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1रात के समय में अपने पलंग पर अपने प्राणप्रिय को ढूँढ़ती रही; मैं उसे ढूँढ़ती तो रही, परन्‍तु उसे न पाया; “मैं ने कहा, मैं अब उठकर नगर में,( यशा 3:1)

2और सड़कों और चौकों में घूमकर अपने प्राणप्रिय को ढूँढूँगी।” मैं उसे ढूँढ़ती तो रही, परन्‍तु उसे न पाया।

3जो पहरूए नगर में घूमते थे, वे मुझे मिले, मैं ने उन से पूछा, “क्‍या तुम ने मेरे प्राणप्रिय को देखा है?”

4मुझ को उनके पास से आगे बढ़े थोड़े ही देर हुई थी कि मेरा प्राणप्रिय मुझे मिल गया। मैं ने उसको पकड़ लिया, और उसको जाने न दिया जब तक उसे अपनी माता के घर अर्थात् अपनी जननी की कोठरी में न ले आई।

5हे यरूशलेम की पुत्रियों, मैं तुम से चिकारियों और मैदान की हरिणियों की शपथ धराकर कहती हूँ, कि जब तक प्रेम आप से न उठे, तब तक उसको न उकसाओ और न जगाओ।

6यह क्‍या है जो धूएं के खम्‍भे के समान, गन्‍धरस और लोबान से सुगन्‍धित, और व्‍यापारी की सब भाँती की बुकनी लगाए हुए जंगल से निकला आता है?

7देखो, यह सुलैमान की पालकी है! उसके चारों ओर इस्राएल के शूरवीरों में के साठ वीर चल रहे हैं।

8वे सब के सब तलवार बान्‍धनेवाले और युद्ध विद्या में निपुण हैं। प्रत्‍येक पुरूष रात के डर से जाँघ पर तलवार लटकाए रहता है।

9सुलैमान राजा ने अपने लिये लबानोन के काठ की एक बड़ी पालकी बनावा ली।

10उस ने उसके खम्‍भे चाँदी के, उसका सिरहाना सोने का, और गद्दी बैंगनी रंग की बनवाई हे; और उसके बीच का स्‍थान यरूशलेम की पुत्रियों की ओर से बड़े प्रेम से जड़ा गया है।

11हे सिय्‍योन की पुत्रियों निकलकर सुलैमान राजा पर दृष्‍टि डालो, देखो, वह वही मुकुट पहिने हुए है जिसे उसकी माता ने उसके विवाह के दिन और उसके मन के आनन्‍द के दिन, उसके सिर पर रखा था।


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