1उसकी सास नाओमी ने उस से कहा, हे मेरी बेटी, क्या मैं तेरे लिये ठांव न ढूंढूं कि तेरा भला हो?
2अब जिसकी दासियों के पास तू थी, क्या वह बोअज हमारा कुटुम्बी नहीं है? वह तो आज रात को खलिहान में जौ फटकेगा।
3तू स्नान कर तेल लगा, वस्त्र पहिनकर खलिहान को जा; परन्तु जब तक वह पुरूष खा पी न चुके तब तक अपने को उस पर प्रगट न करना।
4और जब वह लेट जाए, तब तू उस के लेटने के स्थान को देख लेना; फिर भीतर जा उसके पांव उघाड़के लेट जाना; तब वही तुझे बताएगा कि तुझे क्या करना चाहिये।
5उस ने उस से कहा, जो कुछ तू कहती है वह सब मैं करूँगी।
6तब वह खलिहान को गई और अपनी सास की आज्ञा के अनुसार ही किया।
7जब बोअज खा पी चुका, और उसका मन आनन्दित हुआ, तब जाकर अनाज के एक सिरे पर लेट गया। तब वह चुपचाप गई, और उसके पांव उघाड़ के लेट गई।
8आधी रात को वह पुरूष चौंक पड़ा, और आगे की ओर झुककर क्या पाया, कि मेरे पांवों के पास कोई स्त्री लेटी है।
9उस ने पूछा, तू कौन है? तब वह बोली, मैं तो तेरी दासी रूत हूं; तू अपनी दासी को अपनी चद्दर ओढ़ा दे, क्योंकि तू हमारी भूमि छुड़ानेवाला कुटुम्बी है।
10उस ने कहा, हे बेटी, यहोवा की ओर से तुझ पर आशीष हो; क्योंकि तू ने अपनी पिछली प्रीति पहिली से अधिक दिखाई, क्योंकि तू, क्या धनी, क्या कंगाल, किसी जवान के पीछे नहीं लगी।
11इसलिये अब, हे मेरी बेटी, मत डर, जो कुछ तू कहेगी मैं तुझ से करूंगा; क्योंकि मेरे नगर के सब लोग** जानते हैं कि तू भली स्त्री है।
12और सच तो है कि मैं छुड़ानेवाला कुटुम्बी हूं, तौभी एक और है जिसे मुझ से पहिले ही छुड़ाने का अधिकार है।
13सो रात भर ठहरी रह, और सबेरे यदि वह तेरे लिये छुड़ानेवाले का काम करना चाहे; तो अच्छा, वही ऐसा करे; परन्तु यदि वह तेरे लिये छुड़ानेवाले का काम करने को प्रसन्न न हो, तो यहोवा के जीवन की शपथ मैं ही वह काम करूंगा। भोर तक लेटी रह।
14तब वह उसके पांवों के पास भोर तक लेटी रही, और उस से पहिले कि कोई दूसरे को पहचान सके वह उठी; और बोअज ने कहा, कोई जानने न पाए कि खलिहान में कोई स्त्री आई थी।
15तब बोअज ने कहा, जो चद्दर तू ओढ़े है उसे फैलाकर पकड़ ले। और जब उस ने उसे पकड़ा तब उस ने छ: नपुए जौ नापकर उसको उठा दिया; फिर वह नगर में चली गई।
16जब रूत अपनी सास के पास आई तब उस ने पूछा, “हे बेटी, क्या हुआ?” तब जो कुछ उस पुरूष ने उस से किया था वह सब उस ने उसे कह सुनाया।
17फिर उस ने कहा, यह छ: नपुए जौ उस ने यह कहकर मुझे दिया, कि अपनी सास के पास खाली हाथ मत जा।
18उस ने कहा, हे मेरी बेटी, जब तक तू न जाने कि इस बात का कैसा फल निकलेगा, तब तक चुपचाप बैठी रह, क्योंकि आज उस पुरूष को यह काम बिना निपटाए चैन न पड़ेगा।।