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1यहोवा का यह वचन यिर्मयाह के पास पहुँचा:

2“इस वाचा के वचन सुनो, और यहूदा के पुरुषों और यरूशलेम के रहनेवालों से कहो।

3उनसे कहो, इस्राएल का परमेश्‍वर यहोवा यों कहता है, श्रापित है वह मनुष्‍य, जो इस वाचा के वचन न माने

4जिसे मैंने तुम्‍हारे पुरखाओं के साथ लोहे की भट्ठी अर्थात् मिस्र देश में से निकालने के समय, यह कहकर बाँधी थी, मेरी सुनो, और जितनी आज्ञाएँ मैं तुम्‍हें देता हूँ उन सभों का पालन करो। इससे तुम मेरी प्रजा ठहरोगे, और मैं तुम्‍हारा परमेश्‍वर ठहरूँगा;

5और जो शपथ मैंने तुम्‍हारे पितरों से खाई थी कि जिस देश में दूध और मधु की धाराएँ बहती हैं, उसे मैं तुमको दूँगा, उसे पूरी करूँगा; और देखो, वह पूरी हुई है।” यह सुनकर मैंने कहा, “हे यहोवा, ऐसा ही हो।”

6तब यहोवा ने मुझसे कहा, “ये सब वचन यहूदा के नगरों और यरूशलेम की सड़कों में प्रचार करके कह, इस वाचा के वचन सुनो और उसके अनुसार चलो।

7क्‍योंकि जिस समय से मैं तुम्‍हारे पुरखाओं को मिस्र देश से छुड़ा ले आया तब से आज के दिन तक उनको दृढ़ता से चिताता आया हूँ, मेरी बात सुनों।

8परन्‍तु उन्होंने न सुनी और न मेरी बातों पर कान लगाया, किन्‍तु अपने-अपने बुरे मन के हठ पर चलते रहे। इसलिये मैंने उनके विषय इस वाचा की सब बातों को पूर्ण किया है जिसके मानने की मैंने उन्‍हें आज्ञा दी थी और उन्होंने न मानी।”

9फिर यहोवा ने मुझसे कहा, “यहूदियों और यरूशलेम के निवासियों में विद्रोह पाया गया है।

10जैसे इनके पुरखा मेरे वचन सुनने से इनकार करते थे, वैसे ही ये भी उनके अधर्मों का अनुसरण करके दूसरे देवताओं के पीछे चलते और उनकी उपासना करते हैं; इस्राएल और यहूदा के घरानों ने उस वाचा को जो मैंने उनके पूर्वजों से बाँधी थी, तोड़ दिया है।

11इसलिये यहोवा यों कहता है, देख, मैं इन पर ऐसी विपत्‍ति डालने पर हूँ जिससे ये बच न सकेंगे; और चाहे ये मेरी दोहाई दें तौभी मैं इनकी न सुनूँगा।

12उस समय यरूशलेम और यहूदा के नगरों के निवासी उन देवताओं की दोहाई देंगे जिनके लिये वे धूप जलाते हैं, परन्‍तु वे उनकी विपत्‍ति के समय उनको कभी न बचा सकेंगे।

13हे यहूदा, जितने तेरे नगर हैं उतने ही तेरे देवता भी हैं; और यरूशलेम के निवासियों ने हर एक सड़क में उस लज्‍जापूर्ण बाल की वेदियाँ बना-बनाकर उसके लिये धूप जलाया है।

14“इसलिये तू मेरी इस प्रजा के लिये प्रार्थना न करना, न कोई इन लोगों के लिये ऊँचे स्‍वर से विनती करे, क्‍योंकि जिस समय ये अपनी विपत्‍ति के मारे मेरी दोहाई देंगे, तब मैं उनकी न सुनूँगा।

15मेरी प्रिया को मेरे घर में क्‍या काम है? उसने तो बहुतों के साथ कुकर्म किया, और तेरी पवित्रता पूरी रीति से जाती रही है। जब तू बुराई करती है, तब प्रसन्न होती है।(भजन 50:16)

16यहोवा ने तुझको हरा, मनोहर, सुन्‍दर फलवाला जैतून तो कहा था, परन्‍तु उसने बड़े हुल्‍लड़ के शब्‍द होते ही उसमें आग लगाई गई, और उसकी डालियाँ तोड़ डाली गई।

17सेनाओं का यहोवा, जिसने तुझे लगाया, उसने तुझ पर विपत्‍ति डालने के लिये कहा है; इसका कारण इस्राएल और यहूदा के घरानों की यह बुराई है कि उन्होंने मुझे रिस दिलाने के लिये बाल के निमित्‍त धूप जलाया।”

18यहोवा ने मुझे बताया और यह बात मुझे मालूम हो गई; क्‍योंकि यहोवा ही ने उनकी युक्तियाँ मुझ पर प्रगट की।

19मैं तो वध होनेवाले भेड़ के बच्‍चे के समान अनजान था। मैं न जानता था कि वे लोग मेरी हानि की युक्तियाँ यह कहकर करते हैं, “आओ, हम फल समेत इस वृक्ष को उखाड़ दें, और जीवितों के बीच में से काट डालें, तब इसका नाम तक फिर स्‍मरण न रहे।”

20परन्‍तु, अब हे सेनाओं के यहोवा, हे धर्मी न्‍यायी, हे अन्‍त:करण की बातों के ज्ञाता, तू उनका पलटा ले और मुझे दिखा, क्‍योंकि मैंने अपना मुक़द्दमा तेरे हाथ में छोड़ दिया है।(भजन 7:9, प्रका. 2:23)

21इसलिये यहोवा ने मुझसे कहा, “अनातोत के लोग जो तेरे प्राण के खोजी हैं और यह कहते हैं कि तू यहोवा का नाम लेकर भविष्‍यद्वाणी न कर, नहीं तो हमारे हाथों से मरेगा।

22इसलिये सेनाओं का यहोवा उनके विषय यों कहता है, मैं उनको दण्‍ड दूँगा; उनके जवान तलवार से, और उनके लड़के-लड़कियाँ भूखे मरेंगे;

23और उनमें से कोई भी न बचेगा। मैं अनातोत के लोगों पर यह विपत्‍ति डालूँगा; उनके दण्‍ड का दिन आनेवाला है।”


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