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1तब यूसुफ उन सबके सामने, जो उसके आस पास खड़े थे, अपने को और रोक न सका; और पुकार कर कहा, “मेरे आस पास से सब लोगों को बाहर कर दो।” भाइयों के सामने अपने को प्रगट करने के समय यूसुफ के संग और कोई न रहा।

2तब वह चिल्ला-चिल्लाकर रोने लगा; और मिस्रियों ने सुना, और फिरौन के घर के लोगों को भी इसका समाचार मिला।

3तब यूसुफ अपने भाइयों से कहने लगा, “मैं यूसुफ हूँ, क्‍या मेरा पिता अब तब जीवित है?” इसका उत्तर उसके भाई न दे सके; क्‍योंकि वे उसके सामने घबरा गए थे।

4फिर यूसुफ ने अपने भाइयों से कहा, “मेरे निकट आओ।” यह सुनकर वे निकट गए। फिर उसने कहा, “मैं तुम्‍हारा भाई यूसुफ हूँ, जिसको तुम ने मिस्र आने वालों के हाथ बेच डाला था। (प्रेरि 7:9)

5अब तुम लोग मत पछताओ, और तुम ने जो मुझे यहाँ बेच डाला, इससे उदास मत हो; क्‍योंकि परमेश्‍वर ने तुम्‍हारे प्राणों को बचाने के लिये मुझे आगे भेज दिया है।

6क्‍योंकि अब दो वर्ष से इस देश में अकाल है; और अब पाँच वर्ष और ऐसे ही होंगे कि उनमें न तो हल चलेगा और न अन्‍न काटा जाएगा। (प्रेरि 7:15)

7इसलिये परमेश्‍वर ने मुझे तुम्‍हारे आगे इसी लिये भेजा कि तुम पृथ्‍वी पर जीवित रहो, और तुम्‍हारे प्राणों के बचने से तुम्‍हारा वंश बढ़े।

8इस रीति अब मुझको यहाँ पर भेजनेवाले तुम नहीं, परमेश्‍वर ही ठहरा; और उसी ने मुझे फिरौन का पिता सा, और उसके सारे घर का स्‍वामी, और सारे मिस्र देश का प्रभु ठहरा दिया है।

9अतः शीघ्र मेरे पिता के पास जाकर कहो, ‘तेरा पुत्र यूसुफ इस प्रकार कहता है, कि परमेश्‍वर ने मुझे सारे मिस्र का स्‍वामी ठहराया है; इसलिये तू मेरे पास बिना बिलम्‍ब किए चला आ।

10और तेरा निवास गोशेन देश में होगा, और तू, बेटे, पोतों, भेड़-बकरियों, गाय-बैलों, और अपने सब कुछ समेत मेरे निकट रहेगा।

11और अकाल के जो पाँच वर्ष और होंगे, उनमें मैं वहीं तेरा पालन पोषण करूँगा; ऐसा न हो कि तू, और तेरा घराना, वरन् जितने तेरे हैं, वे भूखे मरें।’ (प्रेरि 7:14 )

12और तुम अपनी आँखों से देखते हो, और मेरा भाई बिन्‍यामीन भी अपनी आँखों से देखता है कि जो हमसे बातें कर रहा है वह यूसुफ है।

13और तुम मेरे सब वैभव का, जो मिस्र में है और जो कुछ तुम ने देखा है, उस सबको मेरे पिता से वर्णन करना; और तुरन्‍त मेरे पिता को यहाँ ले आना।”

14और वह अपने भाई बिन्‍यामीन के गले से लिपटकर रोया; और बिन्‍यामीन भी उसके गले से लिपटकर रोया।

15तब वह अपने सब भाइयों को चूमकर उनसे मिलकर रोया: और इसके पश्‍चात् उसके भाई उससे बातें करने लगे।

16इस बात का समचार कि यूसुफ के भाई आए हैं, फिरौन के भवन तक पहुँच गया, और इससे फिरौन और उसके कर्मचारी प्रसन्‍न हुए। (प्रेरि 7:13)

17इसलिये फिरौन ने यूसुफ से कहा, “अपने भाइयों से कह कि एक काम करो, अपने पशुओं को लादकर कनान देश में चले जाओ।

18और अपने पिता और अपने-अपने घर के लोगों को लेकर मेरे पास आओ; और मिस्र देश में जो कुछ अच्‍छे से अच्‍छा है वह मैं तुम्‍हें दूँगा, और तुम्‍हें देश के उत्तम से उत्तम पदार्थ खाने को मिलेंगे।

19और तुझे आज्ञा मिली है, ‘तुम एक काम करो कि मिस्र देश से अपने बालबच्‍चों और स्‍त्रियों के लिये गाड़ियाँ ले जाओ, और अपने पिता को ले आओ। (प्रेरि 7:14)

20और अपनी सामग्री का मोह न करना; क्‍योंकि सारे मिस्र देश में जो कुछ अच्‍छे से अच्‍छा है वह तुम्‍हारा है’।”

21और इस्राएल के पुत्रों ने वैसा ही किया। और यूसुफ ने फिरौन की आज्ञा के अनुसार उन्‍हें गाड़ियाँ दी, और मार्ग के लिये भोजन-सामग्री भी दी।

22उनमें से एक-एक जन को तो उसने एक-एक जोड़ा वस्‍त्र भी दिया; और बिन्‍यामीन को तीन सौ रूपे के टुकड़े और पाँच जोड़े वस्‍त्र दिए।

23और अपने पिता के पास उसने जो भेजा वह यह है, अर्थात् मिस्र की अच्‍छी वस्‍तुओं से लदे हुए दस गदहे, और अन्‍न और रोटी और उसके पिता के मार्ग के लिये भोजन वस्‍तु से लदी हुई दस गदहियाँ।

24तब उसने अपने भाइयों को विदा किया, और वे चल दिए; और उसने उनसे कहा, “मार्ग में कहीं झगड़ा न करना।”

25मिस्र से चलकर वे कनान देश में अपने पिता याकूब के पास पहुँचे।

26और उससे यह वर्णन किया, “यूसुफ अब तक जीवित है, और सारे मिस्र देश पर प्रभुता वही करता है।” पर उसने उनकी प्रतीति न की, और वह अपने आपे में न रहा।

27तब उन्होंने अपने पिता याकूब से यूसुफ की सारी बातें, जो उसने उनसे कहीं थी, कह दीं; जब उसने उन गाड़ियों को देखा, जो यूसुफ ने उसके ले आने के लिये भेजीं थीं, तब उसका चित्त स्‍थिर हो गया।

28और इस्राएल ने कहा, “बस, मेरा पुत्र यूसुफ अब तक जीवित है; मैं अपनी मृत्‍यु से पहले जाकर उसको देखूँगा।”


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