1हाय मुझ पर ! क्योंकि मैं उस जन के समान हो गया हूँ जो धूपकाल के फल तोड़ने पर, या रही हुई दाख बीनने के समय के अन्त में आ जाए, मुझे तो पक्की अंजीरों की लालसा थी, परन्तु खाने के लिये कोई गुच्छा नहीं रहा।
2भक्त लोग पृथ्वी पर से नाश हो गए हैं, और मनुष्यों में एक भी सीधा जन नहीं रहा; वे सब के सब हत्या के लिये घात लगाते, और जाल लगाकर अपने अपने भाई का आहेर करते हैं।
3वे अपने दोनों हाथों से मन लगाकर बुराई करते हैं; हाकिम घूस माँगता, और न्यायी घूस लेने को तैयार रहता है, और रईस अपने मन की दुष्टता वर्णन करता है; इसी प्रकार से वे सब मिलकर जालसाजी करते हैं।
4उन में से जो सब से उत्तम है, वह कटीली झाड़ी के समान दुःखदाई है, जो सब से सीधा है, वह काँटेवाले बाड़े से भी बुरा है। तेरे पहरूओं का कहा हुआ दिन, अर्थात् तेरे दण्ड का दिन आ गया है। अब वे शीघ्र चौंधियां जाएँगे।
5मित्र पर विश्वास मत करो, परममित्र पर भी भरोसा मत रखो; वरन अपनी अर्धांगिनी से भी संभलकर बोलना।
6क्योंकि पुत्र पिता का अपमान करता, और बेटी माता के, और बहूँ सास के विरूद्ध उठती है; मनुष्य के शत्रु उसके घर ही के लोग होते हैं। (मत्ती. 10:21,35,3,मर. 13:12 ,लूका. 12:53)
7परन्तु मैं यहोवा की ओर ताकता रहूँगा, मैं अपने उद्धारकर्ता परमेश्वर की बाट जोहता रहूँगा; मेरा परमेश्वर मेरी सुनेगा।
8हे मेरी बैरिन, मुझ पर आनन्द मत कर; क्योंकि ज्योंही मैं गिरूँगा त्यों ही उठूँगा; और ज्यों ही मैं अन्धकार में पडूँगा त्यों ही यहोवा मेरे लिये ज्योति का काम देगा।
9मैंने यहोवा के विरूद्ध पाप किया है, इस कारण मैं उस समय तक उसके क्रोध को सहता रहूँगा जब तक कि वह मेरा मुकद्दमा लड़कर मेरा न्याय न चुकाएगा। उस समय वह मुझे उजियाले में निकाल ले आएगा, और मैं उसका धर्म देखूँगा।
10तब मेरी बैरिन जो मुझ से यह कहती है कि तेरा परमेश्वर यहोवा कहाँ रहा, वह भी उसे देखेगी और लज्जा से मुँह ढाँपेगी। मैं अपनी आंखों से उसे देखूँगा; तब वह सड़कों की कीच की नाई लताड़ी जाएगी।
11तेरे बाड़ों के बान्धने के दिन उसकी सीमा बढ़ाई जाएगी।
12उस दिन अश्शूर से, और मिस्र के नगरों से और मिस्र और महानद के बीच के, और समुद्र-समुद्र और पहाड़-पहाड़ के बीच में देशों से लोग तेरे पास आँएगे।
13तौभी यह देश अपने रहनेवालों के कामों के कारण उजाड़ ही रहेगा।।
14तू लाठी लिये हुए अपनी प्रजा की चरवाही कर, अर्थात् अपने निज भाग की भेड़-बकरियों की, जो कर्म्मेल के वन में अलग बैठती है; वे पूर्वकाल की नाई बाशान और गिलाद में चरा करें।
15जैसे कि मिस्र देश से तेरे निकल आने के दिनों में, वैसी ही अब मैं उसको अदभुद काम दिखाऊँगा।
16अन्यजातियाँ देखकर अपने सारे पराक्रम के विषय में लजाएँगी; वे अपने मुँह को हाथ से छिपाएँगी, और उनके कान बहिरे हो जाएँगे।
17वे सर्प के समान मिट्टी चाटेंगी, और भूमि पर रेंगनेवाले जन्तुओं की भाँति अपने बिलों में से काँपती हुई निकलेंगी; हे हमारे परमेश्वर यहोवा के पास थरथराती हुई आएँगी, और वे तुझ से डरेंगी।
18तेरे समान ऐसा परमेश्वर कहाँ है जो अधर्म को क्षमा करे और अपने निज भाग के बचे हुओं के अपराध को ढाँप दे? वह अपने क्रोध को सदा बनाए नहीं रहता, क्योंकि वह करूणा से प्रीति रखता है।
19वह फिर हम पर दया करेगा, और हमारे अधर्म के कामों को लताड़ डालेगा। तू उनके सब पापों को गहिरे समुद्र में डाल देगा।
20तू याकूब के विषय में वह सच्चाई, और अब्राहम के विषय में वह करूणा पूरी करेगा, जिस की शपथ तू प्राचीनकाल के दिनों से लेकर अब तक हमारे पितरों से खाता आया है। (लूका 1:55,रोम. 15:8)