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1यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुँचा,

2“हे मनुष्‍य के सन्‍तान, इस्राएल के जो भविष्‍यद्वक्‍ता अपने ही मन से भविष्‍यवाणी करते हैं, उनके विरुद्ध भविष्‍यवाणी करके तू कह, ‘यहोवा का वचन सुनो।’

3प्रभु यहोवा यों कहता है: हाय, उन मूढ़ भविष्‍यद्वक्‍ताओं पर जो अपनी ही आत्‍मा के पीछे भटक जाते हैं, और कुछ दर्शन नहीं पाया !

4हे इस्राएल, तेरे भविष्‍यद्वक्‍ता खण्‍डहरों में की लोमड़ियों के समान बने हैं।

5तुमने नाकों में चढ़कर इस्राएल के घराने के लिये दीवार नहीं सुधारी, जिससे वे यहोवा के दिन युद्ध में स्‍थिर रह सकते।

6वे लोग जो कहते हैं, ‘यहोवा की यह वाणी है,’ उन्होंने भावी का व्‍यर्थ और झूठा दावा किया है; और तब भी यह आशा दिलाई कि यहोवा यह वचन पूरा करेगा; तौभी यहोवा ने उन्‍हें नहीं भेजा।

7क्‍या तुम्‍हारा दर्शन झूठा नहीं है, और क्‍या तुम झूठमूठ भावी नहीं कहते? तुम कहते हो, ‘यहोवा की यह वाणी है;’ परन्‍तु मैंने कुछ नहीं कहा है।”

8इस कारण प्रभु यहोवा तुमसे यों कहता है: “तुमने जो व्‍यर्थ बात कही और झूठे दर्शन देखे हैं, इसलिये मैं तुम्‍हारे विरुद्ध हूँ, प्रभु यहोवा की यही वाणी है।

9जो भविष्‍यद्वक्‍ता झूठे दर्शन देखते और झूठमूठ भावी कहते हैं, मेरा हाथ उनके विरुद्ध होगा, और वे मेरी प्रजा की मण्डली में भागी न होंगे, न उनके नाम इस्राएल की नामावली में लिखे जाएँगे, और न वे इस्राएल के देश में प्रवेश करने पाएँगे; इससे तुम लोग जान लोगे कि मैं प्रभु यहोवा हूँ।

10क्‍योंकि हाँ, क्‍योंकि उन्होंने ‘शान्‍ति है’, ऐसा कहकर मेरी प्रजा को बहकाया है जब कि शान्‍ति नहीं है; और इसलिये कि जब कोई दीवार बनाता है तब वे उसकी कच्‍ची लेसाई करते हैं।

11उन कच्‍ची लेसाई करनेवालों से कह कि वह गिर जाएगी। क्‍योंकि बड़े जोर की वर्षा होगी, और बड़े-बड़े ओले भी गिरेंगे, और प्रचण्‍ड आँधी उसे गिराएगी।

12इसलिये जब दीवार गिर जाएगी, तब क्‍या लोग तुमसे यह न कहेंगे कि जो लेसाई तुमने की वह कहाँ रही?

13इस कारण प्रभु यहोवा तुमसे यों कहता है: मैं जलकर उसको पचण्‍ड आँधी के द्वारा गिराऊँगा; और मेरे कोप से भारी वर्षा होगी, और मेरी जलजलाहट से बड़े-बड़े ओले गिरेंगे कि दीवार को नाश करें।

14इस रीति जिस दीवार पर तुमने कच्‍ची लेसाई की है, उसे मैं ढा दूँगा, वरन् मिट्टी में मिलाऊँगा, और उसकी नेव खुल जाएगी; और जब वह गिरेगी, तब तुम भी उसके नीचे दबकर नाश होगे; और तुम जान लोगे कि मैं यहोवा हूँ।

15इस रीति मैं दीवार और उसकी कच्‍ची लेसाई करनेवाले दोनों पर अपनी जलजलाहट पूर्ण रीति से भड़काऊँगा; फिर तुमसे कहूँगा, न तो दीवार रही, और न उसके लेसनेवाले रहे,

16अर्थात् इस्राएल के वे भविष्‍यद्वक्‍ता जो यरूशलेम के विषय में भविष्‍यद्वाणी करते और उनकी शान्‍ति का दर्शन बताते थे, परन्‍तु प्रभु यहोवा की यह वाणी है, कि शान्‍ति है ही नहीं।

17“फिर हे मनुष्‍य के सन्‍तान, तू अपने लोगों की स्‍त्रियों से विमुख होकर, जो अपने ही मन से भविष्‍यद्वाणी करती है; उनके विरुद्ध भविष्‍यद्वाणी करके कह,

18प्रभु यहोवा यों कहता है: जो स्‍त्रियाँ हाथ के सब जोड़ो के लिये तकिया सीतीं और प्राणियों का अहेर करने को सब प्रकार के मनुष्‍यों की आँख ढाँपने के लिये कपड़े बनाती हैं, उन पर हाय! क्‍या तुम मेरी प्रजा के प्राणों का अहेर करके अपने निज प्राण बचा रखोगी?

19तुमने तो मुट्ठी-मुट्ठी भर जौ और रोटी के टुकड़ों के बदले मुझे मेरी प्रजा की दृष्‍टि में अपवित्र ठहराकर, और अपनी उन झूठी बातों के द्वारा, जो मेरी प्रजा के लोग तुमसे सुनते हैं, जो नाश के योग्‍य न थे, उनको मार डाला; और जो बचने के योग्‍य न थे उन प्राणों को बचा रखा है।

20“इस कारण प्रभु यहोवा तुमसे यों कहता है, देखो, मैं तुम्‍हारे उन तकियों के विरुद्ध हूँ, जिनके द्वारा तुम प्राणों का अहेर करती हो, इसलिये जिन्‍हें तुम अहेर कर करके उड़ाती हो उनको मैं तुम्‍हारी बाँह पर से छीनकर उनको छुड़ा दूँगा।

21मैं तुम्‍हारे सिर के बुर्के को फाड़कर अपनी प्रजा के लोगों को तुम्हारे हाथ से छुड़ाऊँगा, और आगे को वे तुम्‍हारे वश में न रहेंगे कि तुम उनका अहेर कर सको; तब तुम जान लोगी कि मैं यहोवा हूँ।

22तुमने जो झूठ कहकर धर्मी के मन को उदास किया है, यद्यपि मैंने उसको उदास करना नहीं चाहा, और तुमने दुष्‍ट जन को हियाव बन्‍धाया है, ताकि वह अपने बुरे मार्ग से न फिरे और जीवित रहे।

23इस कारण तुम फिर न तो झूठा दर्शन देखोगी, और न भावी कहोगी; क्‍योंकि मैं अपनी प्रजा को तुम्‍हारे हाथ से छुड़ाऊँगा। तब तुम जान लोगी कि मैं यहोवा हूँ।”


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