुनी है। चारों ओर भय ही भय है ! मेरी जान पहचान के सब जो मेरे ठोकर खाने की बाट जोहते हैं, वे कहते हैं, “उसके दोष बताओ, तब हम उनकी चर्चा फैला देंगे। कदाचित् वह धोखा खाए, तो हम उस पर प्रबल होकर, उससे बदला लेंगे।”

11परन्‍तु यहोवा मेरे साथ है, वह भयंकर वीर के समान है; इस कारण मेरे सतानेवाले प्रबल न होंगे, वे ठोकर खाकर गिरेंगे। वे बुद्धि से काम नहीं करते, इसलिये उन्‍हें बहुत लज्‍जित होना पड़ेगा। उनका अपमान सदैव बना रहेगा और कभी भूला न जाएगा।

12हे सेनाओं के यहोवा, हे धर्मियों के परखनेवाले और हृदय और मन के ज्ञाता, जो बदला तू उनसे लेगा, उसे मैं देखूँ, क्‍योंकि मैंने अपना मुक़द्दमा तेरे ऊपर छोड़ दिया है।

13यहोवा के लिये गाओ; यहोवा की स्‍तुति करो! क्‍योंकि वह दरिद्र जन के प्राण को कुकर्मियों के हाथ से बचाता है।

14श्रापित हो वह दिन जिसमें मैं उत्‍पन्न हुआ ! जिस दिन मेरी माता ने मुझको जन्‍म दिया वह धन्‍य न हो !

15श्रापित हो वह जन जिसने मेरे पिता को यह समाचार देकर उसको बहुत आनन्‍दित किया कि तेरे लड़का उत्‍पन्न हुआ है।

16उस जन की दशा उन नगरों की सी हो जिन्‍हें यहोवा ने बिन दया ढा दिया; उसे सबेरे तो चिल्‍लाहट और दोपहर को युद्ध की ललकार सुनाई दिया करे,

17क्‍योंकि उसने मुझे गर्भ ही में न मार डाला कि मेरी माता का गर्भाशय ही मेरी क़ब्र होती, और मैं उसी में सदा पड़ा रहता।

18मैं क्‍यों उत्‍पात और शोक भोगने के लिये जन्‍मा और कि अपने जीवन में परिश्रम और दुःख देखूँ, और अपने दिन नामधराई में व्‍यतीत करूँ?


  Share Facebook  |  Share Twitter

 <<  Jeremiah 20 >> 


Bible2india.com
© 2010-2024
Help
Dual Panel

Laporan Masalah/Saran