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1हे यहोवा मैं तेरा शरणागत हूँ; मेरी आशा कभी टूटने न पाए!

2तू तो धर्मी है, मुझे छुड़ा और मेरा उद्धार कर; मेरी ओर कान लगा, और मेरा उद्धार कर!

3मेरे लिये सनातन काल की चट्टान का धाम बन, जिसमें मैं नित्‍य जा सकूँ; तू ने मेरे उद्धार की आज्ञा तो दी है, क्‍योंकि तू मेरी चट्टान और मेरा गढ़ ठहरा है।

4हे मेरे परमेश्‍वर दुष्‍ट के, और कुटिल और क्रूर मनुष्‍य के हाथ से मेरी रक्षा कर।

5क्‍योंकि हे प्रभु यहोवा, मैं तेरी ही बाट जोहता आया हूँ; बचपन से मेरा आधार तू है।

6मैं गर्भ से निकलते ही, तुझसे सम्‍भाला गया; मुझे माँ की कोख से तू ही ने निकाला; इसलिये मैं नित्‍य तेरी स्‍तुति करता रहूँगा।।

7मैं बहुतों के लिये चमत्‍कार बना हूँ; परन्‍तु तू मेरा दृढ़ शरणस्‍थान है।

8मेरे मुँह से तेरे गुणानुवाद, और दिन भर तेरी शोभा का वर्णन बहुत हुआ करे।

9बुढ़ापे के समय मेरा त्‍याग न कर; जब मेरा बल घटे तब मुझ को छोड़ न दे।

10क्‍योंकि मेरे शत्रु मेरे विषय बातें करते हैं, और जो मेरे प्राण की ताक में हैं, वे आपस में यह सम्‍मति करते हैं, कि

11परमेश्‍वर ने उसको छोड़ दिया है; उसका पीछा करके उसे पकड़ लो, क्‍योंकि उसका कोई छुड़ानेवाला नहीं।

12हे परमेश्‍वर, मुझ से दूर न रह; हे मेरे परमेश्‍वर, मेरी सहायता के लिये फुर्ती कर!

13जो मेरे प्राण के विरोधी हैं, उनकी आशा टूटे और उनका अन्‍त हो जाए; जो मेरी हानि के अभिलाषी हैं, वे नामधराई और अनादर में गड़ जाएँ।

14मैं तो निरन्‍तर आशा लगाए रहूँगा, और तेरी स्‍तुति अधिकाधिक करता जाऊँगा।

15मैं अपने मुँह से तेरे धर्म का, और तेरे किए हुए उद्धार का वर्णन दिन भर करता रहूँगा, परन्‍तु उनका पूरा ब्‍योरा मेरी समझ से परे है।

16मैं प्रभु यहोवा के पराक्रम के कामों का वर्णन करता हुआ आऊँगा, मैं केवल तेरे ही धर्म की चर्चा किया करूँगा।

17हे परमेश्‍वर, तू तो मुझ को बचपन ही से सिखाता आया है, और अब तक मैं तेरे आश्चर्यकर्मों का प्रचार करता आया हूँ।

18इसलिये हे परमेश्‍वर जब मैं बूढ़ा हो जाऊँ और मेरे बाल पक जाएँ, तब भी तू मुझे न छोड़, जब तक मैं आनेवाली पीढ़ी के लोगों को तेरा बाहुबल और सब उत्‍पन्‍न होनेवालों को तेरा पराक्रम सुनाऊँ।

19और हे परमेश्‍वर, तेरा धर्म अति महान् है। तू जिस ने महाकार्य किए हैं, हे परमेवर तेरे तुल्‍य कौन है?

20तू ने तो हम को बहुत से कठिन कष्‍ट दिखाए हैं परन्‍तु अब तू फिर से हमको जिलाएगा; और पृथ्‍वी के गहरे गड़हे में से उबार लेगा।

21तू मेरी बड़ाई को बढ़ाएगा, और फिरकर मुझे शान्‍ति देगा।

22हे मेरे परमेश्‍वर, मैं भी तेरी सच्‍चाई का धन्‍यवाद सारंगी बजाकर गाऊँगा; हे इस्राएल के पवित्र मैं वीणा बजाकर तेरा भजन गाऊँगा।

23जब मैं तेरा भजन गाऊँगा, तब अपने मुँह से और अपने प्राण से भी जो तू ने बचा लिया है, जयजयकार करूँगा।

24और मैं तेरे धर्म की चर्चा दिन भर करता रहूँगा; क्‍योंकि जो मेरी हानि के अभिलाषी थे, उनकी आशा टूट गई और मुँह काले हो गए हैं।


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