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1तब अय्‍यूब ने यहोवा को उत्‍तर दिया;

2“मैं जानता हूँ कि तू सब कुछ कर सकता है, और तेरी युक्तियों में से कोई रुक नहीं सकती।(मत्ती. 19:26, मर 10:27)

3तू ने पूछा, ‘तू कौन है जो ज्ञान रहित होकर युक्ति पर परदा डालता है?’ परन्‍तु मैं ने तो जो नहीं समझता था वही कहा, अर्थात् जो बातें मेरे लिये अधिक कठिन और मेरी समझ से बाहर थीं जिनको मैं जानता भी नहीं था।

4तू ने कहा, ‘मैं निवेदन करता हूँ सुन, मैं कुछ कहूँगा, मैं तुझ से प्रश्‍न करता हूँ, तू मुझे बता ।’

5मैं ने कानों से तेरा समाचार सुना था, परन्‍तु अब मेरी आँखें तुझे देखती हैं;

6इसलिये मुझे अपने ऊपर घृणा आती है, और मैं धूलि और राख में पश्‍चाताप करता हूँ।” (अय्‍यूब का घोर परीक्षा से छूटना)

7और ऐसा हुआ कि जब यहोवा ये बातें अय्‍यूब से कह चुका, तब उसने तेमानी एलीपज से कहा, “मेरा क्रोध तेरे और तेरे दोनों मित्रों पर भड़का है, क्‍योंकि जैसी ठीक बात मेरे दास अय्‍यूब ने मेरे विषय कही है, वैसी तुम लोगों ने नहीं कही।

8इसलिये अब तुम सात बैल और सात मेढ़े छाँटकर मेरे दास अय्‍यूब के पास जाकर अपने निमित्‍त होमबलि चढ़ाओ, तब मेरा दास अय्‍यूब तुम्‍हारे लिये प्रार्थना करेगा, क्‍योंकि उसी की प्रार्थना मैं ग्रहण करूँगा; और नहीं, तो मैं तुम से तुम्‍हारी मूढ़ता के योग्‍य बर्ताव करूँगा, क्‍योंकि तुम लोगों ने मेरे विषय मेरे दास अय्‍यूब की सी ठीक बात नहीं कही।”

9यह सुन तेमानी एलीपज, शूही बिलदद और नामाती सोपर ने जाकर यहोवा की आज्ञा के अनुसार किया, और यहोवा ने अय्‍यूब की प्रार्थना ग्रहण की।

10जब अय्‍यूब ने अपने मित्रों के लिये प्रार्थना की, तब यहोवा ने उसका सारा दुःख दूर किया,** और जितना अय्‍यूब का पहले था, उसका दोगना यहोवा ने उसे दे दिया।

11तब उसके सब भाई, और सब बहनें, और जितने पहले उसको जानते-पहचानते थे, उन सभों ने आकर उसके यहाँ उसके संग भोजन किया; और जितनी विपत्‍ति यहोवा ने उस पर डाली थीं, उन सब के विषय उन्होंने विलाप किया, और उसे शान्‍ति दी; और उसे एक एक सिक्‍का और सोने की एक-एक बाली दी।

12और यहोवा ने अय्‍यूब के बाद के दिनों में उसको पहले के दिनों से अधिक आशीष दी; और उसके चौदह हजार भेड़-बकरियाँ, छः हजार ऊँट, हजार जोड़ी बैल, और हजार गदहियाँ हो गई।

13और उसके सात बेटे और तीन बेटियाँ भी उत्‍पन्न हुई।

14इन में से उसने जेठी बेटी का नाम तो यमीमा, दूसरी का कसीआ और तीसरी का केरेन्‍हप्‍पूक रखा।

15और उस सारे देश में ऐसी स्‍त्रियाँ कहीं न थीं, जो अय्‍यूब की बेटियों के समान सुन्‍दर हों, और उनके पिता ने उनको उनके भाइयों के संग ही सम्‍पत्ति दी।

16इसके बाद अय्‍यूब एक सौ चालीस वर्ष जीवित रहा, और चार पीढ़ी तक अपना वंश देखने पाया।

17निदान अय्‍यूब वृद्धावस्‍था में दीर्घायु होकर मर गया।


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