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1उसी दिन दबोरा और अबीनोअम के पुत्र बाराक ने यह गीत गाया,

2“इस्राएल के अगुवों ने जो अगुवाई की और प्रजा जो अपनी ही इच्‍छा से भरती हुई, इसके लिये यहोवा को धन्‍य कहो!

3“हे राजाओ, सुनो; हे अधिपतियों कान लगाओ, मैं आप यहोवा के लिये गीत गाऊँगी; इस्राएल के परमेश्‍वर यहोवा का मैं भजन करूँगी।

4हे यहोवा, जब तू सेईर से निकल चला, जब तू ने एदोम के देश से प्रस्‍थान किया, तब पृथ्‍वी डोल उठी, और आकाश टूट पड़ा, बादल से भी जल बरसने लगा।(इब्रा. 12:26)

5यहोवा के प्रताप से पहाड़, इस्राएल के परमेश्‍वर यहोवा के प्रताप से वह सीनै पिघलकर बहने लगा।

6“अनात के पुत्र शमगर के दिनों में, और याएल के दिनों में सड़कें सूनी पड़ी थीं, और बटोही पगडंडियों से चलते थे।

7जब तक मैं दबोरा न उठी, जब तक मैं इस्राएल में माता होकर न उठी, तब तक गाँव सूने पड़े थे।**

8नये नये देवता माने गए, उस समय फाटकों में लड़ाई होती थी। क्‍या चालीस हजार इस्राएलियों में भी ढ़ाल वा बर्छी कहीं देखने में आती थी?

9मेरा मन इस्राएल के हाकिमों की और लगा है, जो प्रजा के बीच में अपनी ही इच्‍छा से भरती हुए। यहोवा को धन्‍य कहो।

10“हे उजली गदहियों पर चढ़नेवालो, हे फर्शों पर विराजनेवालो, ध्‍यान रखो।

11पनघटों के आस पास धनुर्धारियों की बात के कारण, वहाँ वे यहोवा के धर्ममय कामों का, इस्राएल के लिये उसके धर्ममय कामों का बखान करेंगे। उस समय यहोवा की प्रजा के लोग फाटकों के पास गए।

12“जाग, जाग, हे दबोरा! जाग, जाग, गीत सुना! हे बाराक, उठ, हे अबीनोअम के पुत्र, अपने बंधियों को बन्‍धुआई में ले चल।

13उस समय थोड़े से** रईस प्रजा समेत उतर पड़े; यहोवा शूरवीरों के विरूद्ध मेरे हित उतर आया।

14एप्रैम में से वे आए जिसकी जड़ अमालेक में है; हे बिन्‍यामीन, तेरे पीछे तेरे दलों में, माकीर में से हाकिम, और जबूलून में से सेनापति दण्‍ड लिए हुए उतरे;

15और इस्‍साकार के हाकिम दबोरा के संग हुए, जैसा इस्‍साकार वैसा ही बाराक भी था; उसके पीछे लगे हुए वे तराई में झपटकर गए। रूबेन की नदियों के पास बड़े बड़े काम मन में ठाने गए।

16तू चरवाहों** का सीटी बजाना सुनने को भेड़शालों के बीच क्‍यों बैठा रहा? रूबेन की नदियों के पास बड़े बड़े काम सोचे गए।।

17गिलाद यरदन पार रह गया; और दान क्‍यों जहाजों में रह गया? आशेर समुद्र के तीर पर बैठा रहा, और उसकी खाड़ियों के पास रह गया।

18जबुलून अपने प्राण पर खेलनेवाले लोग ठहरे; नप्‍ताली भी देश के ऊँचे ऊँचे स्‍थानों पर वैसा ही ठहरा।

19“राजा आकर लड़े, उस समय कनान के राजा मगिद्दो के सोतों के पास तानाक में लड़े; पर रूपयों का कुछ लाभ न पाया।(प्रका. 16:16)

20आकाश की और से भी लड़ाई हुई; वरन तारों ने अपने अपने मण्‍डल से सीसरा से लड़ाई की।

21कीशोन नदी ने उनको बहा दिया, अर्थात् वही प्राचीन नदी जो कीशोन नदी है। हे मन, हियाव बाँधे आगे बढ़।

22“उस समय घोड़े के खुरों से टाप का शब्‍द होने लगा, उनके बलिष्ठों घोड़ों के कूदने से यह हुआ।

23“यहोवा का दूत कहता है, कि मेरोज को शाप दो, उसके निवासियों को भारी शाप दो, क्‍योंकि वे यहोवा की सहायता करने को, शूरवीरों के विरूद्ध यहोवा की सहायता करने को न आए।।

24“सब स्‍त्रिय मे से केनी हेबेर की स्‍त्री याएल धन्‍य ठहरेगी; डेरों में से रहनेवाली सब स्‍त्रियों से वह धन्‍य ठहरेगी।(लूका 1:42)

25सीसरा ने पानी माँगा, उसने दूध दिया, रईसों के योग्‍य बर्तन में वह मक्‍खन ले आई।

26उसने अपना हाथ खूँटी की और अपना दाहिना हाथ बढ़ई के हथौड़े की और बढ़ाया; और हथौड़े से सीसरा को मारा, उसके सिर को फोड़ डाला, और उसकी कनपटी को आर पार छेद दिया।

27उस स्‍त्री के पाँवों पर वह झुका, वह गिरा, वह पड़ा रहा; उस स्‍त्री के पाँवों पर वह झुका, वह गिरा; जहाँ झुका, वहीं मरा पड़ा रहा।

28“खिड़की में से एक स्‍त्री झाँककर चिल्‍लाई, सीसरा की माता ने झिलमिली की ओट से पुकारा, ‘उसके रथ के आने में इतनी देर क्‍यों लगी? उसके रथों के पहियों को देर क्‍यों हुई है?’

29उसकी बुद्धिमान प्रतिष्‍ठित स्‍त्रियों ने उसे उत्तर दिया, वरन उसने अपने आप को इस प्रकार उत्तर दिया,

30‘क्‍या उन्होंने लूट पाकर बाँट नहीं ली? क्‍या एक एक पुरूष को एक एक वरन दो दो कुँवारियाँ; और सीसरा को रंगे हुए वस्‍त्र की लूट, वरन बूटे काढ़े हुए रंगीले वस्‍त्र की लूट, और लूटे हुओं के गले में दोनों और बूटे काढ़े हुए रंगीले वस्‍त्र नहीं मिले?’

31हे यहोवा, “तेरे सब शत्रु ऐसे ही नाश हो जाएँ! परन्‍तु उसके प्रेमी लोग प्रताप के साथ उदय होते हुए सूर्य के समान तेजोमय हों।” फिर देश में चालीस वर्ष तक शान्‍ति रही।(प्रका. 1:16)


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