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1फिर यहोवा ने मुझसे कहा, “यदि मूसा और शमूएल भी मेरे सामने खड़े होते, तौभी मेरा मन इन लोगों की ओर न फिरता। इनको मेरे सामने से निकाल दो कि वे निकल जाएँ!

2और यदि वे तुझसे पूछें कि हम कहाँ निकल जाएँ? तो कहना कि यहोवा यों कहता है, जो मरनेवाले हैं, वे मरने को चले जाएँ, जो तलवार से मरनेवाले हैं, वे तलवार से मरने को; जो अकाल से मरनेवाले हैं, वे आकाल से मरने को, और जो बन्दी बननेवाले हैं, वे बँधुआई में चले जाएं।(प्रका. 13:10)

3मैं उनके विरुद्ध चार प्रकार के विनाश ठहराऊँगाः मार डालने के लिये तलवार, फाड़ डालने के लिये कुत्‍ते, नोच डालने के लिये आकाश के पक्षी, और फाड़कर खाने के लिये मैदान के हिंसक जन्‍तु, यहोवा की यह वाणी है।(प्रका. 6:8)

4यह हिजकिय्‍याह के पुत्र, यहूदा के राजा मनश्‍शे के उन कामों के कारण होगा जो उसने यरूशलेम में किए हैं, और मैं उन्‍हें ऐसा करूँगा कि वे पृथ्‍वी के राज्य-राज्य में मारे-मारे फिरेंगे।

5“हे यरूशलेम, तुझ पर कौन तरस खाएगा, और कौन तेरे लिये शोक करेगा? कौन तेरा कुशल पूछने को तेरी ओर मुड़ेगा?

6यहोवा की यह वाणी है कि तू मुझको त्‍यागकर पीछे हट गई है, इसलिये मैं तुझ पर हाथ बढ़ाकर तेरा नाश करूँगा; क्‍योंकि, मैं तरस खाते-खाते उकता गया हूँ।

7मैंने उनको देश के फाटकों में सूप से फटक दिया है; उन्होंने कुमार्ग को नहीं छोड़ा, इस कारण मैंने अपनी प्रजा को निर्वश कर दिया, और नाश भी किया है।

8उनकी विधवाएं मेरे देखने में समुद्र की बालू के किनकों से अधिक हो गई हैं; उनके जवानों की माताओं के विरुद्ध दुपहरी ही को मैंने लुटेरों को ठहराया है; मैंने उनको अचानक संकट में डाल दिया और घबरा दिया है।

9सात लड़कों की माता भी बेहाल हो गई और प्राण भी छोड़ दिया; उसका सूर्य दोपहर ही को अस्‍त हो गया; उसकी आशा टूट गई और उसका मुँह काला हो गया। और जो रह गए हैं उनको भी मैं शत्रुओं की तलवार से मरवा डालूँगा,” यहोवा की यही वाणी है।

10हे मेरी माता, मुझ पर हाय, कि तूने मुझ ऐसे मनुष्‍य को उत्‍पन्न किया जो संसार भर से झगड़ा और वादविवाद करनेवाला ठहरा है! न तो मैंने ब्‍याज के लिये रुपये दिए, और न किसी से उधार लिए हैं, तौभी लोग मुझे कोसते हैं।

11यहोवा ने कहा, “निश्‍चय मैं तेरी भलाई के लिये तुझे दृढ़ करूँगा; विपत्‍ति और कष्‍ट के समय मैं शत्रु से भी तेरी विनती कराऊँगा।

12क्‍या कोई पीतल या लोहा, अर्थात् उत्‍तर दिशा का लोहा तोड़ सकता है?

13तेरे सब पापों के कारण जो सर्वत्र देश में हुए हैं मैं तेरी धन-सम्‍पत्‍ति और खजाने, बिना दाम दिए लुट जाने दूँगा।

14मैं ऐसा करूँगा कि वह शत्रुओं के हाथ ऐसे देश में चला जाएगा जिसे तू नहीं जानती है, क्‍योंकि मेरे क्रोध की आग भड़क उठी है, और वह तुमको जलाएगी।”

15हे यहोवा, तू तो जानता है; मुझे स्‍मरण कर और मेरी सुधि लेकर मेरे सतानेवालों से मेरा पलटा ले। तू धीरज के साथ क्रोध करनेवाला है, इसलिये मुझे न उठा ले; तेरे ही निमित्‍त मेरी नामधराई हुई है।

16जब तेरे वचन मेरे पास पहुँचे, तब मैंने उन्‍हें मानो खा लिया, और तेरे वचन मेरे मन के हर्ष और आनन्‍द का कारण हुए; क्‍योंकि, हे सेनाओं के परमेश्‍वर यहोवा, मैं तेरा कहलाता हूँ।

17तेरी छाया मुझ पर हुई; मैं मन बहलानेवालों के बीच बैठकर प्रसन्न नहीं हुआ; तेरे हाथ के दबाव से मैं अकेला बैठा, क्‍योंकि तूने मुझे क्रोध से भर दिया था।

18मेरी पीड़ा क्‍यों लगातार बनी रहती है? मेरी चोट की क्‍यों कोई औषधि नहीं है? क्‍या तू सचमुच मेरे लिये धोखा देनेवाली नदी और सूखनेवाले जल के समान होगा?

19यह सुनकर यहोवा ने यों कहा, “यदि तू फिरे, तो मैं फिर से तुझे अपने सामने खड़ा करूँगा। यदि तू अनमोल को कहे और निकम्‍मे को न कहे, तब तू मेरे मुख के समान होगा। वे लोग तेरी ओर फिरेंगे, परन्‍तु तू उनकी ओर न फिरना।

20मैं तुझको उन लोगों के सामने पीतल की दृढ़ शहरपनाह बनाऊँगा; वे तुझसे लड़ेंगे, परन्‍तु तुझ पर प्रबल न होंगे, क्‍योंकि मैं तुझे बचाने और तेरा उद्धार करने के लिये तेरे साथ हूँ, यहोवा की यह वाणी है। मैं तुझे दुष्‍ट लोगों के हाथ से बचाऊँगा,

21और उपद्रवी लोगों के पंजे से छुड़ा लूँगा।”


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